Connect with us

उत्तरकाशी

तो क्या गंगा जी में जलसमाधि पर लगेगी रोक

भारतीय लोक प्रशासन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में हुआ मंथन
गंगोत्री से लोकेंद्र सिंह बिष्ट।
अभी हाल ही में भारतीय लोक प्रशासन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में गंगा विचार मंच के प्रांत संयोजक होने के नाते मैंने अपने उद्बोधन में कहा कि गँगा स्वच्छता पर बहुत कुछ होने के बावजूद माँ गंगा जी व्यथित व दुःखी हैं। मैं संत समाज से अपील कर रहा हूँ कि माँ गंगा में किसी भी तरह से जलसमाधि देने पर रोक लगनी चाहिए। दरअसल साधु समाज के दशनामी संप्रदाय के गिरी, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम के सन्यासियों और समाज के कुछ और वर्गों में शरीर त्यागने पर जलसमाधि देने की परंपरा है। इस पर राष्ट्रीय सम्मेलन में संत समाज की ओर से स्वामी चिदानंद मुनि जी ने आस्वासन दिया कि वे संत समाज के सभी वर्गों से इस विषय पर बात करेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले कुम्भ तक वे साधु समाज के सभी वर्गों अखाड़ों से वार्ता कर इस विषय पर निर्णय ले लेंगे की साधु समाज के लोग जलसमाधि की परंपरा को त्याग दें। पूज्य श्री स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि जनता और समाज के सभी वर्गों व खासकर साधु समाज को भी गंगा स्वच्छता के लिए आगे आना होगा। स्वामी चिदानंद जी ने कहा कि गंगा स्वच्छता पर बहुत कुछ कार्य हो चुके हैं लेकिन बहुत किया जाना अभी बाकी है। गंगा जी में में गहरी आस्था रखने और भारतीय सभ्यता और संस्कृति को आत्मसात करने वाली विदेशी मूल की साध्वी भगवती जी ने भी कहा कि गंगा जी के बहाव वाले क्षेत्रों व राज्यों में पूरी तरह से ओर्गानिक खेती करनी होगी ताकि किसी भी तरह से कृषि में उपयोग होने वाले कैमिकल गंगा में न जाएं।। गंगा जल में जिस अमृत होने की बात कही जाती है वह अमृत हिमालय के जंगलों से, यहां की जड़ी बूटियों व बुग्याल क्षेत्रों से मिलता है। हमे सम्पूर्ण हिमालय की सुरक्षा व संरक्षण करना होगा। आपको बताते चलें कि परमार्थ निकेतन से जुड़े प्रसिद्ध विद्वान संतों और वक्ताओं ने गंगा जी के संरक्षण का वचन दिया। गंगा जी मे तरह तरह के प्रदूषण के साथ सबसे बड़ी समस्या जलसमाधि की भी है। भारतीय समाज के विभिन्न हिस्सों व विभिन्न वर्गों में जलसमाधि देने की परंपरा है जो ठीक नही है। गंगा जी मे मृत जानवरों को धड़ल्ले से बहा देने की घटनाएं आम हैं, जबकि गंगा जी मे मृत जानवरों को बहाने पर पाबंदी है।इधर समाज के कई वर्गों में, उम्र के लिहाज से मृत लोगों व एक खास समुदाय के साधु संतों में भी जलसमाधि देने की परंपरा चली आ रही है। हालांकि कई साधु संतों ने गंगा जी में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए भू समाधि लेने की घोषणा की है। इधर श्रद्धालुओं द्वारा माँ गंगा जी में बड़ी मात्रा में वस्त्र भेंट करने की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। दुःखद पहलू ये है कि महिला तीर्थयात्रियों ने बड़ी संख्या में गंगा में श्रृंगार व वस्त्र धोती साड़ी माँ गंगा में भेंट (प्रवाहित) कर रही हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुराने कपड़े भी विसर्जित करते हैं। गँगा विचार मंच अपील करता है कि माँ गंगा के धाम आने वाले सभी श्रद्धालुओं से अपील है कि माँ गंगा में किसी भी तरह के वस्त्र न बहाए। इनसे माँ गंगा में प्रदूषण ही बढ़ता है। माँ गंगा आपके द्वारा भेंट किये वस्त्रों से खुश नहीं अपितु व्यथित ही होती हैं। आप जो कुछ भी बस्तुओं, पूजा, श्रृंगार व वस्त्र धोती कुर्ता साड़ी भेंट करना चाहते हैं तो माँ गंगा के मुख्य गंगोत्री मंदिर में ही चढाएं या फिर किसी जरूरत मंद लोगों को भेंट करें, माँ गंगा आपके द्वारा जरूरत मंद लोगो व मुख्य मंदिर में दान किये वस्त्रों के बाद आपको असीम प्यार, आशीर्वाद व आशीष देंगी। गंगा विचार मंच व जिला गंगा समिति उत्तरकाशी ने जनजागरण व जागरूकता के लिए गंगोत्री में बैनर लगाये हैं जिसमे ये सूचना है कि माँ गंगा के प्रवाह में किसी भी तरह के वस्त्र आदि न प्रवाहित करें।

Continue Reading
You may also like...

More in उत्तरकाशी

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING