मनोरंजन
बॉलीवुड के मशहूर सिंगर व संगीतकार बप्पी लहिरी का निधन
उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में भी हुई उनके गीतों की शूटिंग
सीएन, मुंबई/नैनीताल। बॉलीवुड के मशहूर सिंगर और संगीतकार बप्पी लहिरी का मुंबई में जुहू के क्रिटी केयर अस्पताल में निधन हो गया है। बप्पी लहरी की उम्र 69 साल थी। बताया जा रहा है कि उनका निधन रात करीब 11 बजे हुआ। बप्पी लहिरी पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। बप्पी लहरी बप्पी लहरी ने नैनीताल में फिल्माई गई फिल्म प्यार में थोड़ हो जाय व दमादम टिृविस्ट में भी अपनी आवाज व संगीत दिया था। 1980 और 1990 के दशकों में अपने संगीत और गानों के जरिये लोगों के दिलों पर छाने वाले बप्पी लहरी ने डिस्को डांसर, शराबी और नमक हलाल जैसी सुपरहिट फिल्मों में गाने गाए और संगीत दिया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 1986 में उन्होंने 33 फिल्मों में 180 गानें गाए। उनका ये रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। उन्हें फिल्ममेयर की ओर से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। बप्पी लहिरी की उसकी लोकप्रियता देखनी हो उनके गानों के यूट्यूब व्यूज पर मत जाइए। अस्सी और नब्बे के दशक वाले भारत में बड़े हुए किसी भी शख्स से पूछिए कि उसके पसंदीदा डांस सॉन्ग्स कौन से हैं। यकीनन, बप्पी दो के गाने उसकी लिस्ट में जरूर होंगे। उस वक्त भारत और आसपास के देशों में डिस्को और पॉप म्यूजिक से झुमाने वाले दो ही नाम थे- बिद्दू और बप्पी दा। डिस्को डांसर, शराबी, नमक हलाल, चलते चलते… बप्पी दा के सुनहरे करियर की मशहूर फिल्में हैं। सिंथेसाइज्ड म्यूजिक से बॉलिवुड में छा जाने वाले बप्पी दा की पहचान ताउम्र भले ही ‘डिस्को किंग’ ही रही हो, मगर उन्होंने कुछ बेहद खूबसूरत गाने भी बनाए हैं। हिंदुस्तानी रागों पर आधारित इन गानों में चाशनी की तरह मेलोडी घुली हुई है। बप्पी दा के कई गाने टाइमलेस क्लासिक्स हैं। बप्पी दा सिर्फ डिस्को और पॉप ही नहीं, हिंदुस्तानी और क्लासिकल पर भी बराबर अधिकार रखते थे। ‘बाजार बंद करो’ फिल्म में मुकेश से गवाया ‘मोहे कर दे बिदा…’ सुनिए। विदाई के इस गीत में बप्पी दा ने शहनाई से जो दर्दभरा भाव जगाया है, वह कलेजा चीर जाता है। 1974 में आई ‘एक लड़की बदनाम सी’ के ‘रहें ना रहें चाहें…’ में गजब का ऑर्कस्ट्रेशन है। 70 के दशक में बॉलिवुड पर आरडी बर्मन का जादू छाया हुआ था। उसी दरम्यान, 1975 में आई एक फिल्म ने पूरी इंडस्ट्री को मजबूर कर दिया कि वह बप्पी लाहिरी का टैलेंट पहचाने। वो फिल्म थी ‘जख्मी’। चाहे किशोर की आवाज में ‘जलता है जिया मेरा भीगी-भीगी रातों में…’ हो या लता मंगेशकर के गले से निकला ‘अभी अभी थी दुश्मनी…’ इस फिल्म के गानों में वेस्टर्न मेलोडी समाई हुई थी। ‘जख्मी’ में ही लता मंगेशकर और पूर्णिमा ने ‘आओ तुम्हें चांद पे…’ गाया जिसमें बप्पी दा ने अपनी वर्सटैलिटी दिखाई है। एक और फिल्म जिसमें बप्पी दा ने क्लासिकल म्यूजिक दिया, वह थी 1976 में आई चलते चलते। फिल्म का टाइटल गीत आज तक सुना जाता है। लता मंगेशकर की आवाज में ‘दूर दूर तुम रहे…’ में बप्पी दा पियानो पर अपनी बाजीगरी दिखाते हैं। ‘लहू के दो रंग’ का ‘जिद ना करो…’ भी ऐसा ही गाना है। बप्पी दा का जन्म 1952 में पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में हुआ। उन्हें बचपन में ‘बापी’ नाम से बुलाते थे जिन्हें उन्होंने बाद में प्रोड्यूसर शोमू मुखर्जी के कहने पर ‘बप्पी’ कर दिया। इस तरह अलोकेश लाहिरी, बप्पी लाहिरी बने। बप्पी के माता-पिता का बंगाली सिनेमा में नाम था। लता मंगेशकर भांप गईं कि इस बच्चे में संगीत के प्रति गहरा लगाव है। उन्हीं के कहने पर बप्पी ने 5 साल की उम्र में तबला सीखना शुरू किया। 11 साल की उम्र थी जब बप्पी लाहिरी ने अपनी पहली धुन बनाई। 20 की उम्र में बप्पी ने बंगाली फिल्म ‘दादू’ से बतौर म्यूजिक डायरेक्टर डेब्यू किया, मगर वह कलकत्ता (कोलकाता) तक सीमित नहीं रहना चाहते थे।