स्वास्थ्य
ईएनटी सर्जन नहीं तो पीएमएस से ही सर्जरी करा लो….स्वास्थ्य विभाग की बदहाल कार्यशैली पर संजय का तीखा प्रहार
सीएन, अल्मोड़ा। उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और दमनकारी प्रशासनिक रवैये पर सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने कड़ा प्रहार किया है। अल्मोड़ा जिला अस्पताल में ईएनटी सर्जन की लगातार गैरमौजूदगी के बावजूद, स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा 14 मई 2025 को जारी एक विवादास्पद पत्र में अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एचसी गड़कोटी को ईएनटी सर्जन मानते हुए उनसे ईएनटी सर्जरी कराने का असंवैधानिक आदेश दिया गया। अस्पताल में ईएनटी सर्जन नहीं तो सीएमएस से ही ऑपरेशन करा लो…क्या यही है स्वास्थ्य विभाग की ‘देखभाल’? यह स्वास्थ्य विभाग नहीं, कोई हास्य मंडली लग रही है। अधिकारियों की उदासीनता और लचर प्रबंधन से मरीज बेहाल हैं। सर्जन का पद वर्षों से खाली पड़ा है, जिससे अस्पताल में गंभीर चिकित्सा सेवा बाधित है। डॉ. मोनिका सम्मल का स्थानांतरण आदेश पहले ही जारी हो चुका है, लेकिन उन्हें ड्यूटी ग्रहण करने से रोक दिया गया है। संजय पाण्डे ने आरोप लगाया है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश चंद्र पंत और प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हरीश गड़कोटी द्वारा अपने उच्चाधिकारियों को लगातार गुमराह करने वाली रिपोर्ट भेजी जा रही हैं, जिससे अस्पताल की असली स्थिति छुपाई जा रही है और डॉ. मोनिका सम्मल की नियुक्ति रोकी जा रही है। यह प्रकरण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेशों का सीधा उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि शिकायतकर्ता की सहमति के बिना कोई शिकायत बंद नहीं की जाएगी। यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य विभाग जानबूझकर शिकायतों को दबाने, भटकाने और निस्तारित होने से रोकने का प्रयास कर रहा है। संजय पाण्डे ने इस गंभीर मसले पर नई शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने मांग की हैकि डॉ. मोनिका सम्मल को बिना विलंब कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दी जाय। डॉ. रमेश चंद्र पंत और डॉ. हरीश गड़कोटी की भ्रामक रिपोर्टों की स्वतंत्र उच्च स्तरीय जांचकी जायः हेल्पलाइन प्रणाली की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और शिकायतों के निष्पक्ष निस्तारण हेतु स्वतंत्र समिति गठन की जाय। यह गंभीर मामला प्रधानमंत्री कार्यालय, राज्यपाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव उत्तराखंड एवं विधानसभा अध्यक्ष को भी तत्काल सूचित कर दिया गया है। इनके त्वरित हस्तक्षेप एवं प्रभावी कार्रवाई की अपेक्षा है ताकि स्वास्थ्य विभाग की यह शर्मनाक विफलता समाप्त हो।
