Connect with us

स्वास्थ्य

आज 10 अगस्त को है डेंगू निरोधक दिवस: डेंगू के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने का दिन

आज 10 अगस्त को है डेंगू निरोधक दिवस: डेंगू के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने का दिन
सीएन, नैनीताल।
प्रतिवर्ष 10 अगस्त को डेंगू के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने तथा इसके प्रति सचेत रहने के लिए डेंगू निरोधक दिवस मनाया जाता है। डेंगू अथवा डेंगी, डेंगू बुख़ार, डेंगू फीवर, डेंगू ज्वर एक ख़तरनाक संक्रामक रोग है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुख़ार के नाम से भी जानते है क्योंकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत दर्द होता है। मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू सभी मच्छर से नहीं फैलता है। यह केवल कुछ जाति के मच्छर से फैलता है। इस रोग का वाहक एडीज मच्छर की दो प्रजातियां हैं, एडीज एजिपटाई तथा एडीज एल्बोपिक्टस के नाम से जाने जाते हैं। डेंगू बुखार दिन में काटने वाले दो प्रकार के मच्छरों से फैलता है। ये मच्छर एडीज इजिप्टी तथा एडीज एल्बोपिक्टस के नाम से जाने जाते हैं। डेंगू वायरस के संक्रमण द्वारा होता है इसे डेन वायरस भी कहते हैं। डेंगू वायरस चार प्रकार के होते हैं। डेंगू सभी मच्छर से नहीं फैलता। यह केवल कुछ जाति के मच्छर से ही फैलता है जो की मुख्यतः फ्लावर विरिडे परिवार तथा फ्लाविविरस जीन का हिस्सा होते है। साधारणतः डेंगू बुखार के लक्षण संक्रमण होने के 3 से 14 दिनों के बाद ही दिखता हैं और इस बात पर भी निर्भर करता हैं कि बुखार किस प्रकार है। डेंगू बुखार के प्रकार हमने ऊपर बता रखा है। डेंगू बुखार के लक्षण एक से अधिक भी हो सकते है। सामान्य डेंगू बुखार के लक्षण कुछ ऐसे होते हैं।. ब्लड प्रेशर का सामान्य से बहुत कम हो जाना। ख़ून में प्लेटलेट्स की संख्या कम होना प्रतिघन सेमी रक्त में 100,000 से कम होना। प्लाज्मा रिसाव होने के साक्ष्य मिलना हेमा ट्रोक्रिट में 20 प्रतिशत से ज़्यादा वृद्धि या हीमाट्रोक्रिट में 20 प्रतिशत से ज़्यादा गिरावट। रोगी को अचानक बिना खांसी व जुकाम के तथा ठंड व कंपकंपी के साथ अचानक तेज़ बुखार चढ़ना तेज बुखार 104-105 डिग्री जो की 2.7 दिन तक लगातार रहना। रोगी के सिर के अगले हिस्से में तेज़ दर्द रहना, आंख के पिछले भाग में रहना, कमर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना। मिचली, उल्टी आना या महसूस होना। शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते होना। आँखे लाल रहना, आंखों में दर्द रहना। हमेशा थका.थका और कमजोरी महसूश करना। जोड़ों में सूजन होना। भूख न लगना, खाने की इच्छा में कमी, मुँह का स्वाद ख़राब होना, पेट ख़राब हो जाना। नींद न आना या नींद में कमी। फिलहाल अभी तक विज्ञान जगत में कोई सत्यापित इलाज नहीं है, ड़ेंगू से बचाव ही डेंगू का सबसे बेहतरीन इलाज है। डॉक्टर की सलाह अनुसार दवा और ब्लड टेस्ट करवा कर काफी हद तक इसपे काबू किया जा सकता है। चूँकि डेंगू बुखार, मच्छरों के काटने से होता है। सम्भवतः जितना हो सके मच्छरों से बचाव के तरीके अपनाया जाना चहिए। ऐसे मच्छरों के शरीर पर चिता जैसी धारियां बनी रहती है, तो ऐसे मच्छरों से सावधान रहे। आपके घर के आसपास अगर कहीं जलजमाव वाली जगह हो तो वहां के सफाई का खास ख्याल रखा जाना चाहिए। घर के अंदर और आसपास कहीं पानी को जमा न होने दें। घर के दरवाजे और खिड़कियों की जालियां लगाकर रखे। टायर, डब्बे, कूलर, पशुओ के लिए रखे पानी, गमले में रुके पानी को बदलते रहे और साफ़ करते रहना चाहिए। खाली बर्तनों को खुले में न रखे उसे ढक कर रखे। घर में सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें। घर में मच्छर भगाने वाले कॉयल, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग करें। बाहर जाने से पहले मॉस्किटो रेपलेंट क्रीम का प्रयोग करें। अगर आस.पास में किसी को यह संक्रमण है तो विशेष सावधानी बरते। अगर 5 दिन से अधिक समय तक बुखार हो तो तुरंत चिकित्सक से मिले और रक्ताच जरूर करा लें। डेंगू बुखार में ठंडा, ताजा बकरी का दूध, 250 मिलीलीटर की मात्रा में एक दिन में दो बार दिया जाता है। डेंगू बुखार के मुख्य जटिलताएँ हैं सेलेनियम की कमी है और प्लेटलेट्स  में कमी होना होता है। सेलेनियम बकरी के दूध का मुख्य घटक है। डेंगू बुखार के इलाज के लिए बकरी का दूध बहुत उपयोगी है क्योंकि यह सीधे प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है, ऊर्जा देता है, शरीर में जरूरी तरल की आपूर्ति करता है और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देता। डेंगू बुखार के लिए गिलोय, पपीता पत्तेए एलोवेराध्मुसब्बर वेरा का रस और बकरी का दूध देना लाभप्रद होता है। गिलोय के तनों को तुलसी के पत्ते के साथ उबालकर डेंगू पीड़ित व्यक्ति को देना चाहिए। यह मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, इम्युनिटी और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है। हल्दी में मेटाबॉलिज्म बढ़ाने का गुण होता है, यह दर्द और घाव को जल्दी ठीक करने में भी उपयोगी होता है। हल्दी का सेवन दूध में मिलाकर किया जा सकता है। तुलसी के पत्ते, 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें एवं 2 या 3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में गर्म कर ले। जब पानी की मात्रा 250 मिमी तक रह जाए तो उतार ले और यह काढ़ा रोगी को थोड़े समय के अंतराल पे देते रहे, यह ड्रिंक आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और एंटी.बैक्टीरियल तत्व के रूप में कार्य करती है। पपीते के पत्तों को गरम करके या पत्तियों को कूट कर उपयोग में लाया जा सकता हैं। यह बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालने तथा प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में हेल्प करता है। मेथी के पत्ते इसकी पत्तियों को पानी में भिगोकर छानकर पानी को पीया जा सकता है। इसके अलावा मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं। यह पत्तियां बुखार कम करने में सहायता करती है। गोल्डनसील इसका उपयोग जूस बनाकर या चबाकर किया जाता है। इसमें डेंगू बुखार को बहुत तेजी से खत्म कर शरीर में से डेंगू के वायरस को खत्म करने की क्षमता होती है। गोल्डनसील नॉर्थ अमेरिका में पाई जाने वाली एक हर्ब है।

More in स्वास्थ्य

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING