उत्तरकाशी
22 अप्रैल को दिन 12 बजकर 41 मिनट पर खुलेंगे श्री यमुनोत्री धाम के कपाट
22 अप्रैल को दिन 12 बजकर 41 मिनट पर खुलेंगे श्री यमुनोत्री धाम के कपाट
चारों धामों हेतु पंजीकरण की संख्या छ: लाख चौंतीस हजार से अधिक पहुंची : सतपाल
सीएन, खुशीमठ/उत्तरकाशी/ऋषिकेश। श्री यमुनोत्री मंदिर समिति ने पंचाग गणना पश्चात विधिवत घोषणा कर दी है। अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को दिन 12 बजकर 41 मिनट पर खुलेंगे श्री यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। श्री यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया शनिवार 22 अप्रैल को दिन में 12 बजकर 41 मिनट पर कर्क लग्न, अभिजीत मुहूर्त,कृतिका नक्षत्र में खुलेंगे। आज सोमवार को यमुना जयंती चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खुशीमठ ( खरसाली)में मंदिर समिति यमनोत्री द्वारा मां यमुना की पूजा अर्चना के पश्चात विधि विधान पंचाग गणना के पश्चात विद्वान आचार्यों- तीर्थपुरोहितों द्वारा श्री यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की तिथि तथा समय तय किया गया। तथा श्री यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने मंदिर समिति पदाधिकारियों तथा तीर्थ पुरोहितों की उपस्थिति कपाट खुलने की तिथि समय की विधिवत घोषणा की। मंदिर समिति के पूर्व सचिव कीर्तेश्वर उनियाल ने बताया कि इस अवसर पर मां यमुना जी की उत्सव डोली के धाम प्रस्थान का भी कार्यक्रम तय हुआ। शनिवार 22 अप्रैल को मां यमुना की उत्सव डोली, मां यमुना जी के भाई श्री सोमेश्वर देवता जी के साथ समारोह पूर्वक सेना के बेंड के साथ खुशीमठ से प्रात: 8 बजकर 25 मिनट पर प्रस्थान यमुनोत्री मंदिर परिसर में पहुंचेगी। अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को दिन में 12 बजकर 41 मिनट पर श्री यमुनोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जायेंगे। कपाट खुलने की तिथि तय होने के अवसर पर शीतकालीन रावल ब्रह्मानंद उनियाल,मंदिर समिति सचिव सुरेश सेमवाल, उपाध्यक्ष राजस्वरूप उनियाल, श्री यमुनोत्री महासभा अध्यक्ष पुरूषोत्तम उनियाल, यमुनोत्री मंदिर समिति के पूर्व सचिव कृतेश्वर उनियाल, आदि उपस्थित रहे। यहां यह उल्लेखनीय है कि मां यमुना के कपाट भी अक्षय तृतीया के दिन खुलते है। । वही श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल प्रात: 7 बजकर 10 मिनट तथा श्री केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल प्रात: 6 बजकर 20 मिनट पर तथा श्री गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया 22 अप्रैल दिन में 12 बजकर 35 मिनट पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुलेंगे।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चारधाम यात्रा तैयारियों को पूरा करने हेतु 15 अप्रैल तक पूरा करने के निर्देश दे चुके हैं। पर्यटन धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि चारधाम यात्रा हेतु श्रद्धालुओं में उत्साह है अभी तक चारों धामों हेतु पंजीकरण की संख्या छ: लाख चौंतीस हजार से अधिक पहुंच गयी है। इसी संदर्भ में चारधाम यात्रा प्रशासन संगठन के विशेष कार्याधिकारी/अपर आयुक्त गढ़वाल नरेन्द्र सिंह क्वीरियाल ने बताया कि शासन के दिशा-निर्देशों के तहत चारों धामों में सभी विभागों को यात्रा संबंधित तैयारियां तथा कार्य को 15 अप्रैल तक पूरा किये जाने हेतु गढवाल कमिश्नर/अध्यक्ष यात्रा प्रशासन संगठन सुशील कुमार द्वारा जिलाधिकारी चमोली, रूद्रप्रयाग तथा उत्तरकाशी तथा सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिये हैं। लगातार बैठकों तथा वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा
लगातार यात्रा तैयारियों की मानंटरिंग की जा रही है। बदरीनाथ, केदारनाथ,गंगोत्री, यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्गों सहित बिद्युत, पेयजल, संचार, चिकित्सा,आवास सुविधाओं को समय बद्ध ढ़ग से व्यवस्थित किया जा रहा है। प्रशासन रूद्रप्रयाग द्वारा केदारनाथ में पैदल मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य अंतिम चरण में है। यात्रा प्रशासन संगठन के वैयक्तिक सहायक अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि शासन के दिशा-निर्देश पर ऋषिकेश में चारधाम यात्रा ट्रांजिट केंप में चारधाम यात्रा से पहले आवश्यक यात्री सुविथायें जुटायी जा रही है।
गढ़वाल हिमालय में पश्चिमीतम यमुनोत्री मंदिर
यमुनोत्री, यमुना नदी का स्रोत और हिंदू धर्म में देवी यमुना की सीट है. यह जिला उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में 3,293 मीटर (10,804 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तराखंड के चार धाम तीर्थ यात्रा में यह चार स्थलों में से एक है। यमुना नदी के स्रोत यमुनोत्री का पवित्र गढ़, गढ़वाल हिमालय में पश्चिमीतम मंदिर है, जो बंदर पुंछ पर्वत की एक झुंड के ऊपर स्थित है। यमुनोत्री में मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी (7 किमी दूर) में पवित्र तापीय झरना हैं। कुछ लोग इसे सीता के नाम से जानकी चट्टी मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। 1946 में एक धार्मिक महिला जिसका नाम जानकी देवी था, ने बीफ गाँव मे यमुना के दायें तट पर विशाल धर्मशाला बनवाई थी, और फिर उनकी याद में बीफ गाँव जानकी चट्टी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। यमुनोत्तरी से कुछ दूर पहले भैंरोघाटी है। जहाँ भैंरो बाबा का मन्दिर है।
यमुनोत्तरी का हिन्दुओं के वेद-पुराणों में भी वर्णन किया गया है जैसे कूर्मपुराण, केदारखण्ड, ऋग्वेद, ब्रह्मांड पुराण मे तो यमुनोत्तरी को ‘‘यमुना प्रभव’’ तीर्थ कहा गया है। महाभारत के अनुसार जब पाण्डव उत्तराखंड की तीर्थयात्रा मे आए तो वे पहले यमुनोत्तरी, तब गंगोत्री फिर केदारनाथ-बद्रीनाथजी की ओर बढ़े थे, तभी से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की जाती है। यमुनोत्तरी मंदिर का मुख्य आर्कषण यह के कुण्ड है तप्तकुण्उ व सूर्यकुण्ड। सूर्यकुण्ड जो कि गढवाल के सबसे गरम कुण्डों में से एक है तथा इस कुण्ड के पानी का तापमान लगभग 195 डिग्री फारनहाइट है। इस कुण्ड से विशेष ध्वनि निकलती है, जिसे ‘‘ओम ध्वनि’’ कहा जाता है। भक्तगण देवी को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए कपडे की पोटली में चावल और आलू बांधकर इसी कुंड के गर्म जल में पकाते है। देवी को प्रसाद चढ़ाने के पश्चात इन्ही पकाये हुए चावलों को प्रसाद के रूप में भक्त जन अपने अपने घर ले जाते हैं। सूर्यकुंड के निकट ही एक शिला है जिसे दिव्य शिला कहते हैं। इस शिला को दिव्य ज्योति शिला भी कहते हैं। भक्तगण भगवती यमुना की पूजा करने से पहले इस शिला की पूजा करते हैं। सूर्यकुण्ड का जल नीचे बह कर गौरीकुण्ड में जाता है और इस कुण्ड का निर्माण जमुनाबाई ने करवाया था, इसलिए इसे जमुनाबाई कुण्ड भी कहते है। गौरीकुण्ड में जल आ थोड़ा ठण्डा हो जाता है, जिससे यात्री इस कुण्ड में स्नान कर सकते है।
बाय एयर
निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किमी दूर है। देहरादून हवाई अड्डे से यमुनोत्री तक टैक्सी तथा बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
ट्रेन द्वारा
ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून सभी जगह रेलवे स्टेशन हैं। यमुनोत्री से निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून (लगभग 100 किमी) है। देहरादून से यमुनोत्री बस/टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क के द्वारा
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 94 से होकर पहुँचते है। राज्य परिवहन की बसें उत्तरकाशी और ऋषिकेश (200 किमी) के बीच नियमित रूप से चलते हैं। स्थानीय परिवहन संघ और राज्य परिवहन की बसें तथा टैक्सी यमुनोत्री और ऋषिकेश (200 किमी), हरिद्वार (250 किमी), देहरादून (200 किलोमीटर)के बीच नियमित रूप से चलते हैं। यमुनोत्री धाम जिला मुख्यालय,उत्तरकाशी से 130 किमी है।