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बहन ने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध मनाया रक्षाबंधन
बहन ने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध मनाया रक्षाबंधन
सीएन, नैनीताल। भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित रक्षाबंधन का त्योहार जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया। भाइयों ने भी बहनों की रक्षा करने का वादा किया। नैनीताल जिले में देवी-देवताओं को राखी बांधने की परंपरा का भी बखूबी निर्वहन किया गया। सबसे पहले सुबह आराध्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद रक्षाबंधन की रस्मों को निभाया गया। रक्षाबंधन के लिए महिलाओं में उत्साह देखने को मिला। गौरतलब है कि कई स्थानों पर बहनें सुबह ही भाई के घर (मायके) पहुंच गईं। बहन ने भाई के माथे पर तिलक लगाकर और मिठाई खिलाकर कलाई पर राखी बांधी। नैनीताल जिले के मुख्य बाजारों और बस अड्डों पर राखी के दिन काफी भीड़ देखने को मिली। महिलाएं राखी और मिठाई की खरीदारी में व्यस्त रहीं। जिला नैनीताल में रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। रक्षाबंधन के दिन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के बाद उन्हें राखी बांधी जाती है। इसके बाद रक्षाबंधन की रस्मों का निर्वहन किया जाता है।
हर युग में भाई ने निभाया फर्ज तो बहन ने राखी बांध भाई की रक्षा की
रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं. भारत में राखी का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इसको लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. रक्षाबंधन को लेकर कहां क्या मान्यता या प्रथा चली आ रही है.
श्रीकृष्ण को द्रौपदी ने बांधी थी राखी
महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी एक कथा प्रचलित है. बात उस समय कि है जब इंद्रप्रस्थ में शिशुपाल का वध करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र चलाया था. उसी दौरान श्रीकृष्ण की उंगली कट गई और काफी खून बहने लगा. उस समय द्रोपदी ने अपने साड़ी का पल्लू फाड़ के भगवान के उंगली पर बांध दिया. संयोग से उस दिन श्रावण मास का पूर्णिमा थी. इस बात से भगवान इतने खुश हुए कि उन्होंने द्रौपदी को वचन दिया के एक दिन जरूर वे साड़ीं के एक धागे का मोल तक चुकाएंगे. भगवान ने चीर हरण के वक्त द्रौपदी को दिया वचन निभाया और उनकी लाज बचाई.
दूसरी कहानी
रक्षाबंधन को लेकर दूसरी कहानी भी काफी प्रचलित है. बात उस समय की है जब महाभारत का युद्ध चल रहा था. युधिष्ठिर कौरवों से युद्ध के लिए जा रहे थे. उनको सिर्फ एक बात की चिंता थी कि युद्ध कैसे जीते. इसका निवारण भगवान से पूछा तो श्रीकृष्ण ने कहा कि सभी सैनिकों के हाथ पर रक्षा सूत्र बांध दिया जाए. उनके कहे अनुसार सारे सैनिकों के हाथों पर रक्षा सूत्र बांधा गया और उन्हें सफलता मिली.
तीसरी कहानी
इस त्योहार को लेकर तीसरी कहानी रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं की है. ऐसा कहा जाता है कि मध्यकालीन युग में जब राजपूत और मुस्लिमों के बीच लड़ाई चल रही थी तब चित्तोड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और प्रजा की सुरक्षा के लिए मदद मांगी. उन्होंने हुमायूं को अपना भाई मानकर राखी भिजवाई. तब हुमायूं ने भी उनकी रक्षा का वचन देकर उन्हें बहन का दर्जा दिया और उनके साथ-साथ उनके प्रजा की भी रक्षा की.
चौथी कहानी
चौथी कहानी सिकंदर की पत्नी और हिंदू शत्रु पुत्र पुरु की है. जब सिकंदर और पुरु के बीच युद्ध चल रहा था तब सिकंदर की पत्नी ने पुरु को राखी बांध अपना मुंहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय अपने पति सिकंदर को न मारने का वचन लिया. पुरु ने भी राखी की लाज रखते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया.
पांचवी कहानी
पांचवी कहानी गिन्नौरगढ़ की रानी और राजा के दोस्त मोहम्मद खान की है. गिन्नौरगढ़ के राजा निजाम शाह गोंड के रिश्तेदार आलमशाह ने एक साजिश के तहत राजा को जहर देकर मार दिया था. रानी ने इसका बदला लेने और सियासत को बचाने के लिए मोहम्मद खान को राखी भेजकर मदद की गुजारिश की. तब मोहम्मद खान ने भाई का फर्ज निभाते हुए रानी की मदद की.
छठी कहानी
छठी कहानी भविष्य पुराण का काफी प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि एक बार देवता और दानवों में 12 वर्षों से युद्ध चल रहा था. इस युद्ध में हार के डर से इंद्र गुरु बृहस्पति के पास गए. बृहस्पति के सुझाव पर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन इंद्र के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधा. इसके बाद देवताओं की जीत हुई.
सातवीं कहानी
सातवी कहानी मृत्यु के देवता भगवान यम और यमुना नदी की है. पौराणिक कथा के मुताबिक यमुना ने एक बार भगवान यम की कलाई पर धागा बांधा था. वह मन ही मन में यम को अपना भाई मानती थी. भगवान यम यमुना से इतने ज्यादा खुश हुए कि यमुना की रक्षा के साथ-साथ अमर होने का भी वरदान दे दिया. साथ ही उन्होंने यह वचन भी दिया कि जो भाई अपनी बहन की मदद करेगा, उसे लंबी आयु का वरदान देंगे.
आठवीं कहानी
आठवीं कहानी भगवान गणेश के बेटे शुभ और लाभ को लेकर है. ये दोनों भाई एक बहन चाहते थे. तब भगवान गणेश ने यज्ञ करके संतोषी मां को प्रकट किया. तब दोनों भाई काफी खुश हुए.