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उत्तरकाशी

गंगोत्री धाम में कपाट खुलने के अवसर पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, खुल गए हैं आस्था के द्वार

गंगोत्री से लोकेंद्र सिंह बिष्ट की रिपोर्ट। तृतीया को विश्वप्रसिद्ध आस्था के धाम गंगोत्री में माँ गंगा जी के कपाट आज सुबह 12.31 बजे व यमुनोत्री में माँ यमुना के कपाट दिन के 12.15 बजे (द्वार) श्रद्धालुओं के लिए विधि विधान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खोल दिये गए हैं। आस्था के द्वार खुलते समय श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा।।
इस पुनीत अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि उत्तराखंड के चारों धाम आने वाले सभी श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर सभी यात्रा इंतजाम किए गए है। इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के अवसर पर खरसाली जहां यमुना जी की डोली शीतकालीन प्रवास करती हैं में जाकर यात्रा को रवाना किया। उत्तराखंड सरकार की तरफ से आज खुले आस्था के द्वार गंगोत्री वा यमुनोत्री धामों में हेलीकाप्टर के माध्यम से जमकर पुष्प वर्षा की गई।। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गंगा स्वच्छता प्रधानमंत्री जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि गंगा जी में एक भी तिनका कूड़ा कचरा न गिरे। मां गंगा जी जिस भव्य निर्मल वा अविरल रूप से गंगोत्री में बहती है हम सबका प्रयास है कि मां गंगा जी गंगोत्री से गंगा सागर तक इसी भव्य निर्मल अविरल वा दिव्य स्वरूप में बहे।।
इससे पहले मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी वा गंगोत्री विधायक ने तीर्थयात्रियों का तिलक लगाकर वा मां गंगा जी की चुनरी भेंट कर स्वागत किया। गौरतलब है कि शीतकाल के 6 महीनों माँ गंगा जी की भोगमूर्ति गंगोत्री से 20 किलोमीटर पहले मुखवा गांव में स्थित गंगोत्री मंदिर में विराजमान रहती हैं।मुखवा को माँ गंगा का मायका भी कहा जाता है। ग्रीष्मकालीन के 6 महीनों के लिए माँ गँगा जी की भोगमूर्ति एक भव्य उत्सव डोली में बैठकर हज़ारों श्रद्धालुओं के साथ गाजे बाजों व सेना की बैंड धुन के साथ गंगोत्री के लिए अक्षय तृतीया के एक दिन पहले गंगोत्री तीर्थ के लिए रवाना होती हैँ। इस दिन माँ गंगा जी की यात्रा भैरों घाटी के भैरव मंदिर में विश्राम करती हैं। अक्षय तृतीया को सुबह सवेरे को यात्रा और भव्य व विशाल जनसमूह के साथ अपने गंतव्य को निकाल पड़ती हैं। गंगोत्री पहुंचते पहुंचते यात्रा में हज़ारों श्रद्धालु शामिल हो जाते हैं। माँ गंगा के जयकारों व उदघोष के ढोल नगाड़ों व भारतीय सेना के बैंड की धुन व शंखनादके साथ साथ समूची गंगोत्री घाटी व हिमालय गूँज उठता है। समूचा धार्मिक वातावरण अति शोभायमान हो जाता है। गंगोत्री पहुंचते ही माँ गंगा के जयकारों के साथ गंगोत्री में वहाँ पहले से ही मौजूद हज़ारों श्रद्धालु माँ गंगा जी की शोभा यात्रा की माँ गंगा जी के जयकारों के साथ धूप अगरबत्ती फूल मालाओं से स्वागत करते हैं। गंगोत्री मुख्य मंदिर में पहुंचने के बाद सर्वप्रथम उत्सव डोली भव्य शोभायात्रा माँ गँगा की बहती निर्मल, अविरल, दिव्य धारा में पूजा स्नान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना व माँ गंगा की स्तुति की जाती है। इसी के साथ यात्रा जत्था माँ गंगा जी के तट पर विराजमान भागीरथ शिला की पूजा की जाती है। इन सबके बाद मुख्य गंगोत्री मंदिर प्रांगण में गँगा जी की भव्य स्तुति गान, पूजा, अनुष्ठान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया जाता है। पूजा समापन के साथ ही गंगोत्री मुख्य मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये जाते हैं। कपाट खुलने के पलों का हज़ारों श्रधालु साक्षात बनने की होड़ में रहते हैं। कपाट खुलते ही माँ गँगा जी की डोली व भोगमूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाती हैं। गौरतलब है कि गंगोत्री मुख्य मंदिर में माँ गंगा जी की विशाल शिला मूर्ति पहले से ही विराजमान रहती हैं। कपाट खुलने व कपाट बंद होने पर गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ जी की भोगमूर्ति ही अपने शीतकालीन मंदिरों में पूजी जाती हैं। स्थाई मूर्तियां तो अनादिकाल से इन्हीं चारों धामों में विराजमान हैं।।आज इस पुनीत अवसर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, गंगोत्री विधायक श्री सुरेश चौहान, श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष रावल हरीश सेमवाल,सचिव सुरेश सेमवाल, रावल रविन्द्र सेमवाल, जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला, पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी आदि उपस्थित रहे।

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