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जन मुद्दे

पलायन रोकने लिए उपायों पर मंथन करने की सख्त जरूरत: प्रो. रावत

-15 वर्षो में पहाड़ी जनपदों से 19 प्रतिशत जनसंख्या का पलायन हुआ
-खेती बाड़ी की सुरक्षा व लैब टू लैंड एप्रोच की ओर भी ध्यान देना होगा
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
उत्तराखंड से लगातार हो रहे पलायन पर चिन्ता प्रकट करते हुए पर्यावरणविद् प्रो. अजय रावत ने चन्द्रेक न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि अब पलायन रोकने लिए उपायों पर भी मंथन करने की सख्त आवश्यकता है। एक अध्ययन से पता चला है कि विगत 15 वर्षो में उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों से लगभग 19 प्रतिशत जनसंख्या का पलायन हुआ है। जिसमें जनपद पौड़ी और अल्मोड़ा में पलायन का प्रतिशत बढ़ा है। उन्होंने कहा कि दूरदराज क्षेत्र में रह रहे लोगों को पलायन से रोकने लिए उपायों पर सरकार को त्वरित गति से कार्य करना होगा। उन्होंने सरकार द्वारा गठित पलायन आयोग का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार को पर्वतीय क्षेत्रों में खेती बाड़ी की सुरक्षा व लैब टू लैंड एप्रोच की ओर भी ध्यान देना होगा। आज कृषि के क्षेत्र में उत्तराखंड में कई संस्थान शोध व अनुसंधान कर रहे है। लेकिन लैब टू लैंड एप्रोच का फायदा पर्वतीय क्षेत्र को नही मिल पा रहा है। खेती बाड़ी कम होने से भी पलायन की समस्या बढी है। प्रो. रावत ने अमृत विचार से बातचीत करते हुए कहा कि जो लोग गांव को छोड़कर शहर की ओर जा रहे हैं उससे 10 प्रतिशत भूमि बंजर हो चुकी है। कहा कि पहाड़ में पलायन का मुख्य कारण स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना, दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों के पद रिक्त होना, जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाना, ग्राम स्तर पर योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन न होना, असिंचित क्षेत्र में पानी की कमी, खड़िया आधारित उद्योग स्थापित न होना, यहां पर बहुतायत मात्रा में उत्पादित लीसा के कच्चा माल का स्थानीय स्तर प्रोसेसिंग नही होना भी बताया। उन्होंने कहा कि पलायन का मुख्य कारण युवाओं के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ रोजगार सृजन के अवसर नही मिलना भी है। उन्होंने पहाड़ से पलायन को रोकने के लिए शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाने की आवश्यकता बताई। इसके लिए दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति होना जरूरी बताया। स्वास्थ्य, शिक्षा को जरूरी बताते हुए यहां दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में रोजगार की सम्भावना व न्याय पंचायत स्तर पर फल, सब्जी, दूध के विपणन की व्यवस्था, कच्चा माल के डिहाईडेशन प्लान स्थापित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि नाशपाती का प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता है लेकिन कोल्ड स्टोरेज स्थापित न होने पर किसानों को उसका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। पर्यटन की अपार सम्भावनाओं को देखते हुए पर्यटन स्थलों के सुधारीकरण के लिए कार्य करने की आवश्यकता बताई। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक सुख-सुविधाओं की कमी व आजीविका के सीमित संसाधनों का होना, आरामदायक जीवन जीने की लालसा ही पलायन का मुख्य कारण है। इन सभी कारकों के बाबत आज तेजी से कार्य करने की जरूरत है।

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