उत्तराखण्ड
हाई कोर्ट का अवमानना करते हुए रामनगर में लोगों को बेघर और बेदखल करना बेहद निंदनीय, मुआवजा दो
सीएन, नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायलय द्वारा कुछ लोगों के लिए रोक लगने के बावजूद, वन अधिकार कानून की धज्जिया उड़ा कर नैनीताल जिले के रामनगर तहसील में बसे पूछड़ी गांव में पुलिस प्रशासन एवं वन विभाग लोगों की मकानों को तोड़ रहे हैं। इस गैर क़ानूनी, जन विरोधी कार्यवाही पर शांतिपूर्ण तरीकों से विरोध कर रहे आंदोलनकारियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। कल की घटनाओं को देखते हुए लगता है कि उत्तराखंड राज्य में कानून का राज अपने घुटनों पर है। अभी बुलडोज़र चला कर पचास से ज्यादा घरों को तोडा जा रहा है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी; समाजवादी लोक मंच के मुनीश कुमार, गिरीश आर्य, ललित उप्रेती, महेश जोशी और अन्य साथी के साथ भुवन, आसिफ, सुनील पर्णवाल, तुलसी छिम्बाल, सरस्वती जोशी, गीता और दीपक तिवारी को विरोध करने पर पुलिस हिरासत में लिया गया। इसके आलावा कुछ गांववासी भी हिरासत में हैं। गांववालों के साथ मारपीट होने की खबर भी मिल रही है। हम उत्तराखंड सरकार को याद दिलाना चाहेंगे कि जिस राज्य में शत प्रतिशत से ज्यादा ज़मीन वन ज़मीन है, उस राज्य में लगभग बीस साल बीतने के बावजूद वन अधिकार कानून पर अमल ही न करना जनता के बुनियादी अधिकारों पर हमला है। अतिक्रमण हटाने के नाम पर वन और पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। हम इस गैर क़ानूनी बेदखली प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने के लिए मांग करते हैं। हम यह भी मांग करते हैं कि जिनके घरों को तोड़े गए या जिनकी सम्पतियों या खेती पर क्षति हुई है, उन लोगों को मुआवज़ा दिया जाये और ज़िम्मेदार अधिकारियों पर विभागीय एवं क़ानूनी कार्यवाही की जाये। मांग करने वालों मेंराजीव लोचन साह, अध्यक्ष, उत्तराखंड लोक वाहिनी, विनोद बडोनी, शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह – चेतना आंदोलन, तरुण जोशी, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, हीरा जंगपांगी, महिला किसान अधिकार मंच, भुवन पाठक, अजय जोशी एवं शंकर बर्थवाल, सद्भावना समिति उत्तराखंड, इस्लाम हुसैन, उत्तराखंड सर्वोदय मंडल, नरेश नौडियाल, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, हेमा जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता बची सिंह बिष्ट , जनमैत्री संगठन नैनीताल एवं अन्य संगठन के लोग शामिल हैं।




























































