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पिथौरागढ़

यात्रा वृतांत :  प्रकृति का सुंदर संसार उत्तराखंड का छोटा कश्मीर पिथौरागढ़

यात्रा वृतांत :  प्रकृति का सुंदर संसार उत्तराखंड का छोटा कश्मीर पिथौरागढ़
अमृता पांडे, पिथौरागढ़।
मन तो कह रहा था कि कुछ दिन और रुक जाएं चंपावत और लोहाघाट की वादियों में पर समय की बाध्यता आगे बढ़ने का इशारा कर रही थी और चलने लगे हम पिथौरागढ़ की तरफ। वहां भी प्रकृति का सुंदर संसार प्रतीक्षा में था। पहाड़ी रास्ते साल भर बनते बिगड़ते रहते हैं। ‘जिनको जल्दी थी वो चले गये’, त्याड़-माड़ बाट, हिटो माठु-माठ’ जैसे चेतावनी संदेश जगह जगह पर लगे थे, फिर भी कुछ युवा रोमांच की रफ़्तार में उड़े जा रहे थे। जगह जगह सड़क चौड़ीकरण के काम जारी थे। जे सी बी पहाड़ पर चढ़ी थी। पत्थर गिरने के अंदेशे से बीच-बीच में यातायात रोकना भी पड़ रहा था। फिर भी रफ्तार के मारे नियमों को तोड़ते यहां भी दिखाई दिए। एक बहुत पुरानी घटना याद आती रही। मेरी उम्र 7- 8 साल रही होगी। नारायण प्रेस पिथौरागढ़ में रिश्तेदारी में शादी थी। मैं अपनी नानी और कुछ अन्य लोगों के साथ बस में बैठकर अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ जा रही थी। तब सड़क इतनी संकरी थी कि बस का एक टायर सड़क के किनारे किनारे ही चल रहा था। ‘सड़क का किनारा जीवन का किनारा’ जैसे सड़क किनारे लगे बोर्ड पढ़ने की आदत बचपन से ही थी। उस यात्रा के दौरान मैं इतनी डरी हुई थी कि अपने जीवन की फिक्र होने लगी थी। अल्पभाषी तो थी सो मन ही मन में डर रही थी। मेरे डर को साथ में सफर कर रहे युवकों ने न जाने कैसे समझ लिया। याद है कि एक ने हंसते हुए कहा था,” अगर बस को कुछ  होगा भी पर हम तुझे कुछ नहीं होने देंगे। तौलिए में लपेटकर खिड़की से बाहर सड़क में फेंक देंगे। “बचपन में डरपोक भी काफी थी। आज भी परिस्थिति ज्यादा नहीं बदली है। लेकिन सड़कों का चौड़ीकरण हो गया है और उनकी दशा काफी सुधरी हैं। घाट में थोड़ी देर रुकना हुआ। यहां पर तीन जिलों की सीमाएं मिलती हैं। फिर हमने आगे की यात्रा शुरू कर दी। पिथौरागढ़ पहुंचने से पहले मां गुरना देवी के दर्शनों का भी सौभाग्य मिला। 1600 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह शहर उत्तराखंड का छोटा कश्मीर भी कहलाता है। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस शहर की सीमाएं पूर्व में नेपाल और उत्तर में तिब्बत से लगती हैं। चंद और पाल वंश के शासकों का गोरखाओं से सत्ता संघर्ष हुआ था। चंडाक वाला एरिया और अधिक ऊंचाई पर है जहां से शहर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। चंडाक से दिगटोली रोड को बढ़ते हुए दोनों तरफ खूबसूरत देवदार के जंगल हैं। लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर पिथौरागढ़ का प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर मोस्टा मानु स्थित है। सोर घाटी क्षेत्र में भगवान मोस्टा को पानी और बारिश का देवता माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार वह भगवान इंद्र के पुत्र हैं। इसीलिए भाद्रपद के महीने में मंदिर में एक मेला लगता है जिसमें कृषि उपकरण बेचे और खरीदे जाते हैं। इस मंदिर को नेपाल के पशुपतिनाथ की प्रतिकृति भी माना जाता है। मंदिर का प्रांगण विशाल है और यहां से आसपास का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। यहां पर एक पत्थर भी है, जिसे उठाने की परम्परा है, ठीक वैसे ही जैसे हनोल में महासू देवता के मंदिर में। वहां पर पहुंचे कुछ युवा इसे उठाने प्रयास करते हुए दिख रहे थे। एक खूबसूरत दिन चंडाक में बिता कर अगली शाम मुख्य शहर में पहुंच गये हम। पिथौरागढ़ में  परिचितों से सुखमय मुलाकात हुई। लक्ष्मी नारायण मंदिर में सुंदर काण्ड और प्रसाद का आनन्द लिया। पिथौरागढ़ का शहर पहाड़ के शहरों से बिल्कुल अलग है। जहां अन्य शहरों में जगह का अभाव है, यह शहर खुला खुला हुआ है। बाजार काफी बड़ी है और बाजार के अंदर ही कई गलियां ऊपर नीचे जाती हैं। उल्का देवी, कामाख्या देवी मंदिर और चंडाक वाला एरिया बहुत ही सुंदर है जहां से पूरे पिथौरागढ़ को नज़रों के कैमरे में कैद किया जा सकता है। रामलीला मैदान के पास चोटी में स्थित सोरगढ़ किला देखने का अवसर मिला। इसे गोरखाओं द्वारा बनाया गया था जो बावली की गढ़ भी कहलाता है और अब जिसे लंदन फोर्ट कहते हैं। संगोली की संधि के बाद अंग्रेजों ने इसका नाम बाउली की गढ़ से बदल कर लंदन फोर्ट रख दिया।  यह घटना 1815 की है। पहले यह गोरखा किला नाम से जाना जाता था। देखरेख के अभाव में यह वर्षों उपेक्षित रहा। यहां पर तहसील कार्यालय भी संचालित होता रहा। लेकिन इसके ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए इसे भी धरोहर के रूप में संरक्षित कर लिया गया है। सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हुई कई कलाकृतियां और क्राफ्ट बाजार भी इस किले के अंदर है। किले की बाहरी दीवारों पर लंबी बंदूकों को चलाने के लिए तरफ चौकोर झरोखे से बनाए गए हैं। गोरखा सैनिक और सामन्त यहीं ठहरा करते थे। यहां एक तहखाना भी था, जिसमें हथियार आदि रखे जाते थे। यहां पर कुछ गुप्त दरवाजे भी बताते जाते हैं जो शायद अब बन्द कर दिए गए हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त का मंत्रमुग्ध करने वाला विहंगम दृश्य देखा जा सकता है इस जगह से। यकीनन छोटे से उत्तराखंड में कई कश्मीर और कई स्विट्जरलैंड हैं। काफल ट्री से साभार

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