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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम, चुनाव प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम, चुनाव प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग
सीएन,नईदिल्ली।
भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में इसकी अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि क़रीब दो दशक से हर संसदीय और विधानसभा चुनाव में इन्हें इस्तेमाल किया जा रहा है। अपने 45 साल के इतिहास में ईवीएम को शंकाओं, आलोचनाओं और आरोपों का भी सामना करना पड़ा है, लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने में ईवीएम बहुत अहम भूमिका निभाती है। ईवीएम में गड़बड़ी या इसके जरिये धांधली से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने समय-समय पर कई कोशिशें भी की हैं। ईवीएम का मतलब है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन। साधारण बैटरी पर चलने वाली एक ऐसी मशीन जो मतदान के दौरान डाले गए वोटों को दर्ज करती है और वोटों की गिनती भी करती है। ये मशीन तीन हिस्सों से बनी होती है। एक होती है कंट्रोल यूनिट सीयू, दूसरी बैलेटिंग यूनिट बीयू ये दोनों मशीनें पांच मीटर लंबी एक तार से जुड़ी होती हैं। तीसरा हिस्सा होता है. वीवीपैट। बैलेटिंग यूनिट वह हिस्सा होता है जिसे वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखा जाता है और बैलेटिंग यूनिट को पोलिंग ऑफिसर के पास रखा जाता है। ईवीएम से पहले जब बैलट पेपर यानी मतपत्र के ज़रिये वोटिंग होती थी तब मतदान अधिकारी मतदाता को काग़ज़ का मतपत्र दिया करते थे। फिर मतदाता मतदान कंपार्टमेंट जाकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के आगे मुहर लगा देते थे। फिर इस मतपत्र को मतपेटी में डाल दिया जाता था। लेकिन ईवीएम की व्यवस्था में काग़ज़ और मुहर का इस्तेमाल नहीं होता। अब मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर बैलेट बटन दबाते हैं उसके बाद मतदाता बैलेटिंग यूनिट पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के आगे लगा नीला बटन दबाकर अपना वोट दर्ज करते हैं। यह वोट कंट्रोल यूनिट में दर्ज हो जाता है। यह यूनिट 2000 वोट दर्ज कर सकती है। मतदान संपन्न होने के बाद मतगणना इसी यूनिट के माध्यम से की जाती है। एक बैलेटिंग यूनिट में 16 उम्मीदवारों के नाम दर्ज किए जा सकते हैं।
अगर उम्मीदवार अधिक हों तो अतिरिक्त बैलेटिंग यूनिट्स को कंट्रोल यूनिट से जोड़ा जा सकता है। चुनाव आयोग के अनुसार ऐसी 24 बैलेटिंग यूनिट एक साथ जोड़ी जा सकती हैं। जिससे नोटा समेत अधिकतम 384 उम्मीदवारों के लिए मतदान करवाया जा सकता है। भारत के चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम बहुत ही उपयोगी है और यह पेपर बैलट यानी मतपत्रों की तुलना में सटीक भी होती है। क्योंकि इसमें ग़लत या अस्पष्ट वोट डालने की संभावना खत्म हो जाती है। इससे मतदाताओं को वोट देने में भी आसानी होती है और चुनाव आयोग को गिनने में भी। पहले सही जगह मुहर न लगने के कारण मत खारिज हो जाया करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। चुनाव आयोग कहता है कि इसके इस्तेमाल के लिए मतदाताओं को तकनीक का ज्ञान होना भी ज़रूरी नहीं है। निरक्षर मतदाताओं के लिए तो इसे और भी ज्यादा सुविधाजनक बताया जाता है। ईवीएम को लेकर कई राजनीतिक दल आपत्ति जताते रहे हैं। इन शंकाओं को दूर करने के इरादे से चुनाव आयोग एक नई व्यवस्था लेकर आया जिसे वोटर वेरिफ़ायबल पेपर ऑडिट ट्रेल वीवीपीएट कहा जाता है। आम बोलचाल में इसे वीवीपैट भी कहा जाता है। यह ईवीएम से जोड़ा गया एक ऐसा सिस्टम है जिससे वोटर यह देख सकते हैं कि उनका वोट सही उम्मीदवार को पड़ा है या नहीं। ईवीएम की बैलेट यूनिट पर नीला बटन दबते ही बगल में रखी वीवीपैट मशीन में उम्मीदवार के नाम, क्रम और चुनाव चिह्न वाली एक पर्ची छपती है, सात सेकंड के लिए वह वीवीपैट मशीन में एक छोटे से पारदर्शी हिस्से में नज़र आती है और फिर सीलबंद बक्से में गिर जाती है। वीवीपैट वाली ईवीएम का इस्तेमाल पहली बार साल 2013 में नागालैंड के नोकसेन विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के दौरान किया गया था। अब हर चुनाव में वीवीपैट को इस्तेमाल किया जाता है और यह ईवीएम का अभिन्न अंग हैं। शंकाओं का निदान करने के लिए ऐसी व्यवस्था भी बनाई गई है कि हर चुनाव क्षेत्र की किसी एक मशीन का रैंडम तरीके से चयन किया जाता है और फिर ईवीएम मशीन के वोटों का मिलान, वीवीपैट पर्चियों के वोटों से किया जाता है। चुनाव आयोग के अनुसार अगर कहीं पर मशीन में आ रहे वोटों के आंकड़े वीवीपैट की पर्चियों के आंकड़ों से अलग आते हैं तो वीवीपैट के आंकड़ों को तरजीह दी जाएगी। ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को आयात नहीं किया जाता। इन्हें भारत में ही डिज़ाइन किया गया है और यहीं इनका निर्माण होता है। चुनाव आयोग के अनुसार इसके लिए दो सरकारी कंपनियां अधिकृत हैं। एक है भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बीईएल करती है जो रक्षा मंत्रालय के तहत आती है और दूसरी कंपनी है इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ईसीआईएल जो डिपार्टमेंट ऑफ़ एटॉमिक एनर्जी के तहत आती है। ये दोनों कंपनियां चुनाव आयोग द्वारा बनाई टेक्निकल एक्सपर्ट्स कमेटी टीईसी के मार्गदर्शन में काम करती है।

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