देहरादून
उत्तराखंड पीसीएस मुख्य परीक्षा से गणित हटाने की मांग हुई तेज, अभ्यर्थियों ने कहा-पुराने पैटर्न से परीक्षा कराना विश्वासघात
उत्तराखंड पीसीएस मुख्य परीक्षा से गणित हटाने की मांग हुई तेज, अभ्यर्थियों ने कहा पुराने पैटर्न से परीक्षा कराना विश्वासघात।
सीएन, हल्द्वानी/देहरादून। उत्तराखंड पीसीएस में सिलेबस बदलाव की मांग व पीसीएस मुख्य परीक्षा के प्रश्न पत्र सात से गणित विषय को हटाए जाने की मांग लगातार अभ्यर्थी करते आ रहे थे, विगत वर्ष उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा अभ्यर्थियों की निरंतर उठ रही मांग को गंभीरता से लेते हुए सिलिब्स बदलाव के प्रस्ताव शक्शन को भेजे थे जिसेशशन द्वारा लौटते हुए पुराने पैटर्न पर परीक्षा कराने की बात कही गयी थी जिसका अब पीसीएस अभ्यर्थी खुल कर विरोध करने आ गए है व इसे राज्य के निवासरत पीसीएस अभ्यर्थियो के साथ विश्वासघात बताया है। बताते चले कि 9 फरवरी को पीसीएस अभ्यर्थियों सहित तमाम अभ्यर्थियों द्वारा देहरादून कुच किया गया था,जिसके बाद दुखःद लाठीचार्ज का घटनाक्रम हुआ था व मुख्यमंत्री ने सभी से यह कहा था कि अभ्यर्थियो की मांगों पर गम्भीरता से विचार किया जा रहा है, जिसके बाद अभ्यर्थियों के शिष्टमंडल ने लगातार उत्तराखंड लोक सेवा आयोग तथा मुख्यमंत्री से कई दौर की वार्ता की, जिसके बाद मुख्यमंत्री द्वारा अभ्यर्थियो को यह आश्वस्त किया गया था कि आगामी परीक्षा से परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया जाएगा व प्रश्नपत्र 7 से गणित हटाकर राज्यविशेष के 2 प्रश्नपत्र लाये जाएंगे व उत्तराखंड में भी अन्य राज्यों की तरह नियमित रूप में पीसीएस की परीक्षा कराई जाएंगी । बताते चले कि सिलिब्स बदलाव की मांग को लेकर उत्तराखंड पीसीएस अभ्यर्थि संघ के अध्यक्ष पीयूष जोशी द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जारी पत्र में उन्होंने समाचार पत्रों में जारी शासन की ओर से जारी बयान जिसमे पुराने पैटर्न पर ही पीसीएस परीक्षा जाने की बात कही गयी है उसकी कड़ी निंदा की है व इसे राज्य के तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए नासूर भी बताया है। मुख्यमंत्री को जारी पत्र में कहा गया है कि अभी तक उत्तराखंड पीसीएस का सिलेबस पूरे देश भर के पीसीएस के सिलेबस में एकमात्र ऐसा सिलेबस है जहां मुख्य परीक्षा में भी प्रश्न पत्र 7 में गणित 120 अंको की है व सत्यनिष्ठा व अभिरुचि (एथिक्स व इंटिग्रिटी) 80 नंबर की। उन्होंने कहा कि लगातार उत्तराखंड में भ्रष्टाचार व अधिकारियों की घोटालों में संलिप्तता प्रत्यक्ष रूप में सामने आ रही है इसकी एक वजह पीसीएस अभ्यर्थियों मैं सत्यनिष्ठा व अभिरुचि की कमी को भी माना जा सकता है पर राज्य सरकार इसकी बजाय मुख्य परीक्षा में भी अभ्यर्थी के गणितीय गुण तलाश रही है। बताते चले कि अभ्यर्थी की गणित व टार्टिक सहमत का आंकलन प्रिलिम्स के सीसेट के पेपर में ही हो जाता है तो वही पीसीएस की मुख्य परीक्षा व्यक्ति के बौद्धिक क्षमता, लेखन शैली व विपरीत परिस्थिति में निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाने के लिया जाता है। जबकि मुख्य परीक्षा में गणित का होना कला संकाय के साथ-साथ पूर्व में गणित से ग्रेजुएट अभ्यर्थियों के लिए भी एक बड़ी रुकावट बन जाता है। पीसीएस अभ्यर्थि संघ ने पिछले पीसीएस के रिजल्ट का हवाला देते हुए बताया कि अभी तक राज्य में लगभग 85 फ़ीसदी रिजल्ट में गणित अथवा इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के बच्चों का प्रत्यक्ष रूप में दबदबा रहा है ,जो कला संकाय व गणित न होने वाले अभ्यर्थियों के साथ पक्षपात है,साथ ही प्रश्न पत्र 7 में 120 नंबर गणित का होना पहाड़ी क्षेत्रों के बच्चों के लिए एक अभिशाप जैसा है। क्योंकि बड़े शहरों के अभ्यर्थी 120 नंबर की गणित के लिए बड़ी-बड़ी कोचिंग संस्थानों को ज्वाइन कर लेते हैं व अच्छी रैंक के साथ सिलेक्शन पा लेते हैं वहीं एक आम मध्यम वर्ग का व्यक्ति का सिलेक्शन ना होने का कारण पीसीएस प्रश्न पत्र 7 में गणित होगा होना है। मुख्यमंत्री को जारी पत्र में पीसीएस अभ्यर्थी संघ ने स्पष्ट रूप में यह कहा कि आगामी उत्तराखंड पीसीएस की परीक्षा नवीन पैटर्न से कराई जाए इसके लिए उन्होंने बकायदा अभ्यर्थियों के साथ बैठकर संभावित सिलेबस की एक रफ ड्राफ्ट बनाकर राज्य सरकार व उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को भी भेजा है। बताते चलें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में भी पीसीएस की परीक्षा के सिलेबस में बदलाव किया गया जिसमें राज्य विशेष के दो प्रश्न पत्र जोड़े गए, इसके साथ-साथ बाकी प्रश्नपत्र यूपीएससी की तर्ज पर वैसे ही रखे गए थे।
अभ्यर्थियों की मांग यही है कि उसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी परीक्षा का पैटर्न बदलाव हो व नवीन पाठ्यक्रम के अनुरूप ही पीसीएस की मुख्य परीक्षा कराई जाए व यह बदलाव इसी सत्र से लागू हो, अन्यथा पीसीएस के अभ्यर्थी मजबूरन विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे ।
साथ ही उन्होंने पुराने पैटर्न से परीक्षा कराने को राज्य के अभ्यर्थियों के साथ मुख्यमंत्री द्वारा किया जा रहा छलावा बताया।