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जन मुद्दे

संकट : हर रोज एक इंच घट रहा नैनी झील का जल स्तर, 5 फीट 9 इंच घटा

इस बार अब तक बर्फवारी नही होने से हालात और बनते जा रहे है चिन्ताजनक
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
इस बार वर्षा ऋतु के बाद अब तक पर्याप्त वर्षा व बर्फवारी नही होने व लाखों लीटर पानी जलागम क्षेत्रों से दोहन करने के बाद जीवनदायिनी नैनी झील लगातार खतरे की ओर बढ़ रही है। हर रोज झील का जल स्तर एक इंच घट रहा है। फरवरी के पहलेे पखवाड़े में ही नैनी झील का जल स्तर 5.9 फीट घट गया है। बरसात के दौरान झील का जलस्तर 11 फिट 9 इंच था। जो अक्टूबर माह तक उच्चतम स्तर पर रहा। लेकिन इसके बाद तेजी से गिर रहा है। एक ओर नैनी झील का जल स्तर लगातार गिर रहा है। दूसरी ओर झील के जलागम क्षेत्रों से भूमिगत जल 11 नलकूपों से आठ लाख लीटर पानी रोजाना लगातार दोहन किया जा रहा है। यह सिलसिला पिछले तीन-चार वर्षों से लगातार चल रहा है। लेकिन शासन प्रशासन महज चिन्ता ही प्रकट कर रहा है। जमीनी योजनाएं कहीं नही दिख रही है। तेजी से घट रहे जलस्तर नैनीताल के लिए सर्वाधिक चिन्ता का विषय बना हुआ है। इस बार फरवरी के पहलेे पखवाड़े में ही झील का जलस्तर सामान्य स्तर से 5.9 फीट नीचे चला गया है। चिन्ता यह है कि भीषण गर्मी के दौरान झील की हालत क्या होगी। इधर लगातार झील के जलागम क्षेत्रों से जल संस्थान लाखों लीटर पानी का रोजाना दोहन कर रहा है। लोगों का कहना है कि जल संस्थान को लगातार पानी का वितरण रोस्टर से ही करना होगा। रोस्टर के बावजूद झील की हालत दिन-पर-दिन जिस तरह खराब हो रही है। उससे गर्मियों में शहर की हालत दयनीय हो जायेगी। मालूम हो कि मानसून के बाद नैनीताल में लम्बे समय से वर्षा नही हुई है। इस बार अब तक बर्फवारी नही होने से हालात और चिन्ताजनक बनते जा रहे है। हालत यह है कि प्रमुख जलागम क्षेत्र सूखाताल पूरी तरह सूख चुका है। जलागम क्षेत्र से ही जल संस्थान नलकूपों से पानी खींच रहा है। वहीं अब तक पर्याप्त वर्षा व बर्फवारी नही होने से झील रिचार्ज नही हो रही है। बर्फवारी नैनी झील 40 प्रतिशत भूमिगत जल से तथा 60 प्रतिशत बरसात के जल से रिचार्ज होती है। झील के जल स्तर को सामान्य बनाने के लिए शीतकालीन वर्षा व पर्याप्त बर्फवारी जरूरी है। लेकिन इस बार अब तक ऐसा नही हो सका है। जानकारों की माने तो अगर अब भी पर्याप्त वर्षा व बर्फवारी नही हुई तो गर्मियों में जल संकट पैदा हो सकता है। इधर लगातार जलादोहन के बाद झील के जल स्तर पर भारी गिरावट आने के बाद भी सरकारी तंत्र पर कोई प्रभाव नही पड़ रहा है।
जलस्तर 12 फिट आने के बाद ही झील से होता है पानी का निकास
नैनीताल।
नैनी झील की निगरानी कर रहे सिंचाई विभाग के रमेश सिंह गैड़ा का कहना है कि अंग्रेजी शासनकाल से चले आ रहे नियमों के अनुसार झील का जल स्तर 11 फिट पहुंचने पर झील के गेट खोल कर इसकी जल निकासी की जाती है। इसके बाद सितम्बर माह के मध्य तक झील का जल स्तर 11 फिट पहुंचने पर जल निकास की कार्रवाई की जाती है। 12 फिट जल स्तर आने के बाद लगातार पानी की निकासी की जाती है। मानकों के अनुसार 12 फिट जलस्तर अंतिम स्तर माना गया है। अक्टूबर में हुई बारिश से झील लबालब हो गई। इस बार स्थिति संतोषजनक मानी जा रही है। इस बार प्रचलित नियमों के बजाय झील के पूर्ण जलस्तर 11.6 फिट आने के बाद ही झील के गेटों को खोला गया। दो इंच पानी की निकासी की जा रही है। झील के जल स्तर पर भारी गिरावट आने के बाद गर्मियों में जल संकट पैदा हो सकता है।
नैनी झील के कैचमैंट सूखाताल झील नही ले पाई अपना आकार
नैनीताल।
इस बार मानसून के दौरान अच्छी बरसात होने के बाद नैनी झील ने तो अपना आकार ले लिया था लेकिन नैनी झील के कैचमैंट सूखाताल सूखा रह गया। भरी बरसात में महज दो फिट ही पानी भर पाया। सूखाताल का सूखा रह जाना गंभीर संकेत माना जा रहा है। सितम्बर से अक्टूबर तक में लबालब रहने वाली सूखाताल इस बार छोटे से तालाब के रूप में भी नही दिखाई दे रही। सूखाताल की इस हालत पर पर्यावरणविद् चिंतित दिखाई दे रहे है। शंका जताई जा रही है कि डूब क्षेत्र से पूर्व झील में पूर्व में जल निकासी के लिए बिछाये गये पाईपों से पानी का निकास किया गया। बता दें कि सूखाताल झील से लगे बारापत्थर स्नोव्यू व पालिटेक्निक की पहाड़ियां नैनी झील का जलागम क्षेत्र है। बरसात में इन क्षेत्रों के जल स्रोतों व बरसात के पानी से सूखाताल रिचार्ज होती है। भू वैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया के मुताबिक सूखाताल झील से पानी भूमिगत होकर नैनी झील को रिचार्ज करता है।

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