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कारगिल युद्ध : सेना के पराक्रम और शौर्य को सेलिब्रेट करने के लिए मनाया जाता है विजय दिवस
कारगिल युद्ध : सेना के पराक्रम और शौर्य को सेलिब्रेट करने के लिए मनाया जाता है विजय दिवस
सीएन, नईदिल्ली। देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है। 26 जुलाई 1999 का वो दिन भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन भारत ने दुनिया के सबसे मुश्किल युद्धों मे से एक कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। आज कारगिल विजय दिवस की 23 वीं वर्षगांठ है इस दिन तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की संयुक्त राजधानी कारगिल है। ये वही जगह है, जहां पर पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों ने मई 1999 में घुसपैठ की थी। लेकिन भारतीय सैनिकों ने अपने पराक्रम का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए थे। ‘कारगिल विजय दिवस’ कारगिल युद्ध में शहीद हुए नायकों के सम्मान में मनाया जाता है, जो मातृ भूमि की सेवा करते हुए शहीद हो गए। हर साल इस दिन, प्रधान मंत्री दिल्ली में इंडिया गेट पर ‘अनन्त लौ’, अमर जवान ज्योति पर सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि देते हैं। इस दिन भारतीय फौज ने उन सभी चौकियों को वापस पाकिस्तान से वापस ले लिया था। जिन पर उसने कब्जा किया हुआ था। ये लड़ाई जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में साल 1999 में मई से जुलाई के बीच हुई थी। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी दिए बिना तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई थी। 60 दिनों तक चले इस युद्ध में शहीद हुए भारत के सैनिकों को ‘कारगिल विजय दिवस’ में याद किया जाता है। 26 जुलाई 1999 को सेना ने मिशन को सफल घोषित किया। लेकिन जीत की कीमत बहुत ज्यादा देनी पड़ी थी। कैप्टन विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए वीर जवानों में से एक थे। बत्रा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। हाल ही में विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित शेरशाह नाम की एक फिल्म बनी थी। अक्टूबर 1998 में उस समय के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कारगिल प्लान को मंजूरी दी थी। कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश थी। भारतीय नियंत्रण रेखा (एलओसी) से पाकिस्तानी सैनिकों को हटाने के लिए ये युद्ध हुआ।