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उत्तरकाशी

उत्तरकाशी जिले के डोडीताल है गणेश जी का जन्म स्थान

लोकेन्द्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी। चलो आज आपको लिए चलते हैं भगवान श्रीगणेश जी के जन्मस्थान उत्तराखंड प्रदेश। उत्तरकाशी जिले के डोडीताल को ही गणेशजी का जन्म स्थान माना जाता है। पौराणिक मत के अनुसार अनुमानत 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को भगवान गणेश का मध्याह्न के समय जन्म हुआ था। पौराणिक मत के अनुसार उनका जन्म सतुयग में हुआ था।
स्‍वामी चिद्मयानंद जी के गुरु रहे स्‍वामी तपोवन महाराज जी ने मुद्गल ऋषि की लिखी मुद्गल पुराण के हवाले से अपनी किताब “हिमगिरी विहार” में भी डोडीताल को गणेश का जन्‍मस्‍थल होने की बात लिखी है। भगवान श्रीगणेश जी के जनस्थान होने के साथ साथ माँ गँगा जी व माँ यमुना जी का भी जन्मस्थान होने के साथ साथ उत्तरकाशी अपने आप में प्रकृति के भी कई रंग रूप लिए हुए है। या यूँ कहें कि प्रकृति ने उत्तरकाशी जिले को दिल खोलकर प्राकृतिक सौंदर्य दिया है। प्राकृतिक सौदंर्य के अथाह भंडार से उत्तरकाशी की गोद भरी है। खूबसूरत हिमालय से लेकर, गाड़ गधेरे, नदियां, झीलें, तालाब, झरने, मखमली घास के बुग्याल, जल जंगल, हरियाली, हिम चोटियाँ, दिव्य जड़ी बूटियां, दिव्य ओषधियाँ, दुर्लभतम वन्य जीव जंतु, पशु पक्षी, जलीय जीवन और खनिज संपदा के अपार भंडारों से उत्तरकाशी को संजोया और सजाया है। धार्मिक पर्यटन के लिए गंगोत्री धाम व यमुनोत्री धाम तो विश्वभर में प्रसिद्ध हैं ही। यदि अगर आप ट्रैकिंग करने के शौकिन हैं तो उत्तरकाशी में कई आकर्षित करने वाले ट्रेक रुट, उच्च औऱ मध्य हिमालय ट्रेक भी मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है डोडिताल जो ट्रेकिंग के लिए दुनियाभर में सबसे बेहतरीन जगह है। प्राकृतिक झरने व चश्मे, घने व हरे-भरे जंगल, दुर्लभ पक्षियों को देखने व दुर्गम पहाड़ों पर चढ़ने की चुनौती देने वालों के लिए यह पसंदीदा स्थान है। डोडीताल समुद्रतल से 3307 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
डोडीताल देश औऱ विदेशी पर्यटकों और स्कूली छात्रों का पसंदीदा ट्रैक है। मां गँगा की सहायक नदी असी गंगा का उदगम ही डोडीताल झील है। इस विशाल डोडीताल झील में दुनियां की सबसे महंगी और पसंदीदा दुर्लभ मछली ट्राउट की मौजूदगी इसके आकर्षण को और बढ़ा देता है। उत्तरकाशी जिले मुख्यालय से 20 किमी मोटर से अगोड़ा तक तथा यहां से बेवरा, छोटी व बड़ी उड़कोटी, मांझी वन होते हुए 20 किमी ट्रैकिंग कर डोडीताल पहुंचते है। पहाड़ी होने के चलते डोडीताल का पैदल रास्ता जोखिम भरा बना रहता है। डोडीताल पहुंचने पर एहसास होता है कि आप किसी जन्नत में हैं। स्वर्ग से सुंदर लगता है अपना डोडीताल।

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