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संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश : एक देश-एक चुनाव बिल पारित कराना आसान नहीं

संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश : एक देश-एक चुनाव बिल पारित कराना आसान नहीं
सीएन, नईदिल्ली।
एक देश एक चुनाव का संविधान संशोधन बिल आज लोकसभा में पेश किया गया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पेश किया है। वन नेशन, वन इलेक्शन बिल लोकसभा में पेश हो गया है। एक देश एक चुनाव का संविधान संशोधन बिल पारित कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है। संसद में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है। संविधान संशोधन के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। ऐसे में दोनों सदनों में सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत होना चाहिए और मतदान में 50 प्रतिशत से ज़्यादा वोट होने चाहिए। जबकि एनडीए के मुश्किल ये कि इंडिया गठबंधन के सभी दल एक देश एक चुनाव के खिलाफ हैं। यह बिल पूरे देश में एक चुनाव कराने की राह खोलता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक को मंजूरी दी थी। बीजेपी और उसके सहयोगी दल विधेयक के समर्थन में हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर में एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे थे। एक देश एक चुनाव के लिए सरकार दो बिल ला रही है। इनमें एक संविधान संशोधन का बिल है। जिसके लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी है। लोकसभा की 543 सीटों में एनडीए के पास अभी 292 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए 362 का आंकड़ा जरूरी है। वहीं राज्यसभा की 245 सीटों में एनडीए के पास अभी 112 सीटें हैं, वहीं 6 मनोनीत सांसदों का भी उसे समर्थन है। जबकि विपक्ष के पास 85 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए 164 सीटें जरूरी हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाना चाहती है। सरकार इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है। इस मुद्दे पर बनी रामनाथ कोविंद समिति को 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी थी। इनमें 32 दलों ने समर्थन किया था और 15 दलों ने इसका विरोध किया था। विरोध करने वालों दलों की लोकसभा सांसदों की संख्या 205 है। यानी बिना इंडिया गठबंधन के समर्थन के संविधान संशोधन बिल पारित होना मुश्किल है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल सितंबर में चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन के कार्यान्वयन को मंजूरी दी थी। दोनों ही गठबंधनों से असंबद्ध बीजेडी ने कहा है कि इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। सरकार इसीलिए इस पर व्यापक सहमति बनाने और सलाह.मशवरा की बात कह रही है और इसे संसद की संयुक्त समिति जेपीसी को भेज रही है। जेपीसी का अध्यक्ष बीजेपी का ही होगा और उसके सदस्यों की संख्या भी सबसे अधिक होगी।
एक देश, एक चुनाव बिल पर विपक्ष ने किया विरोध
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। इसका विरोध विपक्ष की ओर से किया गया। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, हमारी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है। यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। कई संविधान निर्माताओं और न्यायालय ने कहा है कि किसी को भी मूल ढांचे को बदलने का अधिकार नहीं है। यह विधेयक संविधान के खिलाफ है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत पर हमला है। विधेयक का प्रस्तुतीकरण और विचार इस सदन की विधायी क्षमता से परे है सरकार से इसे वापस लेने का आग्रह करता हूं। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार करता है। अनुच्छेद 82 और उप.अनुच्छेद 5 चुनाव आयोग को सारी शक्ति दे रहा है। हमेशा एक पार्टी कभी शासन नहीं कर सकती।

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