राजनीति
हिमाचल का सियासी संकट: भाजपा की सरकार बनेगी या लगेगा राष्ट्रपति शासन
हिमाचल का सियासी संकट: भाजपा की सरकार बनेगी या लगेगा राष्ट्रपति शासन
सीएन, शिमला। मुख्यमंत्री सुक्खू के खिलाफ नाराजगी जताते हुए दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया है। हिमाचल के सियासी संकट के बीच भाजपा की सरकार बनेगी या लगेगा राष्ट्रपति शासन अब सबकी नजर इसी में बनी है। इसके साथ ही कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक्शन मोड में है। माना जा रहा है कि सुक्खू को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है। हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा। बताया जाता है कि कुछ समय पहले भी सुक्खू को हटाने की कोशिश की गई थी लेकिन तब कांग्रेस के 40 में से 20 विधायकों ने मुख्यमंत्री का साथ दिया था। कुल मिलाकर कांग्रेस के पास सबसे अच्छा विकल्प यही है कि चाहे मुख्यमंत्री बदलना पड़े, लेकिन विधायकों को मना लिया जाए। तभी सरकार बची रह सकती है। दूसरी ओर भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में तभी आ सकती है कि तब कांग्रेस के और विधायक टूटकर आए। दल-बदल कानून से बचने के लिए दो तिहाई विधायकों को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आना जरूरी है। यदि पर्याप्त संख्या में विधायक टूटकर नहीं आते हैं और भाजपा सरकार बनाने योग्य बहुमत नहीं जुटा पाती है तो राष्ट्रपति शासन लगेगा। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पास बहुमत होने के बावजूद राज्यसभा की सीट भाजपा की झोली में जाने से प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया हैं। भाजपा के 15 विधायक सदन में जयराम ठाकुर ने कहा कि बजट पास करने के लिए हमारा निलंबन हुआ है। यह सरकार तो गिरी हुई है। साढ़े तीन बजे इन्होंने बजट पारित कर दिया। नैतिकता के आधार पर सरकार को इस्तीफा देना चाहिए। विक्रमादित्य सिंह ने भी इस्तीफा दिया है। इनके साथ तो विपक्ष से भी बुरा हुआ है। इसके बाद प्रतिपक्ष के विधायक सदन से उठकर लंच करने के लिए चले गए। विधानसभा सदन की बैठक शुरू नहीं हो पाई है। सदन में गतिरोध बना हुआ है। विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा ने भी नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से अनुरोध किया कि वे सदन से बाहर जाएं। लेकिन जयराम वह अपनी सीट से नहीं उठ रहे हैं। वहीं सत्तापक्ष सदन में मौजूद है।