उत्तराखण्ड
बहुमत जुटाने को चिंतित है भाजपा.कांग्रेस, निर्दलियों को साधने की तैयारी
कांग्रेस की जीत की संभावना वाले बसपा, यूकेडी और निर्दलीय प्रत्याशियों पर नजर
गिरीश जोशी, देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे और इससे पहले राज्य में भारतीय जनता पार्टी एक्टिव हो गई है. बीजेपी बागियों को साधने में जुटी है. बीजेपी का दावा है कि राज्य में वह सरकार बनाने जा रही है. लेकिन बैकडोर से बीजेपी की नजर विभिन्न दलों के उन नेताओं पर है. जो चुनाव के बाद बगावत कर सकते हैं। इसके साथ ही बीजेपी छोटे दलों के नेताओं के संपर्क में है. वहीं बीजेपी की सक्रियता के बाद राज्य में कांग्रेस भी अलर्ट हो गई है. कांग्रेस बीजेपी के बागियों और क्षेत्रीय दलों के नेताओं के संपर्क में है. ताकि चुनाव परिणाम के बाद बनने वाली स्थितियों के लिए उन्हें तैयार किया जा सके। दरअसल राज्य में 2016 में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था और पार्टी उस वक्त बड़े दलबदल का सामना कर चुकी है. लिहाजा वह इस बार चुनाव से पहले ही अलर्ट हो गई है. कांग्रेस नेता 42 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं. जबकि सियासी जानकारों के अपने अपने दावे हैं. वहीं बीजेपी के साथ ही अब कांग्रेस भी जीत की संभावना वाले बसपा, यूकेडी और निर्दलीय प्रत्याशियों पर नजर रख रही है. क्योंकि अगर सरकार बनाने के लिए निर्दलीय और अन्य दलों के समर्थन की जरूरत पड़ी तो इन नेताओं से संपर्क साधा जा सकता है. कांग्रेस का कहना है कि जिन भी दलों व लोगों ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा है, वो सभी वैचारिक रूप से कांग्रेस के करीब हैं और वह कांग्रेस को समर्थन देंगे. हालांकि चुनाव परिणाम से पहले बीजेपी और कांग्रेस अपने अपने दाव कर रहे हैं. लेकिन दोनों ही दलों की सांसें अटकी हैं. क्योंकि चुनाव से पहले किसी भी तरह की तस्वीर सामने नहीं आयी है. कई सीटों पर दोनों ही दलों के प्रत्याशी मजबूती से चुनाव लड़े हैं वहीं कुछ पर बीएसपी और यूकेडी मजबूत हैं. वहीं कांग्रेस के कई बागी सियासी मैदान में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. जो पार्टी का गणित बिगाड़ सकते हैं. कांग्रेस इस बात को ध्यान में रख रही है कि अगर बीएसपी, यूकेडी और निर्दलीय कुछ सीट लेने में कामयाब रह तो राज्य में किसी भी तरह का स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा और इन दलों की जरूरत सरकार बनाने में पड़ेगी. बताया जा रहा है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी से राज्य में अलर्ट रहने को कहा है. क्योंकि पार्टी में पहले बड़ी टूट हो चुकी है. लिहाजा पार्टी एक बार फिर टूट नहीं चाहती है. वहीं कांग्रेस राज्य में बीजेपी के नाराज नेताओं के साथ नजदीकी बढ़ाने का प्रयास कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इसकी पुष्टि की है कि वर्ष 2016 के दलबदल के दौरान सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले एक नेता कांग्रेस नेतृत्व के संपर्क में है।