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उत्तरकाशी

आज है विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस यानी वर्ल्ड नेचर कंजर्वेशन डे

प्रकृति संरक्षण दिवस आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्वस्थ पर्यावरण का महत्वपूर्ण दिवस
लोकेन्द्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी।
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है। प्रकृति मानव जीवन का मूल आधार है। शुद्ध हवा ,स्वच्छ जल औऱ निष्चल पर्यावरण पर सबका अधिकार है। प्रकृति संरक्षण दिवस न केवल वर्तमान पीढ़ी को बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्वस्थ पर्यावरण के महत्व की याद दिलाता है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का उद्देश्य वनस्पतियों और जीवों जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करना है। इस दिन को मनाने के लिए लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाते हैं व पानी और बिजली की बचत के लिए जागरूकता फैलाने के लिए अलग अलग प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हैं। विश्व स्तर पर प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है जो कि प्रकृति के लिए घातक है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष की थीम कट डाउन ऑन प्लास्टिक यूज रखी गई है। भारत सरकार के पर्यावरण वन औऱ जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक गजट नोटिफिकेशन के साथ भारत मे 1 जुलाई 2022 से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रकृति की रक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और हमारे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना है। पृथ्वी को सीमित मात्रा में संपत्ति की आपूर्ति की जाती है, जिस पर हम हर दिन भरोसा करते जैसे पानी, हवा, मिट्टी और पेड़। पर्यावरण संरक्षण के लिए हम लोग निम्न उपाय कर सकते हैं सौर और पवन ऊर्जा जैसी वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग के साथ साथ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने और मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए अपने आस पास अधिक से अधिक पेड़ लगाएं। जल संसाधनों का उचित तरीके से उपयोग करें और बगीचों में पानी भरने के लिए रसोई के पानी का पुन: उपयोग कर सकते हैं। जलग्रहण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वनस्पति उगा कर पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं। घरों में बिजली का उपयोग कमसे कम करें और घरों, दुकानों व कार्यालयों में रिसाइकिल और बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं। कूड़े व कचरे का वैज्ञानिक तरीके से पुनर्चक्रण सुनिश्चित कर उसको दोबारा अन्य प्रयोग में ला सकते हैं। कम दूरी के लिए कारों का उपयोग कम से कम करने का प्रयास कर सकते हैं। प्लास्टिक बैग की जगह पेपर बैग या कपड़े के बैग का इस्तेमाल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के साथ जैविक खाद का उपयोग करके अपनी सब्जियां अपने बागीचे में खुद उगा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि अपने अपने घरों, कार्यालयों व सरकारी भवनों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्थापित किया जाय। क्योंकि बेहतर काल के लिए आज ही प्रकृति का संरक्षण करें। प्रकृति के साथ संतुलन ही हमारे अस्तित्व का आधार है। प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन भारतीय संस्कृति व परंपरा रही है। हमारे देश मे सनातन काल से प्रकृति के साथ यानी जंगलों में ही शिक्षा के संस्थान होने की परंपरा रही है। हमारे देश मे हिमालय है, पहाड़ हैं, नदियाँ, गाड़ गदेरे हैं, जल है जंगल हैं, खनिज भंडार हैं, शुद्ध हवा और निर्मल जल है। इसलिए प्रकृति के इस अनमोल खजाने के संरक्षण औऱ संवर्धन की आज ही शपथ लें। इसलिए अभी देशवासी बेहतर कल के लिए आज ही प्रकृति के संरक्षण की सौगंध कहते हैं।

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