उत्तरकाशी
रहस्यमयी : उत्तराखंड के इस ताल में ताली बजाने पर उठते हैं बुलबुले
रहस्यमयी : उत्तराखंड के इस ताल में ताली बजाने पर उठते हैं बुलबुले
सीएन, उत्तरकाशी। भौगोलिक स्थिति के कारण उत्तराखंड में कई ऐसे स्थान हैं जो रहस्यमयी कहलाने लगते हैं. आस्थावान इसे चमत्कार मानते हैं और अन्य वैज्ञानिक पहलू पर जोर देते हैं. चमत्कार और रहस्य से जुड़ी ऐसी ही एक ताल है जिसके विषय में कहा जाता है कि उसके आस-पास हल्का शोर करने, ताली बजाने या सीटी बजाने से ताल के निचले हिस्से में बुलबुले उठते हैं. समुद्र ताल से 3520 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस ताल का नाम है मंगलाछु ताल. मां गंगा के शीतलकालीन प्रवास मुखवा से करीब पांच एक किमी की दूरी पर स्थित मंगलाछु ताल के प्रति स्थानीय लोग गहरी आस्था रखते हैं. मान्यता है कि स्थानीय लोग बारिश न होने की स्थिति में अपने ईष्ट को ले जाकर ताल के पास पूजा करते हैं. उमाकरण सेमवाल की किताब ‘गंगोत्री तीर्थ ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व’ में इस ताल को सोमेश्वर ताल कहा गया है. उत्तरकाशी जिले में स्थित मंगलाछु ताल का रास्ता मखमली बुग्याल से होता हुआ जाता है. मंगलाछु ताल आकार में छोटी है लेकिन इसका सांस्कृतिक महत्त्व खूब है. ताल के पास होने वाली हलचल को स्थानीय अपनी आस्था स्वरूप एक चमत्कार मानते हैं. वैज्ञानिक पक्ष की ओर देखा जाय तो मंगलाछु ताल आस-पास हल्का शोर करने, ताली बजाने या सीटी बजाने से ताल के निचले हिस्से में बुलबुले उठने के पीछे तर्क दिये जाते हैं. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कुछ स्थान ऐसे होते हैं जहां पानी जमीन के नीचे स्थित बारीक छेदों से निकलता है. जब ताल के आसपास हलचल और शोर होता है तो जमीन पर मौजूद बारीक दरारों के द्वारा हवा पानी पर दबाव बनाती है और ताल की निचली सतह पर बुलबुले उठते हैं. काफल ट्री से साभार