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गंगोलीहाट की गुफाए बन सकती है महान् धरोहर : खजान गुड्डू
सरयू गंगा तथा राम गंगा नदियों के मध्य स्थित है गंगोली यानि गंगोलीहाट
सीएन, गंगोलीहाट। पूर्व दर्जा राज्य मन्त्री खजान गूड्डू ने कहा कि गंगोलीहाट क्षेत्र आध्यात्मिक रूप से बेहद समृद्धशाली क्षेत्र है। इस क्षेत्र के तीर्थ स्थलों खासतौर से गुफाओं को विशेष रूप से विकसित किया जाना चाहिए। सरयू गंगा तथा राम गंगा नदियों के मध्य स्थित होने के कारण इस क्षेत्र को पूर्वकाल में गंगावली कहा जाता थाए जो धीरे धीरे बदलकर गंगोली हो गया। तेरहवीं शताब्दी से पहले इस क्षेत्र पर कत्यूरी राजवंश का शासन था। गंगोलीहाट इस गंगोली क्षेत्र का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। उन्होंने कहा कि यदि गंगावली क्षेत्र को गुफाओं की घाटी के रूप में विकसित करने के प्रयास हो तो यह क्षेत्र विश्व की महान धरोहर बन सकता है। क्योंकि यह क्षेत्र शिव एवं शक्ति की परम पूजनीय भूमि है पुराणों में वर्णित शैल पर्वत इसी क्षेत्र में है और शैल पर्वत की कालिका यही विराजमान है। इसके अलावा इस क्षेत्र को गुफाओं की घाटी भी कहा जाता है। यहां की प्रसिद्ध गुफाओं का स्कंद पुराण में वर्णन आता है। उन्होनें कहा कई गुफाएं अभी भी अज्ञात हैं समय-समय पर गुफाओं के मिलने का क्रम जारी है। श्री खजान गुड्डू ने कहा कि सरकार को इस और विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। गंगोलीहाट की गुमनाम गुफाओं को प्रकाश में लाने के लिए बेहतर प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध गुफाओं में पाताल भुवनेश्वर के अलावा नानी शीतला गुफा, सुतार गांव की दानेश्वर गुफा, भृगुतम्ब गुफा सहित अनेक गुफाओं के भंडार हैं और सरकार को विशेष रुप से इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि गंगोलीहाट क्षेत्र में पर्यटन एवं तीर्था टन को बल मिल सके।
गंगोलीहाट का भूगोल व इतिहास
सरयू गंगा तथा राम गंगा नदियों के मध्य स्थित होने के कारण इस क्षेत्र को पूर्वकाल में गंगावली कहा जाता था, जो धीरे धीरे बदलकर गंगोली हो गया। तेरहवीं शताब्दी से पहले इस क्षेत्र पर कत्यूरी राजवंश का शासन था। गंगोलीहाट इस गंगोली क्षेत्र का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। तेरहवीं शताब्दी के बाद यहाँ मनकोटी राजाओं का शासन रहा, जिनकी राजधानी मनकोट में थी। गंगोलीहाट के जाह्नवी नौले से प्राप्त एक शिलालेख पर मनकोटी राजाओं के नाम अंकित हैं। सोलहवीं शताब्दी में कुमाऊ के राजा बालो कल्याण चन्द ने मनकोट पर आक्रमण कर गंगोली क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। उन्नीसवीं शताब्दी में गंगोली को अल्मोड़ा जनपद का परगना बनाया गया, तथा गंगोलीहाट नगर में ही परगना मुख्यालय स्थापित किये गए। 1960 में पिथौरागढ़ जनपद के गठन के बाद गंगोलीहाट तहसील का भी गठन किया गया, जिसका मख्यालय भी गंगोलीहाट नगर में रखा गया। गंगोलीहाट नगर की स्थापना 7 जुलाई 2012 को पिथौरागढ़ जनपद के 11 राजस्व ग्रामों को मिलाकर किया, जिनमें हाट, कूंउप्रेती, खेतीगड़ा, पुनौली, नौढुंगा, चुडिय़ागौर, चौढिय़ार, लाली, खतेड़ा, हनेरा व रावलगांव शामिल हैं