राजनीति
हिमाचल में 6 सीटों पर ही होगा उपचुनाव, निर्दलीय विधायकों को लगा झटका
हिमाचल में 6 सीटों पर ही होगा उपचुनाव, निर्दलीय विधायकों को लगा झटका
सीएन, शिमला। हिमाचल प्रदेश में लोकसभा सहित छह विधानसभा सीटों के लिए मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में निश्चित हो गया है कि अब प्रदेश में छह विधानसभा सीटों पर ही उपचुनाव होना है। नामांकन प्रक्रिया के लिए नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों की चुनाव लड़ने की उम्मीदों को भी झटका लगा है। 22 मार्च को तीनों निर्दलीय विधायकों ने लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा उपचुनाव में जाने के लिए अपने पदों से इस्तीफा दिया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने अभी तक इस्तीफे को मंजूर नहीं किया है। इस तरह अब तीनों निर्दलीय विधायकों की अब 1 जून को उपचुनाव में जाने की इच्छा पूरी नहीं हुई है। वहीं कांग्रेस को विधानसभा में बहुमत के लिए जादुई 35 के आंकड़े के लिए सिर्फ एक सीट जीतने की जरूरत है। कांग्रेस अगर एक सीट जीत जाती है तो 68 सदस्यों वाली विधानसभा में पार्टी विधायकों की संख्या 35 हो जाएगी। हिमाचल में तीन निर्दलीय विधायक विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसमें देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ के निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर व हमीरपुर से आशीष शर्मा ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा से अपने पदों से इस्तीफा दिया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे को मंजूर नहीं किया है। तीनों निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को अपने पदों से इस्तीफा दिया है। अब इस्तीफा मंजूर न होने से 1 जून को अब 6 विधानसभा सीटों पर ही चुनाव होगा। अभी तीनों निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा भी मंजूर नहीं हुआ है। इस बीच राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने तीनों निर्दलीय विधायकों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दायर की है। जिसमें इस्तीफा मंजूर होने से पहले ही भाजपा में शामिल होने पर तीनों विधायकों के खिलाफ दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई किए जाने की मांग की हैण् जिस पर 11 मई को सुनवाई होनी है। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस्तीफा मंजूर न करने पर तीनों निर्दलीय विधायकों ने हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसले को रिजर्व रखा है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना है कि निर्दलीय विधायक इस्तीफा मंजूर होने से पहले भाजपा में शामिल हो गए। इसलिए तीनों विधायकों के खिलाफ दल बदल विरोधी कानून के तहत विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दायर की गई है।