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एक गवाही कराने की फीस 20 हजार, सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगा पलटा फैसला

एक गवाही कराने की फीस 20 हजार, सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगा पलटा फैसला
सीएन, नई दिल्ली।
घरेलू हिंसा के एक मामले में पीड़ित महिला पर अपीलेंट कोर्ट ने अनोखी शर्त लगा दी। महिला ने अपने दावों को सही साबित करने के लिए अपीलेंट कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसे गवाह पेश करने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने कहा कि ठीक है लेकिन हर एक गवाह के लिए महिला को 20 हजार रुपये जमा कराने होंगे। वो जितने चाहें उतने गवाह पेश कर सकती है। महिला को केस की सुनवाई के दौरान मेंटीनेंस से भी वंचित रखा गया। उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो अनोखे तरह की राहत मिली। हाईकोर्ट ने कहा कि चलो कुछ फीस कम कर देते हैं। आप हर एक गवाह के लिए दस हजार रुपये जमा करा दो। महिला को न्याय नहीं मिला तो वो सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर जा पहुंची। महिला ने 2005 के घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया था। ट्रायल कोर्ट ने उसे गवाह पेश करने की अनुमति नहीं दी और केस को खारिज कर दिया। उसने अपीलीय अदालत में गुहार लगाई तो हर गवाह की कीमत 20 हजार रुपये हो गई। दिल्ली हाईकोर्ट गई तो गवाहों की कीमत 10 हजार रुपये कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी सुब्रमण्यम और पंकज मित्तल की बेंच ने फैसलों को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हर शख्स को अपनी बात रखने का अधिकार है। वो कोर्ट में आकर न्यया की गुहार लगा सकता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अदालत पीड़ित से ही फीस वसूल करने लग जाए। ऐसा करना किसी भी तरीके से सही नहीं माना जा सकता।

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