देहरादून
केंद्र सरकार पूंजीपति को बचाने के लिए विपक्ष की आवाज दबाने का कर रही प्रयास
सीएन, देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में जुटे विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने बैठक कर केंद्र सरकार पर एक पूंजीपति को बचाने के लिए विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया। तय किया गया कि 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती लोकतंत्र बचाओ-संविधान बचाओ दिवस के रूप में मनाया जाएगाशनिवार को सुभाष रोड स्थित एक होटल में जुटे विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने केंद्र की भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना की और एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठाने का प्रस्ताव पास किया। सभा को संबोधित करते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि आज देश में हर उस आवाज को दबाया जा रहा है, जो सवाल उठा रहा है। राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता भी इसलिए समाप्त की गई, क्योंकि उन्होंने एक पूंजीपति के देश में एकाधिकार स्थापित करने को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि आज देश में विपक्ष के नेताओं, बुद्धिजीवियों व असहमति की आवाजों का उत्पीड़न चरम पर है, यह एक गंभीर चिंता का विषय है। हरीश रावत ने कहा कि आज देश में बहुदलीय लाेकतंत्र को खत्म कर एक दलीय तानाशाही की ओर देश को धकेलने की साजिश हो रही है। बैठक में उक्रांद के काशी सिंह ऐरी ने सांविधानिक संस्थाओं को भी बंधक बनाने व ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से विपक्ष की आवाज को दबाने की निंदा की। बैठक की अध्यक्षता करते हुए पूर्व आईएएस एसएस पांगती ने बताया कि केंद्र की लोकतंत्र, संविधान व विपक्ष की आवाज को कुचलने की नीति की निंदा करने का प्रस्ताव पास किया गया है। बैठक का संचालन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र कुमार ने किया। सीपीएम से सुरेंद्र सजवाण, सीपीआई से समर भंडारी, रवींद्र जगी, उत्तराखंड क्रांति दल से काशी सिंह एरी, समाजवादी पार्टी से डाॅ. एसएन सचान, संजय मल्ल, ट्रेड यूनियन नेता जगदीश कुकरेती, निर्मला बिष्ट, राष्ट्रवादी पार्टी से नवनीत गुंसाई, जेडीएस से हरजिंदर सिंह, तृणमूल कांग्रेस से राकेश पंत, सर्वोदय आंदोलन से हरवीर कुशवा, विजय शुक्ला, वीरेंद्र त्यागी, पूर्व आईएएस एसएस पांगती एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए लोगों ने भागीदारी की।