पर्यटन
स्पेस टूरिज्म : अंतरिक्ष में जाने और घूमने का भी मिलेगा मौका
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन छह करोड़ रुपये में अंतरिक्ष की सैर कराएगा
सीएन, नईदिल्ली। अगर अंतरिक्ष में जाने और घूमने का आपको मौका मिल जाए तो क्या ही कहना। लेकिन भविष्य में यह संभव होने जा रहा है। आज दुनिया के कई देश स्पेस टूरिज्म की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। अमेरिका, चीन और जापान जैसे देश इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अब इन देशों की लिस्ट में भारत का नाम जुड़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि भारत अपने स्वयं के स्पेस टूरिज्म मॉड्यूल पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। रिर्पोटों के अनुसार सोमनाथ ने कहा, ‘साल 2030 तक अंतरिक्ष की सैर की जा सकती है जिसके लिए प्रति व्यक्ति 6 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इस यात्रा पर जाने वाले लोग भी खुद को अंतरिक्ष यात्री कह सकेंगे।’ हालांकि इसरो चीफ सोमनाथ ने यह स्पष्ट नहीं किया कि स्पेस टूरिज्म उप-कक्षीय (100 किमी की ऊंचाई तक, अंतरिक्ष के किनारे तक) या कक्षीय (400 किमी) होगा। आमतौर पर ऐसी यात्राओं में पर्यटक अंतरिक्ष के किनारे पर लगभग 15 मिनट बिताते हैं। नीचे उतरने से पहले कुछ मिनट कम गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण का भी अनुभव करते हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने फरवरी में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि इसरो ने भारत के उप-कक्षीय अंतरिक्ष पर्यटन के लिए व्यवहार्यता अध्ययन करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि गगनयान के माध्यम से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में इसरो विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विकास में लगा हुआ है। एयरोस्पेस इंजीनियर डेनिस टिटो साल 2001 में स्पेस टूरिज्म के लिए भुगतान करने वाले पहले अंतरिक्ष पर्यटक बने थे। उन्होंने सोयुज अंतरिक्ष यान पर उड़ान भरने और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर एक सप्ताह बिताने के लिए रूस को 2 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था। तब से, ब्लू ओरिजिन, वर्जिन गैलेक्टिक और स्पेसएक्स सहित कई कंपनियों ने लगभग 450,000 डॉलर से उप-कक्षीय अंतरिक्ष उड़ानों पर टिकट के साथ अंतरिक्ष में भ्रमण की पेशकश शुरू कर दी है।
इसरो छह करोड़ रुपये में लोगों को अंतरिक्ष की सैर कराएगा
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि इसरो छह करोड़ रुपये में लोगों को अंतरिक्ष की सैर कराएगा। अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में यह फैसला लिया है। इसके लिए वर्ष 2030 को लक्ष्य रखा गया है। सोमनाथ ने बताया, सरकार की अंतरिक्ष पर्यटन पहल गति पकड़ रही है। भारत वैश्विक बाजार में ‘प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अंतरिक्ष के लिए टिकट की कीमत तय करेगा। प्रति टिकट की लागत लगभग छह करोड़ रुपये हो सकती है। उन्होंने कहा, यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए तकनीकी विषयों पर चर्चा हो रही है। यात्रा करने वाले लोग खुद को ‘अंतरिक्ष यात्री कह सकेंगे। बता दें कि सरकार ने फरवरी में बताया था कि इसरो ने अंतरिक्ष पर्यटन के लिए अध्ययन करना शुरू कर दिया है। देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के माध्यम से इसरो विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विकास में लगा हुआ है। इससे जरिये साधारण लोगों को भी अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। यह पता नहीं चल सका है कि यात्री कितनी ऊंचाई या किस कक्षा तक जाएंगे और कितना समय बिताएंगे। आमतौर पर पर्यटक अंतरिक्ष पर लगभग 15 मिनट बिताते हैं। निजी अंतरिक्ष एजेंसियां ब्लू ऑरिजिन, वर्जिन गैलेक्टिक और स्पेसएक्स अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में काफी समय से काम कर रही हैं। यात्री रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में पहुंचते हैं और उसमें लगे विशेष यान से धरती पर लौटते हैं।