Connect with us

उत्तरकाशी

आज शुक्रवार 22 अप्रैल 2023 को खुल रहे हैं गंगोत्री औऱ यमुनोत्री धाम

आज शुक्रवार 22 अप्रैल 2023 को खुल रहे हैं गंगोत्री औऱ यमुनोत्री धाम
यमुनोत्री से शुरू होती है उत्तराखंड की चारधाम यात्रा, 25 को केदारनाथ और 27 को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट
सीएन, उत्तरकाशी/देहरादून।
22 अप्रैल को अक्षय तृतीया है और इस दिन उत्तराखंड के चार धामों में से दो गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट भक्तों के लिए खुल रहे हैं। इनके बाद 25 को केदारनाथ और 27 को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, इसके बाद भक्त गंगोत्री के दर्शन करते हैं, फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ धाम में दर्शन-पूजन के साथ ये यात्रा पूरी होती है। यमुनोत्री मंदिर के बारे में मान्यता है कि टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने देवी यमुना का मंदिर बनवाया था। बाद में मंदिर का पुनः निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने करवाया था। यमुना नदी का वास्तविक स्रोत जमी हुई बर्फ की एक झील और हिमनंद (चंपासर ग्लेशियर) है। गंगोत्री में गंगा माता की पूजा की जाती हैं। यमुनोत्री में यमुना मैया की, केदारनाथ में शिव जी के ज्योतिर्लिंग की और बद्रीनाथ में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। गंगोत्री और यमुनोत्री दोनों उत्तरकाशी जिले में हैं। केदारनाथ रुद्रप्रयाग और बद्रीनाथ चामोली जिले में है। पुराणों के अनुसार राजा भगीरथ गंगा को धरती पर लाए थे। वैसे तो गंगा मूल रूप से गोमुख से निकलती है, लेकिन गंगा मैया की पूजा गंगोत्री में की जाती है। मां गंगा के मंदिर के बारे में बताया जाता है कि गोरखा (नेपाली) ने 1790 से 1815 तक कुमाऊं-गढ़वाल पर राज किया था, उस समय गंगोत्री मंदिर गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने बनाया था। इस क्षेत्र में राजा भागीरथ ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। शिव जी यहां प्रकट हुए और उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर उसका बहाव शांत किया था। इसके बाद इसी क्षेत्र में गंगा की पहली धारा भी गिरी थी। गढ़वाल क्षेत्र को केदारखंड भी कहा गया है। केदारनाथ धाम का जिक्र महाभारत में भी है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने यहां पूजा की थी। आदिगुरु शंकराचार्य यहां मंदिर बनवाया गया था। केदारनाथ उत्तराखंड के चार धामों में तीसरे नंबर पर और 12 ज्योतिर्लिंगों में 11वां है। ये सबसे ऊंची जगह पर स्थापित ज्योतिर्लिंग है। बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। यहां भी लगभग 8वीं सदी के बाद आदिगुरु शंकराचार्य ने मंदिर बनवा दिया। बद्रीनाथ के संबंध में कथा प्रचलित है कि भगवान विष्णु ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी। उस समय महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर भगवान विष्णु को छाया दी थी और खराब मौसम में रक्षा की थी। लक्ष्मी जी के इस समर्पण से भगवान प्रसन्न हुए थे और उन्होंने इस जगह को बद्रीनाथ नाम से प्रसिद्ध होने का वर दिया था। बद्रीनाथ धाम में विष्णुजी की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा निर्धारित की गई व्यवस्था के अनुसार बद्रीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य से होता है। ये मंदिर करीब 3100 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। श्री 108 गंगोत्री  मंदिर समिति के अध्यक्ष  एवं रावल हरीश सेमवाल तथा मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने विधिवत कपाट खुलने की तिथि की विधिवत घोषणा की। मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि इस अवसर पर  मां गंगा की उत्सव डोली के धाम प्रस्थान का भी कार्यक्रम तय हुआ।  शुक्रवार 21 अप्रैल को मां गंगा की उत्सव डोली समारोह पूर्वक सेना के बैंड के साथ मुखीमठ से प्रस्थान कर भैरवनाथ जी के मंदिर भैंरो घाटी प्रवास को पहुंची। 22 अप्रैल को भैंरो घाटी से मां गंगा की डोली 9.30  बजे प्रात: तक गंगोत्री धाम पहुंचेगी  तथा 22 अप्रैल को दिन में 12 बजकर 35 मिनट पर श्री गंगोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जायेंगे। चारधाम यात्रा प्रशासन संगठन के विशेष कार्याधिकारी व अपर आयुक्त गढ़वाल ने बताया कि चारों धामों में सभी विभागों को यात्रा संबंधित तैयारियां तथा कार्य को 15 अप्रैल तक पूरा को कहा गया है। इसके आदेश गढवाल कमिश्नर, अध्यक्ष यात्रा प्रशासन संगठन सुशील कुमार  द्वारा जिलाधिकारी चमोली, रूद्रप्रयाग तथा उत्तरकाशी को दिए गए हैं। यात्रा प्रशासन संगठन के सूत्रों ने बताया कि शासन के दिशा-निर्देश पर ऋषिकेश में चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप में  चारधाम यात्रा से पहले आवश्यक यात्री सुविधाएं जुटायी जा रही है।

More in उत्तरकाशी

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING