अल्मोड़ा
क्लाइमेट चेंज, प्रीवेंशन, अडेप्टेशन एंड संस्टेनेबल डेवलेपमेंट इन द हिमालयन रीजन‘ पर दिवसीय सेमिनार हुआ आयोजित
सीएन, अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के वनस्पति एवं रसायन विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जी 20 के अंतर्गत जंतु विज्ञान विभाग के सभागार में ‘क्लाइमेट चेंज, प्रीवेंशन, अडेप्टेशन एंड संस्टेनेबल डेवलेपमेंट इन द हिमालयन रीजन‘ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित हुआ। इस सेमिनार का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति एवं सेमिनार के संरक्षक प्रो. जगत सिह बिष्ट, संगोष्ठी के अध्यक्ष प्रो. पीएस बिष्ट (अधिष्ठाता प्रशासन), बीज वक्ता प्रो. जेएस रावत (पूर्व निदेशक, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फाॅर एनआरडीएमएस इन उत्तराखंड), विशिष्ट अतिथि प्रो. जया उप्रेती (संकायाध्यक्ष, विज्ञान), संयोजक प्रो. जीसी शाह (विभागाध्यक्ष, रसायन विज्ञान विभाग), कुलसचिव प्रो. इला बिष्ट, सह संयोजक डाॅ. धनी आर्या (विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग), डॉ. देवेन्द्र सिंह धामी आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ किया।
कार्यक्रम में दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ अतिथियों का बैच लगाकर एवं शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर सेमिनार के संयोजक एवं रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जीसी शाह द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन के फलस्वरूप कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। जिनकी रोकथाम के लिए ये सेमिनार कारगर सिद्ध होगा। रसायनों का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बरतनी होगी। सेमिनार के सह संयोजक डाॅ. धनी आर्या ने सेमिनार की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने सेमिनार के उद्देश्यों को प्रस्तुत करते हुए पर्यावरण को लेकर ध्यान आकर्षित किया। और कहा कि कई कारणों से पयार्वरण का निरंतर क्षरण हो रहा है। जिसके कारण हमारे खाद्य, कृषि , जल आदि में पर्यावरण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। जलवायु परिवर्तन तापमान और मौसम के रुख में दीर्घकालिक बदलाव हुए हैं। उन्होंने जी 20 के संबंध में भी बात की। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने जी 20 के अंतर्गत आयोजित हुए सेमिनार के लिए आयोजकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जलवायु में एक अनिश्चितता आई है। हमारे पर्वतीय प्रदेशों में भी पर्यावरण परिवर्तन के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। उत्तराखंड जैसे ठंडे राज्य में भी पर्यावरण परिवर्तन के प्रभाव देखे जा सकते हैं। अब समय से पहले फूल खिल रहे हैं, फल लग रहे हैं। नगरीकरण एवं अनियोजित विकास होने से प्रकृति को नुकसान पहुंचा है। बीज वक्ता के रूप में प्रो. जेएस रावत ने नादियों के जलस्तर और पर्यावरण में हो रहे निरंतर बदलाव पर बीज वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि मानव के कारण प्रकृति को नुकसान हुआ है। ग्लेशियरों के संबंध में बात रखते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति के विरुद्ध कार्य करने, मानवीय हस्तक्षेप के कारण ग्लेशियर सिकुड़ गए हैं। जिससे नदियों में जल की उपलब्धता कम हुई है। उन्होंने कोसी पुनर्जनन आदि को लेकर प्रस्तुतिकरण दिया। विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. जया उप्रेती ने सेमिनार में सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सेमिनार का ज्वलंत विषय है। जिस पर मंथन किया जाएगा और साथ ही विद्यार्थियों को इसका लाभ मिलेगा। अध्यक्षता करते हुए परिसर अध्यक्ष प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि पर्यावरण के लिए हमें चिंतित होना होगा। हमें पर्यावरण के लिए जनजागरूकता कार्यक्रमों का संचालन करने की आवश्यकता है। प्रो. बिष्ट ने उन्होंने पर्यावरण के प्रभावों पर विस्तार से बात रखी। प्रभारी कुलसचिव प्रो. इला बिष्ट ने जलवायु परिवर्तन एवं भू ताप पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में हो रहे नित नित बदलाव को गंभीरता से देखना होगा। हमें पर्यावरण के प्रति उदार होना होगा, भौतिकवादी जीवनशैली का त्याग करना होगा।
इसके उपरांत तकनीकी सत्र प्रारंभ हुआ। तकनीक सत्र में डाॅ. बलवंत कुमार (निदेशक, ग्रीन ऑडिट, एसएस जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा) ने पर्यावरण के संबंध में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने वनस्पति में पर्यावरण असन्तुलन के प्रभावों की चर्चा की। और कहा कि परिसर में जो भी संसाधन मौजूद हैं उनका प्रबंधन, नियोजन एवं उन संसाधनों का पुनः उपयोग का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन प्राप्त संसाधनों को जुटाकर परिसर परिवार को जागरूक किया जाएगा।
इसके साथ तकनीकी सत्र में प्रतिभागियों द्वारा खुला डिस्कशन किया गया। संगोष्ठी के आयोजक सचिव एवं रसायन विज्ञान विभाग के डाॅ. देवेंद्र सिंह धामी ने आभार जताया एवं सेमिनार का संचालन किया। उन्होंने पर्यावरण और सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। और कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें संतुलित विकास पर ध्यान देना होगा। इस एक दिवसीय सेमिनार में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. इला साह, प्रो. अरविंद सिंह अधिकारी (संकायाध्यक्ष कला), डॉ. रुबीना अमान,डॉ देवेन्द्र सिंह बिष्ट (विकास एवं नियोजन अधिकारी), डॉ प्रियंका सागर, डॉ तेजपाल सिंह, डॉ. नन्दन सिंह बिष्ट, डॉ. रवींद्र कुमार, डाॅ. योगेश मैनाली, डाॅ. सुभाष चंद्रा, प्रो. हरीश चंद्र जोशी, डॉ. आरसी मौर्या, डाॅ. प्रतिभा फुलोरिया, डॉ. मनमोहन कनवाल, डॉ. राजेन्द्र जोशी, डॉ पूरन जोशी, डॉ अरविंद यादव, डाॅ. ललित जोशी सहित सैकड़ों की संख्या में रसायन एवं वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षक उपस्थित रहे।