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नैनीताल

भारत बन सकता है भविष्य में औषधि क्षेत्र में विश्व गुरु : प्रो. ललित तिवारी

भारत बन सकता है भविष्य में औषधि क्षेत्र में विश्व गुरु : प्रो. ललित तिवारी
सीएन, नैनीताल।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोध निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने आज जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर राजस्थान केयूजीसी मानव संसाधन विकास केंद्र द्वारा आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में औषधीय पौधों के वितरण एवं दर्जा विषय पर ऑनलाइन माध्यम से व्याख्यान दिया। प्रो. तिवारी ने कहा की विश्व में 52885 औषधीय एवं सगंध पौधो है। जिसमें से भारत में 7500 है।उन्होंने कहा की नीम सुगर में तथा पपीते की पत्तियां पपैन देती हैं तो बज्रदंत, अतीश, कुठ, दूध अतीश, सतुआ, चंद्रयान, मैदा, महामैदा, नैरपति, चूक थुनर, अमलतास, हरर, ईसबगोल, सुन पत्ती, अश्वगंधा, पीपली, तुलसी, वासा के लाभ बताते हुए मानव जीवन के लिए बहुत हितकारी है। प्रो. तिवारी ने कहा की सिद्धा, आयुर्वेद यूनानी, सोया रिगपा, होम्योपैथी, पश्चिमी दवाई में पौधे की विभिन्न प्रजातियां प्रयोग में लाई जाती है। उत्तराखंड पर जोर देते हुए उन्होंने बताया की खैर, अपामार्ग, रत्ती, सतावर, दांती, साल्पर्णी, स्योनक, बहेरा अर्जुन, तेजपत्ता,गिलोय सहित 701 औषधीय पौधे मिलते है जिसमें से 250 प्रजातियां व्यापार में शामिल है। औषधीय पौधे 70 से 80 प्रतिसत जंगलों से प्राप्त किए जाते है। अतः सरकारों को इस पर पॉलिसी निर्धारण करना होगा तथा जैव प्रौद्योगिकी एवं एग्रो टेक्नोलॉजी से इसका संरक्षण एवं सतत विकास में इनकी उपलब्धता पर कारगर होना होगा। प्रो. तिवारी ने कहा की उपलब्धता एवम जलवायु से भारत भविष्य में औषधि क्षेत्र में विश्व गुरु बन सकता है। रिफ्रेशर कोर्स में भारत के विभिन्न प्रदेशों के 78 प्राध्यापक प्रतिभाग कर रहे है।

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