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200 रुपये से गिरकर 2 रुपये किलो पर बिकने लगा टमाटर, खेतों में हो रहा नष्ट

200 रुपये से गिरकर 2 रुपये किलो पर बिकने लगा टमाटर, खेतों में हो रहा नष्ट
सीएन, नईदिल्ली।
अभी कुछ दिनों पहले टमाटर के दाम सातवें आसमान पर थे। देशभर में टमाटर की बढ़ती कीमतों को लेकर हाहाकर मचा हुआ था। टमाटर की कीमतों को घटाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था। 250-300 रुपये किलो तक टमाटर बिकने लगा था। यहां तक कि टमाटर की कीमतों को घटाने के लिए सरकार को रीटेल सेलिंग करनी पड़ी थी। जब टमाटर के दाम आसमान पर थे तो फसल उगाने वालों की चांदी थी। उस समय बेमौसम बारिश और सप्लाई चेन को जिम्मेदार माना जा रहा था। लेकिन आज टमाटर उगाने वाले किसान फिर से बेहाल हो गए हैं, क्योंकि टमाटर के दाम अब 250.300 से घटकर 3.5 रुपये प्रति किलो के रेट पर पहुंच गए हैं। महाराष्ट्र में किसान अब टमाटर की फसल को नष्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। दरअसल, टमाटर की बंपर पैदावार ने किसानों का खेल चौपट कर दिया है। पैदावार बढ़ने से टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट आ गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक नासिक के किसान अब टमाटर पर एमएसपी की मांग करने लगे हैं। किसानों का कहना है कि एमएसपी ही एकमात्र रास्ता है। कुछ किसान तो औने.पौने दाम पर अपनी उपज को बेचने में कामयाब हो गए, लेकिन उन्हें भी अपनी लागत के आधे दाम पर ही बेचना पड़ा। एक एकड़ टमाटर की फसल के लिए दो लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। पुणे जिले की थोक मंडी में टमाटर 5 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है। नासिक पिपलगांव और लासलगांव में मंडी में टमाटर के औसत दाम पिछले डेढ़ माह में 2000 रुपये प्रति क्रेटसे गिरकर अब 90 रुपये प्रति 20 किलो पर आ गई हैं। महाराष्ट्र की कोल्हापुर मंडी में लगभग एक माह पहले टमाटर के दाम 220 रुपये प्रति किलो पर थे। अब इस मंडी में टमाटर के रेट 2.3 रुपये किलो पर आ गए हैं। टमाटर के दामों में आई इस भारी गिरावट की वजह से किसान अब टमाटर की खेती छोड़ने लगे हैं। महाराष्ट्र के पिपलगांव एपीएमसी में टमाटर की सबसे बड़ी थोक मंडी है। यहां पर हर रोज 2 लाख क्रेट टमाटर की नीलामी की जा रही हैण् राज्य के एग्री डिपार्टमेंट के आंकड़ों के मुताबिक, नासिक में टमाटर का रकबा तकरीबन 17.000 हेक्टेयर है। यहां पर 6 लाख मीट्रिक टन टमाटर की उपज होती है। लेकिन इस साल यहां पर टमाटर की फसल की रकबा दोगुना से अधिक यानि 35.000 हेक्टेयर पर पहुंच गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां पर उपज 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो सकती है। जुलाई माह में जब टमाटर के रेट 250-300 रुपये किलो पर पहुंच गए थे तो ज्यादातर किसानों ने सोचा कि ऊंचे दाम होने पर इस फसल से कमाई ज्यादा हो सकती है। इसलिए सबने टमाटर की फसल ज्यादा लगा दी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सोलापुर जिले में कई गांवों के किसान अपनी फसल खेतों में ही नष्ट करने लगे हैं। टमाटर की तुड़ाई और उसे मंडी पहुंचाने तक 8500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मंडी में भाव कम होने से उन्हें ज्यादा नुकसान हो सकता है। सोलापुर में कई किसान खेतों में ही उपज को सड़ने दे रहे हैं और कुछ किसान तो ट्रैक्टर चलाकर फसल को नष्ट कर रहे हैं।

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