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17 बार किया भगवान कृष्ण का रोल, लोग मानने लगे थे भगवान

100 वीं बर्थ एनिवर्सरी : एक्टर ही नहीं बल्कि फिल्म निर्माता और राज नेता भी थे रामाराव
सीएन, हैदराबाद।
नन्दमूरि तारक रामाराव यानी एनटी रामाराव साउथ इंट्रस्टी का जाना माना नाम रहे हैं। आज उनकी 100 वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 28 मई 1923 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव निम्माकुरु में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही एक शिक्षक सुब्बा राव से ग्रहण की। उनके माता-पिता ने बचपन में ही उन्हें उनके मामा को गोद दे दिया था। गांव में अच्छी शिक्षा का प्रबंध नहीं था इसलिए एनटी रामा राव अपने गांव में महज पांचवीं कक्षा तक ही पढाई कर पाए। इसके पश्चात वह अपने दत्तक माता-पिता के साथ विजयवाड़ा चले गए जहाँ उन्होंने नगर निगम के विद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने सन 1940 में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए विजयवाड़ा के एसआरआर.और सीवीआर कॉलेज में दाखिला लिया। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए पढ़ाई के दौरान रामाराव अपने परिवार की मदद करने के लिए विजयवाड़ा के स्थानीय होटलों में दूध वितरण का कार्य करते थे। वर्ष 1945 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए आन्ध्र-क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया। सन 1942 में उन्होंने अपने मामा की बेटी के साथ विवाह किया। एनटी रामा राव ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत मना देसम (1949) नामक तेलुगु फिल्म में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका के साथ की। इसके बाद उन्होंने एक अंग्रेजी नाटक पिजारो पर आधारित और बीए सुब्बाराव द्वारा निर्देशित फिल्म ‘पल्लेतुरी पिल्ला’ में अभिनय किया। इस फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की और रामाराव एक लोकप्रिय अभिनेता बन गए। अपनी पहली पौराणिक फिल्म ‘माया बाज़ार’ में उन्होंने हिन्दू देवता कृष्ण का चरित्र निभाया था। यह फिल्म भी बहुत कामयाब हुई जिसके बाद एनटी रामाराव ने अधिकांशत: हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्में की। उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, भीष्म, अर्जुन, कर्ण, दुर्योधन, विष्णु, शिव आदि के किरदार निभाए। उन्होंने 17 फिल्मों में कृष्ण का चरित्र निभाया था जिनमें प्रमुख हैं ‘श्री कृष्णार्जुन युधम’, ‘कर्णं’ और ‘दानवीर सूर कर्ण’। बाद के सालों में एनटी.रामा राव ने पौराणिक फिल्मों को छोड़ ऐसे किरदारों को निभाया जो स्थापित व्यवस्था के खिलाफ लड़ता है। ये फिल्में आम आदमी के बीच बहुत लोकप्रिय हुईं। इनमें प्रमुख हैं ‘देवुदु चेसिना मनुशुलु’, ‘अदावी रामुडु’, ‘ड्राईवर रामुडु’, ‘वेतागादु’, ‘सरदार पापा रायुडु’, ‘जस्टिस चौधरी’ इत्यादि। एनटी रामा राव ने फिल्मों में पटकथा लेखन भी किया। उन्होंने फिल्म निर्माता के तौर पर कई फिल्में भी बनायीं और राजनीति में प्रवेश के बाद भी फिल्मों में कार्य करते रहे। रामाराव एक्टर ही नहीं बल्कि फिल्म निर्माता और राज नेता भी थे। 300 फिल्मो में काम करने के बाद एनटीआर ने 1982 में तेलगुदेशम पार्टी की स्थापना की और पॉलिटिक्स में एंट्री ले ली। उनकी पॉपुलेरिटी ऐसी थी कि लोग उन्हें भगवान मानते थे। एनटी रामाराव के फिल्मी सफर की शुरुआत साल 1949 में हुई थी। मना देशम नाम की फिल्म से उन्होंनें साउथ सिनेमा में कदम रखा। एक समय आया जब वो साउथ में मनोरंजन का दूसरा नाम बन चुके थे। उन्होंने इतने धार्मिक रोल किए कि लोग उन्हें पूजने लगे. उन्होंने 17 बार भगवान कृष्ण का रोल किया था। यह रिकॉर्ड बनाने वाले एनटी रामा राव पहले ऐसे भारतीय एक्टर हैं. तेलुगू के अलावा एनटीआर ने तमिल और हिंदी भाषाओं में भी फिल्में कीं. भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने साल 1968 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। साल 1982 में एनटीआर ने पॉलिटिक्स में एंट्री ली। फेमस एक्टर होने के चलते एनटीआर और उनकी पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली। इसके बाद वो आंध्र प्रदेश के 10 वें मुख्यमंत्री बने। 1983 से 1994 के बीच वो तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. 1995 में उनकी पार्टी और परिवार के सदस्यों के उनके खिलाफ हो जाने के बाद उनको पार्टी और सरकार से निष्कासित कर दिया गया था। कहा जाता है कि उनके कैबिनेट सहयोगी और दामाद एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में अचानक हुए तख्तापलट के कारण उन्हें उनकी पार्टी और सरकार से हटा दिया गया था। उनके दो बेटों ने इस तख्तापलट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसा कहा जाता है कि एनटीआर अपनी पार्टी की बागडोर अपनी दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती को सौंपने की योजना बना रहे थे। उन्होंने जनता का विश्वास जीतने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो पार्टी के समर्थन को वापस पाने में बुरी तरह विफल रहे. एनटीआर ने दावा किया था कि ये एक सुनियोजित विश्वासघात था और अपने बेटों और नायडू को सत्ता के भूखे और अविश्वसनीय बताया था। 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार -प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अपने पहले कार्यकाल के दौरान एन.टी. रामा राव ने जन मानस को एकत्र करना शुरू किया और महिलाओं और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने का कार्य किया। अगस्त 1984 में आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल रामलाल ने उन्हें हटाकर भास्कर राव को मुख्यमंत्री बना दिया पर भारी विरोध प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री ने राज्यपाल रामलाल को हटाकर शंकर दयाल शर्मा को नया राज्यपाल नियुक्त किया जिन्होंने रामा राव को सितम्बर 1984 में फिर से मुख्य मंत्री बनाया। एनटी रामाराव इतने लोकप्रिय थे कि इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद जब पूरे देश में कांग्रेस की लहर थी तब बस आंध्र-प्रदेश में कांग्रेस नहीं जीत पाई। इतना ही नहीं तेलुगु देशम लोक सभा में मुख्य विपक्षी दल भी बन गया। वर्ष 1989 के चुनाव में विरोधी लहर के कारण तेलुगु देशम पार्टी चुनाव हार गयी और कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में वापस आ गयी। सन 1994 में एनटी रामा राव दोबारा सत्ता में लौटे। उनकी तेलुगु देशम पार्टी की 226 सीटों पर विजय हुई। इस बार एनटी रामा राव महज 9 महीने के लिए ही मुख्यमंत्री पद रह पाए क्योंकि उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी के अन्दर भीतरघात कर रामा राव को पार्टी अध्यक्ष और मुख्य मंत्री पद से हटा दिया। एनटी रामाराव ने दो शादियां की थी. साल 1993 में 70 साल की उम्र में रामा राव ने तेलुगु लेखक लक्ष्मी पार्वती से दूसरी शादी की लेकिन उनके परिवारवालों ने लक्ष्मी को कभी स्वीकार नहीं किया। एनटी रामाराव की 12 संतानें थीं जिनमें से आठ बेटे और चार बेटियां थीं. आज एनटीआर के पोते जूनियर एनटीआर साउथ ही नहीं हिंदी फिल्मों में जाना-माना नाम हैं।

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