अल्मोड़ा
हिमालयी क्षेत्रों में जंगल की आग के प्रबंधन पर विस्तृत शोध की सख्त जरूरत
हिमालयी क्षेत्रों में जंगल की आग के प्रबंधन पर विस्तृत शोध की सख्त जरूरत
अल्मोड़ा/कुल्लू। गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जगदीश चंद्र कुनियाल हिमाचल क्षेत्रीय केंद्र, मौहल, कुल्लू में चार दिवसीय दौरे पर हैI आज निदेशक का कुल्लू के जिलाधीश और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, शमशी के निदेशक व वन संरक्षक से मुलाकात हुई और विस्तृत रूप से शोध पर चर्चा हुईI संस्थान के निदेशक ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण सरक्षण और उसके शोध पर विस्तृत रूप से विचार-विमर्श किया I जिलाधीश ने कुल्लू जिला में हो रहे पर्यावरणीय बदलाव पर चिंता जाहिर की और संस्थान को ग्राम स्तर पर शोध करने का आग्रह कियाI कुल्लू जिला में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारणों और निवारण पर संस्थान के कार्यो की भी सराहना की और कहा की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर संस्थान को भविष्य में कुल्लू जिला प्रशासन के साथ मिल कर समाधान करने की आवश्यकता है साथ ही निदेशक ने उत्तराखंड में संस्थान की मदद से जिला पर्यावरण प्रबंधन योजना पर भी प्रकाश डालI निदेशक वन संरक्षक (जीएचएनपी) ने भी सस्थान के कार्यो की सहराना की और एक साथ मिल कर शोध कार्य करने का आग्रह कियाI हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ती जंगल की आग पर चिंता जाहिर की और हिमालयी क्षेत्रों में जंगल की आग के प्रबंधन के ऊपर विस्तृत शोध करने की सख्त जरूरत हैI संस्थान के निदेशक द्वारा आज पहली बार हिमाचल क्षेत्रीय केंद्र में जीआईजेड एवं गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के बीच एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये गए। इस दौरान संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल एवं जीआईजेड के प्रतिनिधि डॉ. राम नाथ उपस्थित रहे। इस समझौता पत्र के हस्ताक्षर से वनस्पति संरक्षण एवं स्वदेशी मधुमखियो के संरक्षण से जुड़े सभी मुद्दों पर दोनों संस्थान मिल कर कार्य करेंगे जिससे हिमाचल के किसानो एवं बागवानों को लाभ मिलेग। इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जगदीश चंद्र कुनियाल व हिमाचल क्षेत्रीय केंद्र प्रमुख व वरिष्ठ वैज्ञानिक ई. राकेश कुमार सिंह, डॉ. वसुधा अग्निहोत्री, डॉ. सरला शाशनी, डॉ. रेनू नेगी, डॉ. केसर चंद व् सभी शोधकर्ता और कर्मचारी मौजूद रहेI