राष्ट्रीय
देश का पहला स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना में शामिल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीमोदी बोले-‘भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है आईएनएस विक्रांत’
सीएन, नई दिल्ली। भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत का कमीशन होना भारतीय नौसेना के इतिहास में एक निर्णायक क्षण होगा। इसी नाम का और देश के पहले विमानवाहक पोत का उत्तराधिकारी बनाया गया ये एयरक्रॉफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत या ‘आईएसी-1’ भारत को दुनिया की महान नौसेनिक ताकतों के एक चुनिंदा क्लब में पहुंचा देगा. देश को एक ‘ब्लू वाटर नेवी’ यानी दुनिया भर में पहुंच और गहरे समुद्र में ऑपरेशन करने की क्षमता वाली एक समुद्री शक्ति बनाने में आईएनएस विक्रांत बड़ी भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूके और चीन के साथ उन देशों के समूह में भी शामिल हो गया है, जो विमान वाहक पोत को डिजाइन करने और बनाने में सक्षम हैं। इसके अलावा पूरी तरह से लोड होने पर 43,000 टन की विस्थापन क्षमता के साथ आईएनएस विक्रांत दुनिया में सातवां सबसे बड़ा एयरक्रॉफ्ट कैरियर होगा। पुराना आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना का पहला विमानवाहक पोत था। इसे ब्रिटेन से 1957 में भारत ने खरीदा था। भारतीय नौसेना में आईएनएस विक्रांत को 1961 में कमीशन किया गया था।
30 विमानों से होगा लैस
अपने पूरी तरह क्षमता में आईएनएस विक्रांत पर 30 विमान तैनात होंगे। जिसमें रूसी मूल के मिग-29 लड़ाकू जेट और एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग कंट्रोल हेलीकॉप्टर कामोव-31, यूएस में बने एमएच-60 मल्टी रोल हेलीकॉप्टर शामिल होंगे। इसके साथ ही घरेलू उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) भी इस पर तैनात रहेंगे।
इंडियन इकोनॉमी को मिला बढ़ावा
विक्रांत को लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। नौसेना ने कहा है कि लगभग 80 से 85 प्रतिशत रकम भारतीय इकोनामी में लगी है। इसमें प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। इससे 2,000 सीएसएल कर्मियों को रोजगार दिया गया है और 13,000 अन्य को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। नौसेना के मुताबिक आईएनएस विक्रांत पर उड़ान परीक्षण नवंबर तक शुरू होने वाला है और एयरक्रॉफ्ट कैरियर के 2023 के मध्य तक पूरी क्षमता से चालू होने की उम्मीद है। भारतीय नौसेना रूस के कीव-क्लास के आईएनएस विक्रमादित्य और नए आईएनएस विक्रांत के अलावा तीसरे विमान वाहक पोत की मांग पर जोर दे रही है। लगभग 65,000 टन की प्रस्तावित विस्थापन क्षमता के साथ दूसरे स्वदेशी विमान वाहक पोत का नाम आईएनएस विशाल रखा जा सकता है। इसके पीछे सोच ये है कि अगर किसी कारण से तीसरा विमान वाहक पोत मरम्मत के लिए गया है तो भारत के पास किसी भी समय दो विमान वाहक पोत सक्रिय हालत में हों।