जन मुद्दे
मेट्रोपोल से हटेगा 122 अवैध कब्जाधारियों का कब्ज़ा, प्रशासन ने पूरी की तैयारी
हाई कोर्ट के अधिवक्ता नितिन कार्की ने हाल ही प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा था पत्र
सीएन, नैनीताल। नैनीताल के शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर से 122 अवैध निर्माणों को जल्द हटाया जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने शत्रु संपत्ति पर काबिज अतिक्रमण को चिन्हित भी कर लिया है। शत्रु संपत्ति में हाई कोर्ट को जाने वाली सड़क से नीचे का इलाका लंबे समय से अतिक्रमण की जद में है। यहां सालों पहले अतिक्रमण करने वालों पर जिला प्रशासन की ओर से कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके बाद सरकारी ढिलाई का फायदा उठाते हुए दर्जनों अतिक्रमणकारियों ने ना केवल पहले टिनशेड, फिर उसी में पक्के निर्माण कर डाले। अब प्रशासन इन अतिक्रमण को ध्वस्त करने की तैयारी में है। यहां लगभग 35 हजार वर्ग मीटर भूमि है। जिसमें से लगभग 11 हजार 385 वर्गमीटर जमीन पर बाहरी लोगों द्वारा कब्जा किया गया है। जल्द ही इन अवैध कब्जेधारियों को यहां से हटाने की कार्रवाई शुरू होने जा रही है। जिसके लिए प्रशासन ने पूरी तैयारियां कर ली हैं। 2 से 3 दिन में इस अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई हो सकती है। नैनीताल का मेट्रोपोल उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद जिला सीतापुर निवासी राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान की संपत्ति थी। जिसे वर्ष 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रकाशित गजट के आधार पर शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था। इसके बाद से ही ये भूमि सरकार के अधीन है। लेकिन वक्त के साथ यहां खाली पड़ी भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया। हाई कोर्ट के अधिवक्ता नितिन कार्की हाल ही में इस भूमि पर बसे अवैध कब्जेधारियों को हटाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया था। इसी के साथ ये मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया है। ऐसे में प्रशासन भी अब इस संपत्ति से अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। 1947 में देश बंटवारे में पाकिस्तान जाने, 1962, 1965 व 1971 में पाकिस्तान-चीन युद्ध या उसके बाद चीन और पाकिस्तान गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है। ऐसे नागरिकों की देश में संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया। जिला प्रशासन इसका कस्टोडियन है। मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति में अवैध कब्जों का मामला प्रधानमंत्री तक पहुंच चुका है। अधिवक्ता नितिन कार्की ने जिलाधिकारी के माध्यम से पीएम को पत्र भेजा है। जिसमें कहा है कि भारत सरकार के अधीन होने के बाद भी शत्रु संपत्ति पर समुदाय विशेष के लोगों का कब्जा बढ़ता जा रहा है। अवैध कब्जेदारों में अधिकांश लोग रामपुर, स्वार, दडि़याल, टांडा, मुरादाबाद से आए हैं। बांग्लादेशी व राेहिंग्या होने की भी संभावना है। यहां रह रहे कारोबारियों ने दो-दो पहचान पत्र बनाए हैं। इन अवैध कब्जों को रोका जाना बेहद जरूरी है।