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स्वास्थ्य

आज 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस : बिना साइड इफेक्ट रोगों का इलाज करने वाली प्रणाली

आज 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस: बिना साइड इफेक्ट रोगों का इलाज करने वाली प्रणाली
सीएन, नैनीताल।
आयुर्वेदिक और एलोपैथिक इलाज के बीच होम्योपैथी भी तेजी से अपनी जगह बना रही है। वैश्विक स्तर पर सौम्य उपचार प्रणाली के तौर पर मान्यता हासिल कर चुकी होम्योपैथी को पसंद करने वाले भारत में भी अब हर गली-नुक्कड़ में मिल जाएंगे। इसके बावजूद इलाज की इस विधा को लेकर कई तरह के मिथक आज भी जनता के मन में मौजूद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के आयुष मंत्रालय ने इन मिथकों को दूर करने के लिए होम्योपैथी से जुड़ा ऐसा आयोजन करने की तैयारी की है, जिसे आज तक का अपनी तरह का सबसे बड़ा जमावड़ा माना जा रहा है। होम्योपैथी के संस्थापक कहलाने वाले जर्मन डॉ. सैमुएल हैनिमैन की 10 अप्रैल को जयंती के मौके पर आयुष मंत्रालय की तरफ से केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग और राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान ने यह आयोजन कराने की तैयारी की है। यह दिन विश्व होम्योपैथी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। बिना साइड इफेक्ट रोगों का इलाज करने वाली प्रणाली में आयुर्वेद और होम्योपैथी दोनों को शामिल किया जाता है। इसमें भी होम्योपैथी का मानना होता है कि शरीर की इम्यूनिटी रोगों को खुद से ठीक करने के लिए काफी होती है। इसलिए होम्योपैथी का इस्तेमाल लोग आज काफी ज्यादा कर रहे हैं। सन 1700 के अंत में होम्योपैथी की शुरूआत मानी जाती है, जिसे आज भी बहुत से देशों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। होम्योपैथी का विकास जर्मनी में किया गया था। इसलिए इसे जर्मन चिकित्सा विज्ञान भी कहा जाता है। 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। डॉ. सैमुअल हैनीमैन जिन्हें होम्योपैथी का जनक माना जाता है। उनकी जयंती के अवसर पर हर साल 10 अप्रैल के दिन विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. सैमुअल हैनीमैन एक जर्मन चिकित्सक थे। हैनीमैन उन चिकित्सा पद्धतियों और दवाओं के खिलाफ थे जो शरीर पर साइड इफेक्ट डालते हैं। उनकी इस सोच ने चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ ऐसा काम करने का काम किया, जिससे उन्हें होम्योपैथी के संस्थापक के रूप में पहचान मिली है। विश्व होम्योपैथी दिवस मनाने का उद्देश्य है कि इस चिकित्सा पद्धति के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए। जिससे होम्योपैथी के संपूर्ण फायदे लोगों को मिल सकें। इसके अलावा होम्योपैथी के लिए लोगों में वैज्ञानिक आधार को मजबूत करना और शोध और अनुभवों को लोगों को साथ साझा करना है।

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