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पहले फेज में होगी उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख जातीय जनगणना

पहले फेज में होगी उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख जातीय जनगणना
सीएन, नईदिल्ली।
भारत सरकार द्वारा जनगणना 2027 के लिए अधिसूचना जारी करते ही तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार दो फेज में जातीय जनगणना कराएगी। नोटिफिकेशन के मुताबिक पहले फेज की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी। इसमें 4 पहाड़ी राज्य- हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं। वहीं 1 मार्च 2027 से दूसरा फेज शुरू होगा। इसमें देश के बाकी राज्यों में जनगणना शुरू होगी। यह 2011 के बाद देश की पहली जनगणना होगी। इससे पहले रविवार को गृहमंत्री अमित शाह ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 16वीं जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की थी। बता दें किए केंद्र ने 30 अप्रैल 2025 को जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया था। देश में आजादी के बाद यह पहली जातीय जनगणना होगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि जातीय जनगणना को मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। जनगणना का होना बहुत ही जरूरी है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। इसे हर 10 साल में किया जाता है। इस हिसाब से 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। जनगणना के आधार पर चुनावी निर्वाचन क्षेत्र बनाए जाते हैं और एससी और एसटी कैटेगरी के लिए सीटें रिजर्व की जाती हैं। शिक्षा से लेकर ग्रामीण विकास तक के मंत्रालय स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का पता लगाने के लिए जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हैं। संविधान का अनुच्छेद 82 सबसे हालिया जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन अनिवार्य करता है। अनुच्छेद 330 और 332 एससी और एसटी के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात के आधार पर विधानसभाओं में सीटें रिजर्व करते हैं। यह प्रोसेस भी दो फेज में पूरा किया जाता है। पहला तो घरों की लिस्ट बनाना और घरों की जनगणना व उसके बाद दूसरा फेज जनसंख्या की गणना। इन फेज के बीच में कई महीनों का अंतर होता है। जनगणना को पूरा करने के लिए करीब 30 लाख जनगणना करने वालों की जरूरत होगी। इसमें ज्यादातर स्कूल के टीचर्स को तैनात किए जाने का अनुमान है। इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट और सब डिस्ट्रिक्ट लेवल पर लगभग 1,20,000 वर्कर हैं। यह जनगणना के काम का मैनेजमेंट, देखरेख या मदद करते हैं। हाउस लिस्टिंग फेज में देश में हर संरचना का दौरा किया जाता है ताकि इमारतों और घरों की विशेषताओं को दर्ज किया जा सके। गणना करने वाला घर के मुखिया, सदस्यों की संख्या, इसकी बनावट में इस्तेमाल की गई सामग्री, रूम की संख्या, पानी और बिजली के सोर्स खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन और टीवी, फोन, वाहन आदि जैसी संपत्तियों की उपलब्धता के बारे में डेटा इकट्ठा करता है। यह आवास की गणना के बाद वाला फेज होता है। इसमें ज्यादा फोकस व्यक्तिगत डेटा इकट्ठा करने पर रहता है। इसमें नाम, उम्र, जेंडर, डेट ऑफ बर्थ, घर के मुखिया, वैवाहिक स्थिति, एजुकेशन, धर्म, जातीय, विकलांगता की स्थिति के बारे में डेटा इकट्ठा किया जाता है। 2027 की जनगणना भारत के इतिहास की पहली डिजिटल जनगणना होगी। इसमें मोबाइल ऐप और रियल टाइम मॉनिटरिंग का इस्तेमाल किया जाएगा। यह 1931 के बाद पहली जनगणना भी है जिसमें सभी समुदायों के लिए जाति डेटा इकट्ठा किया जाएगा। गौरतलब है कि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2011 में सामाजिक.आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाई गई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने करवाया था। हालांकि इस सर्वेक्षण के आंकड़े कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर इसके हाउसहोल्ड के आंकड़े ही जारी किए गए हैं। जनगणना एक्ट 1948 में की गणना का प्रावधान है। ओबीसी की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे ओबीसी की 2,650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे।

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