Connect with us

नैनीताल

174 साल पूर्व पहली क्रिसमस प्रार्थना का गवाह है सेंट जोंस चर्च

नैनीताल में है कुमाऊं का सबसे पहला प्रोटेस्टट चर्च, गौथिक शैली के पांचों चर्च
क्रिसमस के लिए संजाये जा रहे सेंट जोंस सहित नगर के सभी पांचों चर्च
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
अंग्रेजों द्वारा बसाये गये नैनीताल शहर के चर्च ऐतिहासिक माने जाते है। लेकिन यहां सूखाताल स्थित सेंट जोंस इन द बिल्डरनैस प्रोटेस्टेट चर्च खास मायने रखता है। आगामी क्रिसमस के लिए संेट जोंस सहित नगर के पांचों चर्च इन दिनों संजाये जा रहे है। सेंट जोस चर्च कुमाऊं का सबसे पहला प्रोस्टेट चर्च भी है। यह चर्च 174 वर्ष पूर्व पहली क्रिसमस सभा आयोजन का गवाह भी है। 174 पूर्व स्थापित इस चर्च की खास विशेषता यह भी है कि यह इंग्लैड के प्रसिद्ध गौथिक शैली में बने चर्चों की तरह है। आज भी यह यूरोपिय देशों के चर्चों की फेहरिस्त में शुमार है। दरअसल अंग्रेजी दौर में बने सभी पांचों चर्च गौथिक शैली में बने है। लेकिन सेंट जोंस इन द बिल्डरनैस प्रोटेस्टेट चर्च इनमें से खास है। नैनीताल में सेंट जोंस प्रोस्टेटेट चर्च के साथ ही एशिया का पहला मैथोडिस्ट चर्च भी ख्यात है। यह चर्च मल्लीताल रिक्शा स्टैंड के समीप है जो अपनी निर्माण शैली से सभी को आकर्षित करता है। दरअसल 1815 में गढ़वाल व कुमाऊं के विभिन्न स्थानों में प्लेग, हैजा, कुष्ठ रोग व अन्य संक्रामक रोगों की चपेट में आ गये थे। इसी दौरान ईसाई मिशनरियों का प्रवेश हुआ। यह मिशनियां पूरी तरह धार्मिक व सामाजिक कार्यो में जुट गई। वर्ष 1815 के कुमाऊं के विभिन्न हिस्सों में ईस्ट इंडिया कम्पनी के लोग भी प्रवेश कर चुके है। वर्ष 1841 में पी बैरन द्वारा नैनीताल की खोज के बाद इसे अंग्रेज हुकुमत के रहने के लिए मुफीद जगह लगी। यहां 1842 के बाद ईसाई मिशनरियां भी सक्रिय हो गयी। इन मिशनरियों द्वारा नैनीताल में शिक्षण संस्थाओं को खोलने का बीड़ा उठा लिया। इसके साथ ही यहां चर्चो का निर्माण भी शुरू हो गया। सीमित स्थान पर ऐतिहासिक भवनों का निर्माण पाश्चात्य गौथिक शैली से किया जाने लगा। 1841 के बाद नैनीताल की बसासत के साथ ही अंग्रेजों ने यहां चर्चो का निर्माण भी शुरू कर दिया। बिल्डरनैस चर्च बनाने के लिए अंग्रेजों को घने जंगलों में पर्याप्त जगह चाहिए थी इसके लिए उन्हें सूखाताल में यह स्थान मिला। 1844 में उन्होंने वान्यता यानि बिल्डरनैस स्थल सूखाताल में दिखा। सन् 1846 में इस स्थान पर चर्च की नींव रखी गई। यह दो वर्षों में बनकर तैयार हुआ। दो अप्रैल 1848 में यह प्रार्थना सभा के लिए खोला गया। 174 वर्षों बाद इस चर्च में 25 दिसम्बर को प्रार्थना सभा की जायेगी। इस चर्च के साथ मार्मिक घटना भी जुड़ी हुई है। 18 सितम्बर 1880 का मल्लीताल स्थित आल्मा की पहाड़ी में विनाशकारी भूस्खलन हुआ इस भूस्खलन में जहां नैनीताल का भूगोल बदल दिया वहीं इस विनाशकारी भूस्खलन में 151 लोग मारे गये। इनमें से 48 यूरोपीय थे शेष हिन्दुस्तानी शामिल थे। इन मारे गये लोगों के नाम पट इस चर्च में लगाये गये है।
दिव्य प्रकाश निकलना चर्च की खास विशेषता
नैनीताल।
इतिहासविद् प्रो. अजय रावत का कहना है कि दो अप्रैल 1848 में आम लोगों के लिए खोले गये इस चर्च की खास विशेषता यह है कि इस चर्च से सटे गौथिक शैली में बने चर्च की मीनार से दिव्य प्रकाश निकलता है। इसका कारण यह है कि घने जंगलों के बीच बने इस चर्च की मीनार से खुले आसमान से प्रकाश पहुंचता है।
नैनीताल में 1841 से 1869 तक हुई चर्चो की स्थापना
नैनीताल।
सरोवर नगरी की बसासत 1841 से शुरू हुई। सेंट जोस चर्च की स्थापना 1848 में हुई इसे पहले चर्च के रूप में देखा जाता है। इतिहासकार प्रो. अजय रावत के अनुसार 1857 के गदर के बाद नैनीताल में अंग्रेजों की बसासत बढ़ने लगी। यहां इसाई धर्म के अन्य धर्म वर्ग के लोगों ने चर्चों का निर्माण किया। 1858 में मैथेडिस्ट चर्च, 1868 में डाठ स्थित मैथोडिस्ट चर्च, सेंट निकोलस राजभवन चर्च 1869 में तथा सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च 1921 में स्थापित हुआ। इसके साथ ही यहां स्कूलों में प्रार्थना सभाओं के आयोजन को छोटे-छोटे आधा दर्जन से अधिक चैपलों का निर्माण भी किया गया।
प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट मनाते थे भव्य क्रिसमस
नैनीताल।
विश्व प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट क्रिसमस भव्य रूप से मनाते थे। क्रिसमस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर वह शहर भर में उपहार भी बांटा करते थे। छोटी हल्द्वानी में लोग उमड़ पड़ते थे इस परम्परा को आज छोटी हल्द्वानी स्थित कार्बेट ग्राम विकास समिति जिन्दा रखे हुए हैं नैनीताल में क्रिसमस के दिन नेटिवीटी नाटक का मंचन खासतौर पर किया जाता रहा है। नैनीताल में कमिश्नर हैनरी रेमजे भी क्रिसमस भव्य रूप से मनाते थे। जबकि स्व. राम लाल साह गरीबों को उपहार बांटने के लिए स्कूलों को आर्थिक सहयोग देते थे।

Continue Reading
You may also like...

More in नैनीताल

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING