जन मुद्दे
अपने बैंड का हस्र देख कहीं कराह रही होगी कैप्टन रामसिंह की आत्मा
नैनीताल। वर्ष 1970 से पहले का नैनीताल। स्वर्ग से जरा ही कम। फ्लैट्स छनी हुई बजरी का एक साफ-सुथरा विस्तार हुआ करता था, जिसमें कभी-कभी हम हॉकी नंगे पांव भी खेल लेते थे। भले ही तलुवे जलने लगें। इस पर होने वाला ट्रेड्स कप हॉकी टूर्नामेंट गर्मियों के सीजन का प्रमुख आकर्षण होता था। हॉकी ग्राउंड के पूर्व की ओर कभी-कभी 100 घण्टे लगातार साईकल चलाने वाला पेशेवर भी पैसा कमाने आ जाता था। उसके साथ बजने वाला ‘लाल छड़ी मैदान खड़ी’ वाला गीत याद आता है। उधर तालाब के किनारे जिम कॉर्बेट द्वारा बनवाये गये बैंड स्टैंड पर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के आज़ाद हिंद फौज के बैंड मास्टर कैप्टेन रामसिंह की टीम अपने प्रदर्शन से लोगों का मनोरंजन कर रही होती। उनके कर्णप्रिय गानों में ‘बेडु पाको’ और ‘नैनितालो नैनितालो’ जैसे कुमाउनी गीतों के साथ उस वक़्त के लोकप्रिय फिल्मी गाने भी होते। श्रोता न सिर्फ झूम रहे होते, बल्कि कुछ रस्सी फांद कर अंदर चले आते और नाचने लगते। उस वक़्त नैनीताल की यह रंगीन शाम होती। कुछ सरोकारी लोगों के प्रयास से पीएसी का वह बैंड इस साल फिर बज रहा है। मगर उसकी आत्मा नदारद है। जमीन टूटने से तालाब में समाने को तैयार फ्लैट्स का यह हिस्सा फड़ों से घिरा है। श्रोता गायब हैं। हाँ, आवाज़ लहरा रही है कि कहीं कोई बैंड बज रहा है। भीड़, ट्रैफिक, शोर, गंदगी और कूड़े से पटे इस मरणासन्न पर्यटक शहर, जहाँ पार्किंग को ही सारी समस्याओं का समाधान माना जा रहा है, में अपने बैंड का यह हस्र देख कर कैप्टन रामसिंह की आत्मा कहीं कराह रही होगी। वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह के फेसबुक पेज से साभार