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अग्निपथ योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, अगले सप्ताह होगी सुनवाई
अग्निपथ योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, अगले सप्ताह होगी सुनवाई
सीएन, नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सशस्त्र बलों में भर्ती संबंधी केंद्र की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि गर्मी की छुट्टी के बाद शीर्ष अदालत के फिर से खुलने पर याचिकाओं को अगले सप्ताह उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा। केंद्र सरकार ने पिछले महीने, अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। योजना के तहत साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष तक की उम्र के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा इनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा सरकार ने 16 जून को इस साल के लिए इस योजना के तहत भर्ती के वास्ते आयु सीमा को 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था। बता दें कि केंद्र सरकार ने सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना लांच की थी। इस योजना के अनुसार, चार साल के बाद 75 प्रतिशत लोगों को रिटायर कर दिया जाएगा। इसके खिलाफ युवा प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले महीने बिहार, यूपी समेत देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। बिहार और यूपी में प्रदर्शनकारियों ने कई ट्रेन के डिब्बों में आग लगा दी थी। युवाओं के आक्रोश को देखते हुए विपक्षी पार्टियां भी सरकार को घेर रही हैं। योजना के तहत साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष तक की उम्र के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा इनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा। सरकार ने 16 जून को इस साल के लिए इस योजना के तहत भर्ती के वास्ते आयु सीमा को 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था। बता दें कि तीनों सेनाओं में भर्ती प्रक्रिया जारी है। थलसेना में भर्ती प्रक्रिया जहां 1 जुलाई से शुरू हो गई वहीं वायुसेना में इससे पहले 24 जून जबकि नौसेना में 25 जून से शुरू हो गई। इस भर्ती में 17.5 वर्ष से 21 वर्ष तक के उम्मीदवार शामिल हो सकेंगे। हालांकि, इस साल के लिए आयु सीमा बढ़ाकर 23 साल कर दी गई है। यह भर्ती चार सालों के लिए होगी। इसके बाद परफॉर्मेंस के आधार पर 25 फीसदी कर्मियों को वापस से रेगुलर कैडर के लिए नामांकित किया जाएगा। बता दें कि उम्मीदवारों को सशस्त्र बलों में आगे नामांकन के लिए चुने जाने का कोई अधिकार नहीं होगा। चयन सरकार का अनन्य क्षेत्राधिकार होगा। मेडिकल ट्रेडमैन को छोड़कर भारतीय वायु सेना के नियमित कैडर में एयरमैन के रूप में नामांकन केवल उन्हीं कर्मियों को दिया जाएगा, जिन्होंने अग्निवीर के रूप में अपनी सेवा की अवधि पूरी कर ली है।