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राजनीति

अल्मोड़ा लोक सभा चुनाव 2024: भाजपा के अजय टम्टा व कांग्रेस के प्रदीप टम्टा का एक बार फिर हो रहा मुकाबला


-सीट पर वर्ष 1980, 1984 व 1989 में कांग्रेस के हरीश रावत लगातार चुनाव जीते
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
कांग्रेस हाईकमान द्वारा उत्तराखंड की हरिद्वार व नैनीताल लोकसभा सीट को छोड़ पौड़ी सीट से गणेश गोदियाल, टिहरी सीट से जोत सिंह गुनसाल व अल्मोड़ा सीट से प्रदीप टम्टा को अपना उम्मीद्वार घोषित कर दिया है। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर एक बार फिर भाजपा से वर्तमान सांसद अजय टम्टा व कांग्रेस से प्रदीप टम्टा परंपरागत प्रतिद्वंद्वी आमने.सामने होंगे। भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनावी मैदान में संघर्ष करते दिखाई देंगे वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप टम्टा जीतने के लिए फिर दमखम दिखाएंगे। इस सीट पर 1989 के चुनावों को छोड़ हमेशा कांग्रेस व बीजेपी के बीच मुकाबला होता आ रहा है। 1989 के चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस को यूकेडी ने कड़ी टक्कर दी थी। राज्य बनने के बाद भाजपा से अजय टम्टा तो कांग्रेस से प्रदीप टम्टा दलित नेता के रूप में उभरते गए। पहले विधानसभा चुनाव वर्ष 2002 में कांग्रेस ने सोमेश्वर सीट से प्रदीप टम्टा को टिकट दिया, लेकिन अजय टम्टा टिकट की दौड़ में पिछड़ गए। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी से अजय टम्टा की अदावत काम आई। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में सोमेश्वर सीट से भाजपा ने अजय टम्टा को टिकट दिया। वह चुनाव जीतने में सफल रहे और सरकार में मंत्री भी बने। अजय टम्टा अपने क्षेत्र के जाने पहचाने नेता है। उनका भाजपा के खांटी नेता अमित शाह से भी व्यक्तिगत संबंध बताये जाते है। उनके लिए भाजपा कोई कोर कसर नही छोड़ेगी। वर्ष 2009 में अल्मोड़ा संसदीय सीट आरक्षित हुई। तब भाजपा.कांग्रेस ने अजय और प्रदीप पर ही भरोसा जताया। यह चुनाव कांग्रेस के प्रदीप टम्टा जीतने में सफल रहे। मोदी कार्यकाल में एक बार फिर अजय टम्टा की किस्मत पलटी। मोदी लहर में वह वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे। अब 2024 के चुनाव में लगातार चौथी बार अजय टम्टा और प्रदीप टम्टा अल्मोड़ा संसदीय सीट पर दोनों एक बार फिर आमने.सामने होंगे। उम्मीद है कि दोनों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। इस बार भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता चेहरे बदलने की डिमांड कर रहे थे। लेकिन अला कमान ने पुराने चेहरों पर ही अपनी मुहर लगा दी है। इस सीट पर अब तक 17 बार लोक सभा चुनाव हो चुके है। जिसमें दस बार कांग्रेस ने कब्जा किया। छह बार भाजपा इस सीट पर काबिज रही। वर्ष 1980, 1984 व 1989 में कांग्रेस के हरीश रावत लगातार चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने जीत हासिल की। खास बात यह है कि इस लोक सभा की विधान सभाओं में इस बार भाजपा का वर्चस्व है। जहां तक भाजपा प्रत्याशी का सवाल है। 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस का यह मजबूत किला रहा है। बाद के वर्षो में वर्ष 1980 से वर्ष 1989 तक यहां कांग्रेस के खांटी नेता हरीश रावत ने अपना परचम लहराया था। वर्ष 1980 में वह भाजपा के दिग्गज डा. मुरली मनोहर जोशी को हरा कर लोक सभा में पहुंचे थे। वर्ष 1989 के बाद इस सीट पर लगातार भाजपा का कब्जा रहा। 2009 में कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने चुनाव जीत कर सूखा समाप्त करवाया। 2014 में मोदी लहर के चलते कांग्रेस प्रत्याशी को 95 हजार मतों के भारी अंतर से भाजपा ने पराजित किया। 2019 के चुनावों में भी भाजपा ने कांग्रेस को हरा दिया था। 2024 के आसन्न चुनावों में भाजपा को मोदी की गारंटी का नारा कितना काम आता है। यह बाद में ही पता चल पायेगा। लिहाजा चुनाव नतीजे जो भी आयेंगे वह चौकाने वाले होंगे।

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