जन मुद्दे
परम्पराओं को भी नष्ट करता है पर्यटन
नैनीताल। विकास अपने साथ विनाश अनिवार्य रूप से लाता ही है। इस विनाश की मात्रा कितनी हो, न्यूनतम या भीषण, यह विकास चाहने या करने वालों की सोच पर निर्भर है। विकास सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित और नष्ट नहीं करता, वह सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों को भी क्षति पहुँचाता है। पर्यटन इसका एक ज्वलन्त उदाहरण है। बढ़ता हुआ पर्यटन अपने साथ ट्रैफिक, भीड़, शोर, गन्दगी और अशान्ति ही नहीं लाता, अपराध और लालच भी लाता है। वह स्थानीय समाज से उसकी परम्परायें छीन लेता है और सिर्फ पैसे के ऊपर उसकी आश्रितता को स्थापित करता है। समाज के सरलता और ईमानदारी के गुणों में क्षरण होने लगता है। स्थानीय परम्परायें पीछे छूट जाती हैं और भुला दी जाती हैं। ताजा उदाहरण नैनीताल की हॉकी का है। पिछले सौ सालों से यहाँ के फ्लैट्स पर होने वाला हॉकी का अखिल भारतीय ट्रेड्स कप टूर्नामेंट इस साल नहीं होगा। पिछले दो साल यह कोरोना की महामारी की कारण नहीं हुआ था। मगर इस साल स्थिति सामान्य हो जाने के बावजूद यह टूर्नामेंट नहीं हो पा रहा है। 70 वर्ष पूर्व नैनीताल के ‘सीजन’ के मुख्य आकर्षण आजाद हिन्द फौज के कैप्टेन रामसिंह का पी.ए.सी. बैंड और ट्रेड्स कप ही हुआ करते थे। तब ‘हॉकी’ और ‘नैनीताल’ एक दूसरे के पर्याय हुआ करते थे। बेमिसाल सौन्दर्य के धनी इस शहर का लगभग हर बच्चा हॉकी खेला करता था। मगर अब ट्रेड्स कप टूर्नामेंट के खत्म हो जाने से शहर की सेहत पर कोई असर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। आधी सदी पहले किसी अच्छे हॉकी मैच को देखने के लिये आधे दिन से बाजारें बन्द हो जाती थीं। अब भीड़, गन्दगी और शोर से बजबजाते इस शहर में किसी को खबर ही नहीं है। घरों, बाजारों और तथाकथित खेल प्रेमियों में इस बात की कोई चर्चा नहीं है। चालू किस्म की अखबारी पत्रकारिता के मुहावरे में ‘‘नैनीताल में पर्यटन व्यवसाइयों के चेहरे खिल उठे हैं।’’ मगर इस पत्रकारिता में नैनीताल की हॉकी की आसन्न मृत्यु को लेकर एक पंक्ति भी नहीं है।
पिछली सदी के सत्तर के दशक की अखिल भारतीय ट्रेड्स कप विजेता डीएसबी कॉलेज की हॉकी टीम) नैनीताल समाचार से साभार























































