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कौन सी सीट राहुल छोड़ सकते हैं, रायबरेली या वायनाड, क्या प्रियंका उतरेंगी मैदान में

कौन सी सीट राहुल छोड़ सकते हैं, रायबरेली या वायनाड, क्या प्रियंका उतरेंगी मैदान में
सीएन, नईदिल्ली।
लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड सीट से जीत दर्ज की है। उत्तर और दक्षिण की इन सीटों में किसी एक सीट को राहुल गांधी को छोड़ना पड़ेगा। अब इसे लेकर तरह.तरह की चर्चाएं सोशल मीडिया पर सामने आ रही है। हालांकि इस मामले को लेकर जब दिल्ली में राहुल गांधी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने मुस्कुराकर बेहद ही सधे अंदाज में जवाब दिया। हालांकि अभी तक कांग्रेस की ओर से इसे लेकर कोई बयान सामने नहीं आया है। चलिए आगे जानते कि आखिर कौन सी सीट राहुल गांधी छोड़ सकते हैं। 2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को करीब 1.70 लाख से अधिक वोटों से हराया था। 2019 में अमेठी से राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़े थे। तब उन्हें बीजेपी की स्मृति ईरानी से करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2024 में राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी की सीट से चुनाव लड़े और वह बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 390030 वोटों के अंतर से हराने से सफल रहे। पिछली बार की तरह इस बार भी राहुल गांधी ने वायनाड सीट से बंपर जीत दर्ज की है। हालांकि इस बार उनकी जीत का मार्जिन थोड़ा कम रहा है। इस चुनाव में राहुल गांधी ने वायनाड सीट से सीपीआई नेता एनी राजा को 3,64,422 वोटों के अंतर से हराया है। हालांकि रायबरेली की तुलना में यहां उनकी जीत का मार्जिन थोड़ा कम रहा है। अब राहुल गांधी को रायबरेली अथवा वायनाड में किसी एक सीट को रखना होगा। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर वह कौन सी सीट छोड़ेंगे। इसे लेकर दिल्ली में जब कल पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि मुझसे पूछा जा रहा है कि मैं वायनाड से सांसद रहूंगा या फिर बरेली से, मैं तो दोनों जगहों से सांसद रहना चाहता हूं, आप सबों को बहुत बधाई। वहीं राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर बकायदा वीडियो जारी कर दोनों ही सीटों के मतदाताओं के प्रति अपना आभार जताया साथ ही इच्छा जताई कि वह दोनों ही सीटों को रखना चाहते हैं लेकिन वह मजबूर हैं। अरसे बाद कांग्रेस ने यूपी में वापसी की हैं दो विधायकों वाली पार्टी के पास इस लोकसभा चुनाव में यूपी से छह सांसद मिल गए हैंं ये कांग्रेस के लिए किसी ऑक्सीजन से कम नहीं हैं सधी हुई रणनीति के तहत कांग्रेस ने जिस तरह से अमेठी में कम बैक किया है वह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं हैं चर्चा है कि कांग्रेस राहुल गांधी की जो इमेज यूपी में उभरी है उसे गंवाना नहीं चाहती हैं। ऐसे में संभव है कि पार्टी राहुल गांधी को रायबरेली सीट पर बरकरार रख सकती है। वहीं उन्हें वायनाड सीट छोड़ने के लिए कहा जा सकता है। साउथ में कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में है, इसलिए पार्टी यह फैसला ले सकती है। सोशल मीडिया पर चर्चा है कि राहुल गांधी यदि वायनाड सीट छोड़ते हैं तो उस सीट से पार्टी प्रियंका गांधी को उतार सकती है। क्योंकि राहुल गांधी ने कहा है कि वह दोनों ही सीटें रखना चाहते हैं, उसी के बाद चर्चाएं तेज हो गईं कि गांधी परिवार इन दोनों ही सीटों को फिलहाल अपने पास ही रखेगा। ऐसे में राहुल गांधी के सीट छोड़ने की स्थिति में प्रियंका गांधी को मैदान में उतारकर वह सीट कांग्रेस हासिल करने की कोशिश करेगी। रायबरेली सीट पर प्रियंका गांधी ने जब प्रचार की शुरुआत की थी उस दौरान उन्होंने लोगों को गांधी परिवार से मजबूत रिश्ते का हवाला देते हुए ये भरोसा दिया था कि कांग्रेस कभी उनका साथ नहीं छोड़ेगी। ऐसे में कांग्रेस अपने इस वादे पर अडिग रहकर स्थिति मजबूत रखना चाहती है। पार्टी नहीं चाहती है कि कोई वादाखिलाफी का मैसेज जनता के बीच जाए। कांग्रेस जानती है कि रायबरेली और अमेठी ये दो ऐसे रास्ते हैं जहां से यूपी में पार्टी की वापसी हो सकती है। इस चुनाव में ऐसा हुआ भी कांग्रेस ने छह सीटें जीतकर जबर्दस्त कम बैक किया है। पार्टी नहीं चाहेगी की राहुल गांधी को रायबरेली सीट छुड़वाकर वह खुद को यूपी में कमजोर करे। स्मृति ईरानी को हराकर पार्टी ने अमेठी में अपना बदला ले लिया है। अब पार्टी फिर नहीं चाहेंगी कि किसी दूसरे दल का उम्मीदवार यहां से नुकसान पहुंचाए। ऐसे में राहुल गांधी को रायबरेली सीट पर बरकरार रखना जरूरी है। इससे दोनों ही सीटों पर पार्टी की मजबूत पकड़ बनी रहेगी। रायबरेली और अमेठी सीट गांधी परिवार की प्रतिष्ठा मानी जाती है। अब पार्टी नहीं चाहेगी इस प्रतिष्ठा में किसी भी तरह की कोई आंच आए। बड़े संघर्ष के बाद पार्टी ने परिवार की प्रतिष्ठा हासिल की हैए इसलिए पार्टी इसमें कोई चूक नहीं करने वाली। कांग्रेस पार्टी जानती है कि साउथ में पार्टी की स्थिति बेहद मजबूत है, यदि राहुल गांधी यह सीट छोड़ भी देंगे तो पार्टी पर इस पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। पार्टी इसका डैमेज कंट्रोल आसानी से कर सकती है और विपक्ष इसका फायदा नहीं उठा पाएगा।

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