अल्मोड़ा
लोक कला व गाथाओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए 23 साल पहले शुरू हुआ था लोक संस्कृति संवर्द्धन मेला
सीएन, अल्मोड़ा। जै विष्णु देव भूमि नाट्य कला समिति , शहरफाटक के तत्त्वावधान में लोक संस्कृति संवर्द्धन मेला-2022 का आयोजन हुआ। मेले के दूसरे दिन लोक संस्कृति को प्रस्तुत करने वाली प्रस्तुतियां हुई। विभिन्न दलों के कलाकारों, छोलिया कलाकारों एवं स्थानीय कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी।मेले के संयोजक एवं रंगकर्मी दान सिंह फर्त्याल ने बताया कि हमारे बैर, भगनौल, रमोला, चांचरी, जागर, जोड़, झोड़ा, लोक गाथाओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए यह मेला शुरू हो गया है। इस मेले की नींव 1989 के दौरान रखी गयी थी, तब क्षेत्र में इस तरह के कोई आयोजन नहीं होते थे। तब से यह मेला चला आ रहा है। लेकिन कुछ समस्याओं के कारण यह मेला निरंतर आयोजित नहीं हो पा रहा था, अब इस मेले को भव्यता के साथ विगत वर्षों से शुरू कर दिया गया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि भविष्य में यह मेला निरन्तर चलता रहे। उन्होंने सभी अतिथियों एवं दर्शकों का मेले में स्वागत किया। लोककलाकार गोकुल फर्त्याल ने कहा कि हम अपनी मूल संस्कृति को न छोड़ें। अपनी परम्पराओं को न भूलें अपने विलुप्त होते हुए गीतों , नृत्यों को संरक्षित करने के लिए आगे आएं। उन्होंने अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया।मेले के सह्योगकर्ता एवं जै विष्णु देव भूमि नाट्य कला समिति , शहरफाटक के अध्यक्ष मंगलम फर्त्याल ने अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित करते हुए बताया कि प्रथम दिवस हिमालय/पर्वतीय सांस्कृतिक लोक कला समिति के कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी। मेला प्रभारी डॉ स्नेह थापा, ब्लॉक प्रमुख विक्रम सिंह बगड़वाल, सुभाष पांडे आदि अतिथियों ने मेले, संस्कृति के संबंध में विस्तार से बात रखी। मेले के संयोजक एवं कलाकार दान सिंह फर्त्याल, लोककलाकार गोकुल फर्त्याल एवं समाजसेवी मंगलम फर्त्याल के संयुक्त संयोजन में आयोजित हुए मेले में डॉ स्नेह थापा (मेला प्रभारी), डॉ ललित जोशी (साहित्यकार) को सम्मानित किया गया। मेले में देवीधुरा की बाराही मैय्या, डोल, विष्नु मंदिर आदि को केंद्रित करती हुई संस्कृतिकर्मी श्री दान सिंह फर्त्याल की पुस्तक आहा…आषाडी कौतिक:तब और अब’ का लोकार्पण किया गया। मेले का संचालन धन सिंह फर्त्याल एवं सुंदर सिंह फर्त्याल ने किया।