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जन मुद्दे

आज मौनी अमावस्या, इस दिन मौन व्रत का बहुत महत्व

प्रो. ललित तिवारी, नैनीताल। माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है, इस दिन मौन व्रत का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि आज के दिन जो मौन रहता है वह मुनि की तरह श्रेष्ठ बन जाता है। यह भी माना जाता है कि आज के दिन सृष्टि के नियामक ‘मनु’ का जन्म दिवस भी है।
कबीर दास ने कहा–
बाद विवादे बिष घना, बोले बहुत उपाध ।
मौन गहै सबको सहै, सुमिरै नाम अगाध ।।
मौनेन कलहो नास्ति: पुराण व वेदों में माघ मास का विशेष महत्व है जो दान एवम पूजन हेतु उत्कृष्ट माना गया है । माघ मास भारतीय परंपरा में पर्वों से भरा हुआ है। मौन रहने से आत्म बल की प्राप्ति होती है। आज के दिन दान पुण्य का विशेष महत्व है। कहावत है —
तैलमामलकाश्चैव तीर्थे देयांस्तु नित्यश: ।
तत: प्रज्वालयेद्वह्निं सेवनार्थे द्विजन्मनाम् ।।
कम्बलाजिनरत्नानि वासांसि विविधानि च
चोलकानि च देयानि प्रच्छादनपटास्तथा ।।

*आज के दिन स्नान के बाद तिल, तिल के लड्डू, आंवला, तिल का तेल, वस्त्र आदि का दान श्रेषकर है । साधु, महात्माओं तथा ब्राह्मणों के लिए सेंकने के लिए अग्नि (ईंधन) व कम्बल का दान करना उत्तम माना गया है। गुड़ में काले तिल मिलाकर लड्डू बनाकर, लाल वस्त्र में बांध कर दान करना वर्णित है। भोजन, दक्षिणा आदि पुण्य कर्म को करना श्रेयस्कर है। इस बार मौनी अमावस्या के दिन शनिवार भी है, शनिश्चरी अमावस्या इस योग में सभी जगहों का जल गङ्गा जल के समान हो जाता है और सभी जन ब्रह्मसंनिभ शुद्धात्मा बन जाते हैैं। अतः इस सुयोग में यत्किंचित् पुण्य मेरु सदृश्य हो जाते हैं, जो पुण्य अर्जित करने में सोपान का कार्य करते है। अपने पापों की निवृत्ति करनी श्रेयस्कर है।आज मौन व्रत का पालन करते हुए ईश्वर से प्रार्थना की जाय कि मानव तन पाकर हम मानवोचित कर्म करें, जहां तक सम्भव हो शुभ कर्म में संलग्न रह सकें। यह विचार आवश्यक है, गंदा बोलने से बेहतर नि बुलाई सुख पाई कहावत को चरितार्थ करे।

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