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राजनीति

महाराष्ट्र में सियासी भूचाल : कितने खतरे में है उद्धव सरकार

विस में सदन के नेता और शिवसेना नेता शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ गायब
सीएन, मुंबई।
महाराष्ट्र में कल यानी सोमवार को हुए विधानपरिषद चुनाव के बाद राज्य में सियासी भूचाल मचा हुआ है. यहां भले ही शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेतृत्व वाला (महाविकास अघाड़ी) गठबंधन सत्ता में हो, लेकिन भाजपा ने 5 सीटों पर जीत दर्ज करके सबको चौंका दिया. दूसरी ओर शिवसेना, एनसीपी को 2-2 सीटें मिलीं और कांग्रेस 1 सीट ही जीत पाई. इसके बाद क्रॉस वोटिंग और पार्टी को धोखा देने की बातें होने लगीं. भाजपा अपने विधायकों के बल पर सिर्फ चार उम्मीदवारों को ही जीत दिला सकती थी, लेकिन उसने 5 उम्मीदवार खड़े किए. क्रॉस वोटिंग के दम पर भाजपा ने अपने पांचों उम्मीदवारों को जीत भी दिला दी राज्य सरकार में सहयोगी कांग्रेस के एक उम्मीदवार को न जिता पाने और भाजपा उम्मीदवार के जीतने से सबसे ज्यादा आघात शिवसेना को ही लगा है. राज्य की सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी को 10 दिन के भीतर यह दूसरा झटका लगा है. बता दें कि इससे पहले 10 जून को भी राज्यसभा चुनाव में बीजेपी अपने तीनों उम्मीदवारों को जीत दिलाने में कामयाब रही थी. वहीं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना को अपने दूसरे उम्मीदवार को हारते हुए देखना पड़ा था. विधानपरिषद चुनाव के साथ उपजा मौजूदा संकट राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार के लिए जी का जंजाल बन गया है. पार्टी के विधायकों की क्रॉस वोटिंग से पार्टी पहले ही परेशान थी, अब पार्टी में फूट साफ नजर भी आने लगी है. विधानसभा में सदन के नेता और वरिष्ठ शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ गायब हैं. बताया जा रहा है कि शिवसेना के कम से कम 17 विधायक शिंदे के साथ हैं. शिंदे सोमवार शाम से ही शिवसेना नेतृत्व के संपर्क में नहीं हैं. पार्टी के सीनियर नेता हार के कारणों पर मंथन कर रहे हैं. हालांकि, शिंदे सहित कुछ नेता ‘आउट ऑफ रीच’ हैं और सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि वह गुजरात के सूरत में एक होटल में ठहरे हुए हैं. इस प्रश्न का उत्तर हर कोई जानना चाहता है कि आखिर मौजूदा संकट राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार के लिए कितना बड़ा है? इस प्रश्न का उत्तर आसान नहीं है. फिर भी अगर सिर्फ शिंदे और 17 अन्य विधायक ही महाविकास अघाड़ी सरकार से अलग होते हैं तो सरकार को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि मौजूदा दौर में उद्धव सरकार को 169 विधायकों का समर्थन हासिल है और 17 विधायकों के बाहर निकल जाने के बाद उनके पास 152 विधायकों का समर्थन होगा. जबकि राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है. इस तरह से राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार को कोई खतरा नजर नहीं आता. भाजपा का दावा है कि कांग्रेस के कुछ विधायक भी उनके संपर्क में हैं. ऐसे में अगर यह विधायक भी महाविकास अघाड़ी सरकार से अलग होने की घोषणा करते हैं तो सरकार खतरे में आ सकती है. खबर है कि अपने एक उम्मीदवार की हार से कांग्रेस में खासी नाराजगी है और राज्य में कैबिनेट मंत्री वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट इस्तीफा दे सकते हैं. भले ही एकनाथ शिंदे के समर्थक 17 विधायक हों या जिन कांग्रेस विधायकों के बारे में भाजपा संपर्क में होने का दावा कर रही है, उनके सरकार से अलग होने के बावजूद सरकार पर फिलहाल खतरा नजर नहीं आता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह विधायक भाजपा को समर्थन देकर सत्ता में नहीं पहुंचा सकते हैं. अगर यह विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो, ऐसी स्थिति में भी इन पर दलबदल नियम के तहत कार्रवाई होगी और उनकी विधानसभा सदस्यता चली जाएगी. ऐसे में 288 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों का आंकड़ा 271 होगा और बहुमत का आंकड़ा 136 हो जाएगा. भाजपा के पास अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर कुल 113 विधायक हैं, जबकि महाविकास अघाड़ी सरकार के पास ऐसी स्थिति में 152 विधायक होंगे. अगर एकनाथ शिंदे के साथ 38 विधायक शिवसेना से अलग होकर भाजपा में शामिल होते हैं तो ऐसी स्थिति में उन सबकी सदस्यता बच सकती है. क्योंकि दलबदल कानून के तहत जब मौजूदा विधायकों में से दो तिहाही सदस्य किसी अन्य दल में शामिल होते हैं या अन्य राजनीतिक दल बनाते हैं तो उन पर दलबदल कानून लागू नहीं होता. शिवसेना के पास कुल 56 विधायक हैं, इस तरह से दो तिहाई सदस्यों की संख्या 38 होती है. अगर शिवसेना के 38 विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो भाजपा का आंकड़ा 105 से 143 पहुंच जाएगा. अगर वह भाजपा में शामिल न होकर अलग पार्टी बनाकर भी एनडीए का समर्थन करते हैं तो भी एनडीए के विधायकों का कुल आंकड़ा जो अभी 113 है वह 38 बढ़कर 151 हो जाएगा. इस तरह से एनडीए के पास राज्य विधानसभा में बहुमत होगा.

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