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18 साल तक थे अनपढ़, फ‍िर बने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर

18 साल तक थे अनपढ़, फ‍िर बने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर
सीएन, नईदिल्ली।
हौसला बुलंद हो तो कठिन से कठिन राह भी आसान हो जाती है। इसे जेसन आर्डे ने सच कर दिखाया है, जो कैम्ब्रिज में प्रोफेसर बनने जा रहे हैं। वे अब तक के सबसे कम उम्र के अश्वेत प्रोफेसर होंगे। 18 साल की उम्र तक आर्डे पढ़ने-लिखने में असमर्थ थे लेकिन आज वे प्रोफेसर बनने जा रहे हैं। इस कामयाबी के पीछे उनका हौसला और दृढ़ संकल्प ही था, जो आज वे इस मुकाम पर हैं। अगर कोई दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हो तो आप यही कहेंगे कि पढ़ाई-लिखाई में काफी तेज होंगे. अच्‍छे स्‍कूल से पढ़े होंगे. पर आज हम ऐसे शख्‍स के बारे में बताने जा रहे हैं जो 18 साल तक कलम चलाना भी नहीं जानते थे. पढ़ाई-लिखाई तो दूर की बात है.फिर मन में कुछ बड़ा करने का ख्याल आया और सभी बाधाओं को पार करते हुए वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गए. यह फ‍िल्‍मी कहानी नहीं बल्‍क‍ि ब्रिटेन के रहने वाले जैसन आर्डे की कहानी है. जो आपको प्रेरणा से भर देगी. 37 वर्षीय जेसन आर्डे को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एजुकेशन ऑफ सोशियोलॉजी का प्रोफेसर नियुक्त किया गया है. इसके साथ ही वह संस्थान में पढ़ाने वाले सबसे कम उम्र के अश्वेत प्रोफेसर न गए हैं. उनकी जर्नी उपलब्‍ध‍ियों से भरी हुई है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम लंदन के क्लैफम में पैदा हुए और पले-बढ़े जेसन आर्डे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित थे, जिसकी वजह से शुरुआत में उनका सही से शारीरिक विकास भी नहीं हो पाया. यहां तक क‍ि 11 साल की उम्र तक वह कुछ बोल भी नहीं पाते थे. 18 साल की उम्र तक वह लिख और पढ़ नहीं पाते थे. उनके परिवार को बताया गया था कि आर्डे को जीवनभर सहारे की जरूरत होगी. पर 37 वर्षीय जेसन ने बुलंद हौसले के साथ सभी बाधाओं को पार कर दिखाया. आर्डे ने बताया कि आठ साल पहले उन्हें कहा गया कि उन्हें एक फैसिलिटी में रहना होगा. लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. जेसन आर्डे अपनी मां के बेडरूम की दीवारों पर अपने लक्ष्‍य को हमेशा लिखा करते थे. वह वहां लिखा करते थे कि वह ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज में काम करना चाहते हैं. आत्मविश्वास बढ़ाने में मां ने अहम भूमिका निभाई. मेंटर और दोस्त सैंड्रो सैंड्री की मदद से आर्डे ने किशोरावस्था में पढ़ना और लिखना शुरू किया. इसके बाद सरे विश्वविद्यालय से फिजिकल एजुकेशन और एजुकेशन स्टडीज में डिग्री हासिल की और पीई टीचर बन गए. बाद में उन्‍होंने एजुकेशन स्टडीज में दो मास्टर डिग्री और पीएचडी भी की. इतनी परेशान‍ियां भी उनके हौसले को डिगा नहीं पाईं. जेसन आर्डे ने वर्ष 2018 में अपना पहला पेपर प्रकाशित किया और रोहैम्पटन विश्वविद्यालय में सीनियर लेक्चररशिप हासिल कर ली. बाद में वह दरहम विश्वविद्यालय में सोशियोलॉजी सामजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर बन गए. वह साल 2021 में ब्रिटेन में सबसे कम उम्र के प्रोफेसरों में से एक बने. जेसन आर्डे ने कहा, भले ही मैं बहुत ज्यादा आशावादी हूं, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है. अगर मैं शर्त लगाने वाला आदमी होता तो ऐसा होने की संभावना बहुत कम थी. ये सच में हैरान कर देने वाला है.

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