चमोली
जोशीमठ में भू-धंसाव की वजह से बद्रीनाथ यात्रा पर छाए संकट के बादल
जोशीमठ में भू-धंसाव की वजह से बद्रीनाथ यात्रा पर छाए संकट के बादल
सीण्न, चमोली। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का धार्मिक के साथ साथ आर्थिक रूप में सबसे बड़ा महत्व है. इसी यात्रा से गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिकी का पहिया भी घूमता है और बड़ा राजस्व राज्य सरकार को मिलता है. जोशीमठ संकट ने बद्री विशाल के द्वार पर संकट की स्थिति पैदा कर दी है, जिस से इस बार की यात्रा को लेकर लोगो के मन में चिंता बन गई है. वहीं बद्रीनाथ के लिए जाने वाला एकमात्र रास्ता जोशीमठ माना जाता है. श्रद्धेय तीर्थ की यात्रा करने से पहले हजारों तीर्थयात्री यहां रात रुकने हैं, लेकिन अब जोशीमठ में कई स्थानों को “खतरे का क्षेत्र” की श्रेणी में रखे जाने के बाद उत्तराखंड में बेहद लोकप्रिय मंदिर बद्रीनाथ तक के जाने वाले रास्ते पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं इस जोशीमठ में प्रवेश करने के बाद तीर्थयात्री बद्रीनाथ से आने-जाने के लिए गाड़ियों के लिए वन वे लेन का रूल फॉलो कर रहे हैं. यहां भू-धसांव के बाद कई घरों और सड़कों में दरारें आ गई हैं. यहां तक कि सड़क की पुलिया भी उखड़ रही है. वहीं राज्य सरकार ने हाल ही में कहा था कि बद्रीनाथ यात्रा प्रभावित नहीं होगी और यह योजना के अनुसार होगी. वहीं सभी मौसम के तहत चार धाम सड़क परियोजना के तहत बद्रीनाथ के लिए बाईपास तैयार किया जा रहा है, जो जोशीमठ से लगभग 9 किमी पहले हेलंग से शुरू होता है और मारवाड़ी रोड पर समाप्त होता है, लेकिन यह परियोजना अभी आधी ही पूरी हुई है और स्थानीय लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ में विरोध और गुस्से के कारण बाईपास परियोजना पर काम रोक दिया गया है. इससे यह मई के पहले हफ्ते तक तैयार नहीं हो सकता है, जब आम तौर पर यात्रा शुरू होती है. हाल के वर्षों में तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी ने स्थानीय अधिकारियों के संकट को बढ़ा दिया है. अधिक संख्या का मतलब गाड़ियों की बड़ी संख्या का पहुंचना है और इसलिए इलाके पर अधिक दबाव बनता है, जो अब जोशीमठ के कई स्थानों पर खतरनाक साबित हो सकता है. अगर आंकड़ों की बैत करें तो 2016 में 6.5 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ गए थे. वहीं 2017 में यह संख्या 9.2 लाख, 2018 में 10.4 लाख और 2019 में 12.4 लाख थी. इसके बाद 2020 और 2021 में यात्री कम आए. इसके बाद कोरोना महामारी के बाद 2022 में यह संख्या बढ़कर 17.6 लाख हो गई. ऐसे में जोशीमठ को असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद लगातार क्षेत्र में दरारें चौड़ी हो रही हैं. वहीं अधिकारियों के पास पहाड़ी इलाकों में चीजों को व्यवस्थित करने या एक सही विकल्प खोजने के लिए तीन महीने से थोड़ा अधिक का समय है. आपको बता दें कि 2 जनवरी को भू-धसांव का मामला सामने आने के बाद से जोशीमठ में कम से कम 849 घरों, होटलों, सड़कों और सीढ़ियों में दरारें पाई गई हैं. चार धाम यात्रा का आगाज बसंत पंचमी के दिन राजमहल से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निकलने के बाद शुरू हो जाता है. ऐसे में व्यवस्थाओं के लिए सरकार के पास काफी कम समय रह गया है, जिस पर यात्री श्रद्धालु और संत समाज निगाहें बना कर बैठा है.