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पौड़ी जिले के लैंसडाउन का नाम होगा कालू का डांडा, रक्षा मंत्रालय ने मांगा प्रस्ताव

पौड़ी जिले के लैंसडाउन का नाम होगा कालू का डांडा, रक्षा मंत्रालय ने मांगा प्रस्ताव
सीएन, लैंसडाउन।
पौड़ी जिले के लैंसडाउन का नाम बदलने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि वह पौड़ी जिले में छावनी परिषद क्षेत्र लैंसडाउन का नाम बदलने को लेकर रक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव मांगा है। जिसको लेकर चर्चाए तेज हो गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार लैंसडाउन का नया नाम कालू का डांडा हो सकता है। कालू का डांडा का मतलब काला पहाड़ होता है। बताया जा रहा है कि 132 साल पहले ब्रिटिश शासन के दौरान हिल स्टेशन लैंसडाउन का ये नाम रखा गया था। लैंसडाउन का पहले नाम कालू डंडा था। गढ़वाली भाषा में इसका अर्थ काला पहाड़ होता है। लैंसडाउन पहाड़ी क्षेत्र में के हरे-भरे प्राकृतिक वातावरण में स्थित है और इसे सन् 1887 में ब्रिटिश काल में बसाया गया। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1706 मीटर है। दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है और 5-6 घंटे में लैंसडाउन पहुँचा जा सकता है। बाइक से लैंसडाउन जाने के लिए आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। गढ़वाल राइफल्स का गढ़ लैंसडाउन को ब्रिटिश द्वारा वर्ष 1887 में बसाया गया। उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। वैसे, इसका वास्तविक नाम कालूडांडा है। यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है। आप यहाँ गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम देख सकते हैं। यहाँ गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों की झलक पा सकते हैं। संग्रहालय शाम के 5 बजे तक ही खुला रहता है। इसके करीब ही परेड ग्राउंड भी है, जिसे आम पर्यटक बाहर से ही देख सकते हैं। वैसे, यह स्थान स्वतंत्रता आन्दोलन की कई गतिविधियों का गवाह भी रह चुका है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस इलाके में देखने लायक काफी कुछ है। प्राकृतिक छटा का आनन्द लेने के लिए टिप इन टॉप जाया जा सकता है। यहाँ से बर्फीली चोटी और मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। दूर-दूर तर फैले पर्वत और उनके बीच छोटे-छोटे कई गाँव आसानी से देखे जा सकते हैं। इनके पीछे से उगते सूरज का नजारा अद्भुत प्रतीत होता है। साफ मौसम में तो बर्फ से ढँके पहाड़ों की लम्बी श्रृंखला दिखती हैं। पास में ही 100 साल से ज्यादा पुराना सेंट मैरीज़ चर्च भी है। यहाँ की भुल्ला ताल बहुत प्रसिद्ध है। यह एक छोटी-सी झील है जहाँ नौकायन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। शाम को सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा संतोषी माता मंदिर से दिखता है। यह मंदिर लैंसडाउन की ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है। वैसे, यहाँ से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ताड़केश्वर मंदिर भी है। यह भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। इसे सिद्ध पीठ भी माना जाता है। यह पहाड़ पर 2092 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पूरा मंदिर ताड़ और देवदार के वृक्षों से घिरा है। यह पूरा इलाका खूबसूरत होने के साथ-साथ शान्त भी है। सैलानी यहाँ पहाड़ चढ़ने, बाइकिंग, सायकलिंग जैसे साहसी खेलों के लिए भी आते हैं।

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