उत्तराखण्ड
उत्तराखंड : पंचायती राज क्षेत्र में भाजपा ने खड़ा कर दिया गहरा संवैधानिक संकट : हरीश रावत
उत्तराखंड : पंचायती राज क्षेत्र में भाजपा ने गहरा संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया : हरीश रावत
सीएन, नैनीताल। भाजपा ग्रामीण क्षेत्रों की जनता कि अपराधी है। इनकी सरकार ने पहले पंचायतों के चुनाव प्रशासक नियुक्त कर डाले, फिर प्रयास किया प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने का अध्यादेश लाकर। जब पता चला कि संवैधानिक रूप से आप एक ही विषय पर दूसरी बार अध्यादेश नहीं ला सकते हैं, पंचायती राज एक्ट इसकी अनुमति नहीं देता है तो आपने आनन-फानन में पहले आरक्षण घोषित किया और फिर चुनाव की आचार संहिता घोषित की ताकि लोग आपको चुनाव करवाने के लिए गंभीर समझें। हकीकत यह है कि राज्य सरकार पंचायतों के चुनाव कभी भी करवाना नहीं चाहती थी, वह तो प्रशासक का कार्यकाल बढ़ाना चाहती थी। जन दबाव में उन्होंने एक रस्म अदायगी की और जानबूझकर आरक्षण जैसे संवेदनशील मामले में रोस्टर समाप्त कर शून्य से प्रारंभ करने का निर्णय लिया। एससी.एसटी का हक दबाने का कुप्रयास किया। आपने ग्राम सभाओं और क्षेत्र पंचायतों के लिए एक प्रकार का क्रमांक और शेष के लिए दूसरे प्रकार का क्रमांक जारी कर एक ही प्रकार के चुनावों को लेकर ऐसी विसंगति पैदा कर दी कि जिसमें न्यायिक हस्तक्षेप होना ही होना था। आरक्षण के सवाल पर और आपकी अपनी गलती के सवाल पर, जानबूझकर की गई गलती के सवाल पर हाईकोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दी है। आपके मुंह मांगी मुराद मिल गई, मगर पंचायती राज क्षेत्र में भाजपा ने गहरा संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया है। रावत ने प्रतिपक्ष से कहा कि इस प्रश्न पर विचार करने के लिए विधानसभा का शत्र बुलवाएं और विधानसभा, 2 दिन तक इस विषय पर विचार-विमर्श कर संवैधानिक समाधान निकाले। राज्य के एडवोकेट जनरल को विधानसभा में सम्मन किया जाए। आखिर पंचायती राज का अपराधी कौन, इसको खोजना आवश्यक है।
