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राजद्रोह पर एससी में सुनवाई, कपिल सिब्बल ने काटा सरकार का तर्क

सीएन, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज राजद्रोह मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह मामले पर दोबारा विचार कर रही है और सुनवाई को टाला जा सकता है। सरकार के तर्क को काटते हुए याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सर्वोच्च अदालत कानून की संवैधानिक वैधता परख रही है और इसे टाला नहीं जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम राजद्रोह कानून पर दोबारा विचार कर रहे हैं। आप सुनवाई टाल सकते हैं। इसपर सिब्बल ने सरकार की दलील का विरोध किया। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत कानून की संवैधानिक वैधता परख रही है। सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही इसलिए नहीं रोकी जा सकती है कि सरकार उसपर विचार करने की बात कर रही है। सरकार की दलील पर चीफ जस्टिस एन वी रमण ने कहा कि हमारी नोटिस महीनों पहले की है। पहले आपने कहा कि दोबारा विचार की जरूरत नहीं है। अब आपने हलफनामा दिया है। आखिर आप कितना वक्त लेंगे? सरकार ने चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ में दाखिल हलफनामे के अनुसार कहा था कि वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए के प्रावधानों का पुन: अध्ययन और पुनर्विचार करने का फैसला किया है जो सक्षम मंच पर ही हो सकता है। हलफनामे में कहा गया इसके मद्देनजर, बहुत सम्मान के साथ यह बात कही जा रही है कि माननीय न्यायालय एक बार फिर आईपीसी की धारा 124 ए की वैधता का अध्ययन करने में समय नहीं लगाए और एक उचित मंच पर भारत सरकार द्वारा की जाने वाली पुनर्विचार की प्रक्रिया की कृपया प्रतीक्षा की जाए ।

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