जन मुद्दे
अल्मोड़ा हाईवे चैड़ीकरण का कार्य पूरी तरह अवैज्ञानिक : कोटलिया
कच्ची पहाड़ियों में पोकलैंड व जेसीबी मशीनों से कार्य करना खतरनाक
खैरना से क्वारब तक कोसी नदी के गाद से बनी हैं हाईवे की पहाड़ियां
पूरे हाईवे में रामगढ़ फाल्ट व अल्मोड़ा थ्रस्ट गुजरने से भूगर्भीय हलचल जारी
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। अल्मोड़ा व नैनीताल से गुजरने वाली हाईवे में लगातार दरक रही पहाड़ियों के कारण हो रही अव्यवस्थाओं के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया ने कहा है कि अल्मोड़ा हाईवे चैड़ीकरण का कार्य पूरी तरह अवैज्ञानिक तरीके से हो रहा है। कार्य से पूर्व भू सर्वे कराना आवश्यक था लेकिन योजनाकारों ने इस पर कोई ध्यान नही दिया है। कोटलिया ने कहा है कि वह पूर्व में इस क्षेत्र में शोध कर चुके है। फाल्ट व थ्रस्टों की हलचल से यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। यहां की कच्ची पहाड़ियों में पोकलैंड व जेसीबी मशीनों से कार्य करना खतरनाक साबित हो सकता है। शोधों के अनुसार अतीत में खैरना से क्वारब तक कोसी नदी के गाद से हाईवे की पहाड़ियों का निर्माण हुआ है। इसके साथ ही पूरे हाईवे में रामगढ़ व अल्मोड़ा थ्रस्ट गुजरने से भूगर्भीय हलचल जारी है। यह थ्रस्ट इतने सक्रीय हैं कि इस क्षेत्र में भूकम्प की संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता है। मालूम हो कि डा. कोटलिया ने पूर्व में भी अल्मोड़ा हाईवे के खैरना से क्वारब तक की पहाड़ियों में बिना भूगर्भीय सर्वे कराये पहाड़ियों में छेड़छाड़ नही करने की चेतावनी दी थी। लेकिन एनएच अधिकारियों द्वारा बिना वैज्ञानिकों की राय व सर्वे कराये ही चैड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। डा. कोटलिया का स्पष्ट कहना है कि इस मार्ग के जिस ओर भारी मशीनें लगा कर पहाड़ियों को काटा जा रहा है वह प्रथम दृष्टया ही पूरी तरह अवैज्ञानिक है। प्रथम तो इन पहाड़ियों की श्रेणी समझनी चाहिये थी। यह पहाड़ी अतीत में कोसी नदी के गाद से बनी है। यह पहाड़ियों को करोड़ों वर्षों के बाद पक्की चट्टानों में तब्दील होना है। वर्तमान में यह बेहद कच्ची पहाड़ियां है। ऐसे में इन पहाड़ियों में भारी मशीनों का प्रयोग कतई नही होना चाहिए। उन्होंने इस क्षेत्र के निरीक्षण के बाद पाया कि पहाड़ियों का कटान ढलान के रूप में न कर कटान 90 डिग्री कोण में किया जा रहा है। जिससे ऊपर की चट्टानें लगातार नीचे गिर रही है। इनका रूकना भी संभव नही है। मशीनों के प्रयोग के दौरान हार्ड राक व साफ्ट राक का ध्यान भी नही दिया जा रहा है। कटान के बाद बर्टिकलवाल का निर्माण किया जाना चाहिए लेकिन इस ओर भी ध्यान नही दिया जा रहा है। सड़क का चैड़ीकरण पूरी तरह अवैज्ञानिक कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में भूगर्भीय हलचलों का भी ध्यान नही रखा जा रहा है। इस क्षेत्र में कांकड़ीघाट से साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट व रातीघाट से रामगढ़ थ्रस्ट गुजर रहे है। जिस कारण भूगर्भीय हलचल जारी है। यह हलचल इतनी सक्रीय है कि इससे भूकम्प की भी संभावना बन सकती है। कोटलिया का मानना है कि विकास की जिद में विनाश को आमंत्रण नही दिया जाना चाहिए।
हाईवे के विपरित पहाड़ी में हो सड़क निर्माण
नैनीताल। यूजीसी के भूवैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि वर्तमान में जिस सड़क का अवैज्ञानिक तरीके से चैड़ीकरण हो रहा है। उससे इस मार्ग में भविष्य में लगातार चट्टानें दरकेंगी। इसका कारण रामगढ़ व अल्मोड़ा थ्रस्ट गुजरने से हो रही भूगर्भीय हलचल होंगी। उन्होंने कहा कि दीर्घकालीन विकल्प के लिए हाईवे के विपरित पहाड़ी की ओर से सड़क निर्माण किया जाना चाहिए। खैरना से लेकर क्वारब तक इस पहाड़ी में सड़क निर्माण करना विकल्प के रूप में और सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है। इस पहाड़ी को भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील भी नही माना जा सकता है। उन्होंने चेताया है कि वर्तमान बरसात के दौरान हाईवे के कई इलाकों में भारी भूस्खलन हो सकता है। इस क्षेत्र में अभी भी भूसर्वे की जरूरत है।